Video: देखिए किसान कांग्रेस के सदस्य और कार्यकर्ताओं ने अब किस तरह से किया कृषि कानून का विरोध
कृषि कानून को लेकर विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है। दिल्ली की सीमा पर किसान धरना देकर बैठे हुए हैं। सरकार के साथ 12 दौर की बातचीत के बाद समाधान नहीं हो सका है। किसानों ने जिस तरह से उपद्रव किया उसके बाद से आंदोलन में थोड़ी नरमी आई।
नई दिल्ली, एएनआइ। कृषि कानून को लेकर विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है। दिल्ली की सीमा पर किसान धरना देकर बैठे हुए हैं। सरकार के साथ 12 दौर की बातचीत के बाद अब तक इसका समाधान नहीं हो सका है। 26 जनवरी को किसानों ने जिस तरह से उपद्रव किया उसके बाद से आंदोलन में थोड़ी नरमी आई।
कुछ संगठन तो उस दिन के बाद से इससे अलग हुए। अब राष्ट्रीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत आसपास के शहरों में महापंचायत करके किसानों को जोड़ने के लिए लगे हुए हैं। धरना स्थलों पर भीड़ कम होती जा रही है। किसान कांग्रेस के सदस्य और कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को नए तरीके से विरोध करना शुरू किया, सदस्यों ने अपने हाथों में थाली और चम्मच लेकर उसे बजाया और सरकार के कानून का विरोध किया।
दरअसल इससे पहले 26 जनवरी को भी किसानों के संगठन की ओर से ट्रैक्टर रैली निकालने का आवाहन किया गया था। उस रैली की आड़ में राजधानी की सड़कों पर उपद्रवियों ने जमकर उत्पात मचाया था, इसमें 500 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए थे।
उपद्रवियों ने लालकिले की प्राचीर पर चढ़कर वहां झंडा फहराया था, इसके अलावा लालकिले पर उस जगह भी झंडा फहराया था जहां से 15 अगस्त के दिन प्रधानमंत्री झंडारोहण करके राष्ट्र को संबोधित करते हैं। किसानों के इस उपद्रव की पूरे विश्व में आलोचना हुई थी। अब राकेश टिकैत ने फिर से इससे बड़ी रैली निकालने की घोषणा करके एक बार फिर उस दिन को याद दिला दिया है।
राजस्थान में राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की एक नजर खेत पर रहनी चाहिए दूसरी नजर दिल्ली में आंदोलन पर और तीसरी नजर संयुक्त किसान मोर्चे पर। सरकार किसानों की बात नहीं मान रही है इसलिए आने वाले समय में संसद के पास पार्क में कृषि अनुसंधान केंद्र बनाना पड़ेगा। संसदीय समिति बनाएं और वहां कुछ फसलों की खेती करवाएं। जो लाभ-हानि हो उसे समिति देखे और उस आधार पर फसलों के दाम तय करें।
उधर दिल्ली पुलिस द्वारा गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की गिरफ्तारी और टिकरी बॉर्डर पर लगाये गए नोटिस के बाद किसानों में रोष बढ़ता जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों ने इन दोनों मामलों को केंद्र सरकार की कार्रवाई बताते हुए कड़ा विरोध जताया है।
इस मामले में संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से डॉ. दर्शनपाल ने बयान जारी करते हुए इन कार्रवाई को किसानों को बदनाम करने की साजिश बताया। इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तरह की कार्रवाई से किसान आंदोलन कमजोर होने के बजाय मजबूत होता जाएगा।