Lockdown In India 2020-21: लॉकडाउन में भी नहीं सुधरी देशभर में नदियों की जल गुणवत्ता
Lockdown in India 2020-21 News रिपोर्ट बताती है कि भारत की 19 प्रमुख नदियों के पानी की गुणवत्ता में लॉकडाउन के दौरान कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ जबकि गंगा सहित पांच नदियां तो और भी गंदी हो गईं। तीन नदियों में पानी की गुणवत्ता अपरिवर्तित रही।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दावे भले ही चाहे जो किए गए हों, लेकिन सच यह है कि 2020 के कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान भी नदियों के पानी की गुणवत्ता में सुधार नहीं हुआ। सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) की हाल ही में जारी रिपोर्ट 'स्टेट आफ इंडियाज एन्वायरमेंट इन फिगर 2021' ने सच सामने ला दिया है। यह रिपोर्ट बताती है कि भारत की 19 प्रमुख नदियों के पानी की गुणवत्ता में लॉकडाउन के दौरान कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ, जबकि गंगा सहित पांच नदियां तो और भी गंदी हो गईं। तीन नदियों में पानी की गुणवत्ता अपरिवर्तित रही। सिर्फ पांच नदियों में लॉकडाउन से पूर्व और लॉकडाउन अवधि के दौरान स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता मानदंड का 100 फीसद अनुपालन दिखा। ब्रह्मपुत्र एकमात्र ऐसी नदी रही जो लॉकडाउन के दौरान स्नान के लिए सौ फीसद उपयुक्त हो गई। पहले इसकी गुणवत्ता 87.5.फीसद थी। यह रिपोर्ट इस प्रचलित अवधारणा का भी खंडन करती है कि महामारी नदियों के लिए सार्वभौमिक रूप से अच्छी रही है।
सीएसई की रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान इन नदियों में जो सीवेज गया, वह या तो अनुपचारित था या आंशिक रूप से उपचारित। जिन नदियों की जलीय गुणवत्ता में थोड़ा बहुत सुधार हुआ, उसका कारण लगभग सभी उद्योगों के बंद होने से न्यूनतम औद्योगिक अपशिष्ट निर्वहन, पूजा सामग्री और कचरे के निपटान से जुड़ी कोई मानवीय गतिविधि नहीं होना, स्नान, कपड़े धोना, वाहन धोना और मवेशियों को नहलाने जैसी गतिविधियां न होना रहा। इन्हीं सब कारणों से सतही जल निकायों के जैविक प्रदूषण में कमी आई।
लॉकडाउन से पूर्व और बाद की गुणवत्ता स्थिति (फीसद में) इन नदियों की गुणवत्ता हुई बदतर
1. चंबल 75 46.15 2. ब्यास 100 95.45 3. सतलुज 87.1 78.30 4. गंगा 64.6 46.2 5. स्वर्णरेखा 80 55.33इन नदियों की गुणवत्ता रही अपरिवर्तित
इनकी जल गुणवत्ता में हुआ मामूली सुधार 1. यमुना 42.8 66.7 2. तापी 77.8 87.50 3. कृष्णा 84.61 94.44 4. कावेरी 90.47 96.96 5. गोदावरी 65.78 78.37
इन नदियों का पानी लॉकडाउन से पहले और बाद में भी नहाने के लिए सौ फीसद उपयुक्त था
आंकड़ों का विश्लेषण और तुलनात्मक आंकलन एक प्रवृत्ति बताता है। यही प्रवृत्ति चुनौतियों और अवसरों से निपटने का आधार बनती है।
सुनीता नारायण (महानिदेशक, सीएसई) का कहना है कि अगर खामियां और सुधार के उपाय पता चलते हैं तो उनमें सुधार करने का रास्ता भी मिलता है। सरकारों और विभागों को इसी रास्ते पर चलना चाहिए।