Quwwatul Islam Masjid: दिल्ली की इस मस्जिद में क्यों लगी हैं हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां ?

Quwwatul Islam Masjid राजधानी दिल्ली की कुव्वतुल-इस्लाम मस्जिद में पहुंचने वाले पर्यटकों के बच्चे पूछ बैठते हैं कि मस्जिद में मूर्तियां क्यों लगी हैं? जिसका उस समय उनके पास काेई जवाब नहीं होता। इतिहास के जानकार इस पर अपनी राय जरूर रखते हैं।

By JP YadavEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2020 11:30 AM (IST) Updated:Tue, 24 Nov 2020 01:14 PM (IST)
Quwwatul Islam Masjid: दिल्ली की इस मस्जिद में क्यों लगी हैं हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां ?
लाल किला स्थित कुव्वतुल-इस्लाम मस्जिद का फाइल फोटो।

नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। Quwwatul Islam Masjid:  राजधानी दिल्ली की कुव्वतुल-इस्लाम मस्जिद का हाल बेहाल है। कुतुबमीनार परिसर में स्थित इस मस्जिद के स्तंभों पर देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां लगी हैं। यहां तक कि मस्जिद के पिछले हिस्से में नाली के ऊपर लगी एक मूर्ति को लेकर विवाद हाे चुका है, जिसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने लोहे के जाल से मूर्ति ढंक दी है। आज भी इस मस्जिद और इसके आसपास कई मूर्तियां हैं। यहां तक कि इस मस्जिद के आसपास जो भाग क्षतिग्रस्त हुए हैं। उनमें भी मूर्तियां निकल रही हैं। वर्तमान में यहां पहुंचने वाले पर्यटकों के बच्चे पूछ बैठते हैं कि मस्जिद में मूर्तियां क्यों लगी हैं? जिसका उस समय उनके पास काेई जवाब नहीं होता और वह यही कर बच्चों को समझाते हैं कि यह सब पूर्व में किया गया है।

फिलहाल यह मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का स्मारक है। जिस कुतुबमीनार और उसके परिसर को विश्व धरोहर का दर्जा मिला है। उसी परिसर में यह मस्जिद शामिल है। इस मस्जिद का इतिहास बहुत पुराना है। इसका निर्माण दिल्ली पर कब्जा करने के बाद सन् 1192 में कुतुबुद्दीन एबक ने कराया था। इसका कार्य 1198 में पूरा हुआ। पुरातात्वित दस्तावेजों में साफ तौर पर वर्णित है कि कुतुबद्दीन एबक ने इसे 27 हिंदू व जैन मंदिरों को तोड़कर बनवाया था। इन मंदिरों के नक्काशीदार स्तंभों और अन्य वास्तुकला संबंधी खंडों से इसे बनवाया गया था। इस मस्जिद में स्तंभों पर देवी देवताओं की मूर्तियां आज भी देखी जा सकती हैं। इस मस्जिद का काफी हिस्सा ढह चुका है। मगर मस्जिद के जो अवशेष बचे हैं वे पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इसमें अधिकतर मूर्तियों को क्षतिग्रस्त किया जा चुका है।

कहा जाता है कि इन्हें यहां लगाने जाने के समय ही क्षतिग्रस्त कर दिया गया कि जिससे लोग यहां पूजा पाठ करना न शुरू कर दें। मस्जिद में लगी देवी देवताओं की मूर्तियों को लेकर कुछ साल पहले विवाद हो चुका है। कई हिन्दू संगठन यहां पूजा अर्जना करने पहुंच गए थे। उनकी सबसे अधिक आपत्ति इस मस्जिद के पीछे के भाग में लगी मूर्ति को लेकर अधिक थी। जिसे एक नाली के ऊपर लगाया गया है। इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने इस मूर्ति के ऊपर लोहे का मोटर जाल लगवा दिया है। ऐसा कहा जाता है कि यह मूर्ति गणेश जी की है। बताया जा रहा है कि पूर्व में इस स्तंभों के ऊपर प्लास्टर किया गया था जो अब स्तंभों से उतर गया है। कुतुबमीनार के आसपास एक छोटी चारदीवारी क्षतिग्रस्त हुई है। उसमें भी पत्थर की मूर्ति निकली है। जिसे वहीं रखवा दिया गया है। जिसे वहीं रखवा दिया गया है। यहां चार सौ वीं शताब्दी में राजा अनंगपाल विष्णु पर्वत से विभिन्न धातु का बना विष्णु स्तंभ लेकर आए थे जो आज भी इसी परिसर में स्थित है। इस स्तंभ पर गुप्तकाल की लिपि में संस्कृत में एक लेख है। जिसे पुरालेखीय दृष्टि से चतुर्थ शताब्दी का निर्धारित किया गया है।

बता दें कि अध्योया में राम मंदिर को लेकर चल रही कसरत के दौरान इन मस्जिद का जिक्र आया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के पूर्व निदेशक डा. के के मुहम्मद ने अपने बयान में कहा है कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद के हालात भी दिल्ली स्थित कुव्वुतुल इस्लाम मस्जिद की तरह थे।

 हिंदू संगठनों का दावा है कि जिस स्थान पर मस्जिद है यहां पर भी पूर्व में मंदिर था

यूनाइटेड हिन्दू फ्रंट के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जयभगवान गोयल का कहना है कि इस स्थान पर भी मंदिर था। मंदिरों को तोड़कर जो ढांचा खड़ा किया गया है, वह मस्जिद नहीं बल्कि मंदिर है। इसमें हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियां हैं। गणेश जी की पत्थर की मूर्ति भी इस ढांचे में लगी है। यहां की स्थिति भी अयोध्या की राम जन्मभूमि स्थान पर पूर्व में बनाए गए ढांचे जैसी है। वह कहते हैं कि मेरी भारत सरकार से अपील है कि इसे मंदिर घोषित किया जाना चाहिए। मंदिर होने के सभी प्रमाण इस ढांचे में मौजूद हैं। इस ढांचे को देखकर हिन्दुआें की भावनाओं को ठेस पहुंचती है।

वहीं, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के उत्तरी क्षेत्र के पूर्व निदेशक डॉ. केके मोहम्मद कहते हैं कि यह बात सही है कि कुतुबमीनार स्थित कुव्वतुल इस्लाम मस्जिद 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर बनाई गई है। उन्होंने कहा कि पुराने समय में कुछ गलतियां हुई हैं, मगर इसके लिए आज के मुस्लिम जिम्मेदार नहीं हैं।

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