इस्लामिक देशों में सुगमता से लग रही वैक्सीन, अफवाहों पर न दें ध्यान, WHO ने भी बताया बेहतर
कोरोना महामारी को लेकर विवादों में रहने वाला विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) अब कोरोना वैक्सीन को हलाल बताकर नए विवाद में घिर गया है। उसके इस बयान पर कई संगठनों के साथ ही विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने कड़ी आपत्ति जताई है
नई दिल्ली, [नेमिष हेमंत]। कोरोना महामारी के दौरान वैक्सीन को लेकर कई बार सवाल उठ चुके हैं। इन सवालों का विश्व स्वास्थ्य संगठन समय-समय पर सफाई भी देता रहा है, इस्लामिक देशों में वैक्सीन को लेकर तमाम तरह के सवाल उठाए जाते रहे हैं। कोरोना महामारी को लेकर विवादों में रहने वाला विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) अब कोरोना वैक्सीन को "हलाल' बताकर नए विवाद में घिर गया है। उसके इस बयान पर कई संगठनों के साथ ही विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने कड़ी आपत्ति जताई है तथा आरोप लगाया है कि इस वैश्विक संगठन ने न सिर्फ इस्लामिक जेहादियों के सामने समर्पण कर दिया है, बल्कि "हलाल' को महिमामंडित करने का काम कर रहा है।
उसके मुताबिक वैज्ञानिक चिकित्सा आधारित यह संस्था यह जरूर बता सकती है कि दवाओं में पशु अंश का इस्तेमाल हुआ है कि नहीं, लेकिन उसका यह काम नहीं है कि वह कट्टरपंथियों के दबाव में आकर दवाओं को अब हलाल सर्टिफिकेट बांटे।
विहिप ने मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) को भी आड़े हाथ लिया है और उससे भी पूछा है कि जब वह आयुर्वेद और योग की योग्यता को संदेह की जद में रखता है तो फिर डब्ल्यूएचओ के इस बयान पर चुप क्यों है। बता दें कि चीन के वुहान लैब से कोरोना वायरस की उत्पत्ति के मामले में चीन को क्लीनचिट देने तथा इस महामारी को लेकर पूरे विश्व को समय रहते आगाह करने के मामले को लेकर भी डब्ल्यूएचओ पर गंभीर सवाल उठ चुके हैं। पूर्ववर्ती अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो इस आधार पर डब्ल्यूएचओ से अमेरिका का सभी रिश्तें तोड़ लिए और आर्थिक सहायता बंद कर दी। इसी तरह के आरोप अन्य देश भी लगाते रहे हैं।
24 जुलाई को फेसबुक पेज पर डब्ल्यूएचओ ने लिखा है कि कोरोना वैक्सीन "हलाल' है। इसमें किसी भी प्रकार से पशुओं के अंश का इस्तेमाल नहीं हुआ है। शरिया कानून के अनुसार इसे लगाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मुखपत्र आर्गनाइजर में डब्ल्यूएचओ के इस बयान पर लेख लिखकर आपत्ति जताई है। वहीं, विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि तमाम इस्लामिक देशाें में वैक्सीन सुगमता से लग रहा है, वहां इसपर इस तरह से सवाल नहीं खड़े किए गए। देश में ही वैक्सीन को हराम बताते हुए फतवे जारी किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज में अगर कोई भ्रम की स्थिति है तो उसे दूर करने का काम सरकारों का है न कि एक आधुनिक चिकित्सा संगठन का। इससे तो डब्ल्यूएचओ की मंशा संदेह की जद में आ जाती है कि कहीं वह कुछ कट्टरपंथियों की सोच "हलाल' को बढ़ावा देने की दिशा में तो आगे नहीं बढ़ रहा है।