शहरीकरण के लिए जल स्रोत पाट दिए गए, तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है?

हमेशा पड़ोसी ही पहल करे ऐसा क्यों सोचते हैं। एक बार आप भी तो प्रहरी बनकर देखिए। कितने ही हाथ जल की एक-एक बूंद का संचयन करने को आपके साथ मुट्ठी बन ताकत बन जाएंगे। हम पानीदार कहलाएंगे।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 01:30 PM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 01:30 PM (IST)
शहरीकरण के लिए जल स्रोत पाट दिए गए, तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है?
उत्तर भारत के राज्यों में मानसून देर तक रुकेगा। दिल्ली और सटे राज्यों में अक्टूबर तक बारिश होगी।
नई दिल्ली, [रणविजय सिंह]। हमेशा पड़ोसी ही पहल करे, ऐसा क्यों सोचते हैं। एक बार आप भी तो प्रहरी बनकर देखिए। कितने ही हाथ जल की एक-एक बूंद का संचयन करने को आपके साथ मुट्ठी बन ताकत बन जाएंगे। हम पानीदार कहलाएंगे। इस बार तो सृष्टि भी हमारे सहेज लो हर बूंद के उत्साह को दोगुना करने में साथ दे रही है।

स्काईमेट के आकलन अनुसार उत्तर भारत के राज्यों में मानसून देर तक रुकेगा। मतलब दिल्ली और सटे राज्यों में अक्टूबर तक बारिश होगी। भरपूर अवसर है बूंदों को संचयित करने का। तालाब, जोहड़ जैसे तमाम जलाशयों को लबालब भरने का। विकास के नाम पर जल स्रोत पाट दिए गए, इस दाग को शहर के माथे से मिटाने का। लेकिन, जल संचयन का वादा कच्चा न हो। पहल ऐसी हो जो रंग लाए। जल स्रोतों में जल लाए।

जब हमारे पास झील, तालाब सरोवर हैं तो हम क्यों बूंद-बूंद को तरसें? अब सवाल यही है कि आखिर शहरीकरण के लिए जल स्रोत पाट दिए गए, तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है? जल संचयन र्की चिंता क्यों नहीं की गई? क्यों निर्माण के लिए जलाशयों की बलि दी गई? क्यों ऐसे निर्माण नहीं किए ताकि वर्षा का जल भूमि में जाता रहे?

राहगीरों की प्यास बुझाने, पशुओं के नहाने से लेकर धरा की कोख सदा नीरा बनी रहे, इसके लिए पहले हर जगह कुआं,

तालाब और पोखर का निर्माण किया जाता था। बरसात के दिनों में ये जल स्रोत पानी से लबालब भरे रहते थे। लेकिन, बदलते वक्त के साथ इनमें से ज्यादातर जलाशयों का अस्तित्व समाप्त हो गया। कहीं इन्हें भर कर ऊंची इमारतें बना दी गई हैं तो कहीं बाजार, स्कूल या दफ्तर। दिल्ली एनसीआर में जलाशयों की पूर्व में क्या थी स्थिति, अब कितने हैं अस्तित्व में, कितनों पर हो चुका है अतिक्रमण जानेंगे

आंकड़ों की जुबानी : गुरुग्राम के सेक्टर-28 व 46 में बड़े तालाब पर हो चुका है एमएलए अपार्टमेंट व सेक्टर का निर्माणसुखराली के तालाब में इमारतें बनने से बरसाती पानी जमीन में नहीं पहुंच पाता है जिससे भूजल स्तर में हो रही है गिरावटवर्षा व बाढ़ के पानी से दिल्ली में कुल जल संग्रहण संभव : 457 मिलियन क्यूसेक मीटर (एमसीएम)बारिश से कुल जल संग्रहण संभव :175 एमसीएम वर्षा जल संग्रहण पिट्स बनाने की है दिल्ली को जरूरत: 3,04,500

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