ऐसे करें असली और नकली शहद की पहचान, जानिए क्या है इसके मानक
शहद को पानी में मिलाएं। इसके बाद उसमें थोड़ा सा आयोडीन मिला दें। अगर इसका रंग नीला हो जाए तो समझ लें कि शहद में स्टार्च या आटा मिला हुआ है। ब्लोटिंग पेपर पर थोड़ा सा शहद डालें। अगर पेपर शहद को सोख लेता है तो समझें कि मिलावट है।
नई दिल्ली, जेएनएन। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने दावा किया है कि उसने 13 कंपनियों के शहद के नमूनों की जांच करवाई, जिसमें 77 फीसद में मिलावट पाई गई। शहद में मिलावट के मामले अक्सर ही आते रहते हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि शहद के मानक क्या है, किस तरह की मिलावट होती है और उसका किस प्रकार पता लगाया जा सकता है...
क्या है मानक
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने शहद के नए मानकों में आद्र्रता की सीमा 25 से घटाकर 20 फीसद कर दी है। इसके साथ ही फ्रूक्टोज व ग्लूकोज के अनुपात को भी तय दिया है। मिलावट का पता लगाने के लिए 13 सी (कार्बन 13) टेस्ट व डायस्टेस को अनिवार्य कर दिया गया है। डायस्टेस से पता चलेगा कि शहद में मधुमक्खी की लार का उपयोग हुआ है या उसे फैक्ट्री में तैयार किया गया है। हनी ड्यू की उपस्थिति भी सीमित कर दी गई है। कुछ पेड़ों में फूल नहीं होते, लेकिन मधुमक्खियां उसके तने से निकलने वाले चिपचिपे पदार्थ से शहद जुटाती हैं। इसे हनी ड्यू कहा जाता है।
कैसे होती है मिलावट
कारोबार से जुड़े लोग अधिक मुनाफा के लिए शहद में कॉर्न सीरप (मक्के से बना), राइस सीरप (चावल से निर्मित) और इंवर्टेड सीरप (गन्ने के शीरे से तैयार होने वाले सीरप) की मिलावट कर देते हैं। सीधे चीनी की मिलावट से शहद जम जाता है, जबकि इन सीरप की मिलावट पर वह जमता नहीं है।
पहचान के तरीके
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