Unnao Case: MLA कुलदीप सिंह सेंगर दोषी करार, फैसला सुनते ही फफक कर रो पड़े ; सजा पर बहस कल

Unnao Case दोषी करार होते ही कुलदीप सिंह अदालत में ही फूट-फूटकर रोने लगा जबकि महिला सहयोगी शशि सिंह मामले में बरी हो गई और फैसला सुनते ही बेहोश हो गई।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Mon, 16 Dec 2019 12:19 AM (IST) Updated:Mon, 16 Dec 2019 06:02 PM (IST)
Unnao Case: MLA कुलदीप सिंह सेंगर दोषी करार, फैसला सुनते ही फफक कर रो पड़े ; सजा पर बहस कल
Unnao Case: MLA कुलदीप सिंह सेंगर दोषी करार, फैसला सुनते ही फफक कर रो पड़े ; सजा पर बहस कल

नई दिल्ली [सुशील गंभीर]। Unnao Case : उन्नाव कांड से जुड़े दुष्कर्म के मामले में तीस हजारी अदालत ने सोमवार को भाजपा से निष्कासित उन्नाव के विधायक कुलदीप सेंगर को दोषी करार दिया है। अदालत ने सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता को नाबालिग माना है, ऐसे में कुलदीप सिंह की पोक्सो (POCSO) एक्ट के तहत मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि इसमें कठोर सजा का प्रावधान है। वहीं, कुलदीप सिंह सेंगर के वकील तनवीर अहमद मीर ने अदालत में कहा कि आज ही सजा पर बहस हो। इस पर अदालत ने सजा पर बहस के लिए मंगवार का दिन तय किया है। 

वहीं, महिला आरोपित शशि सिंह को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया है। जज धर्मेश शर्मा की अदालत ने फैसला सुनाया तो कुलदीप सिंह सेंगर और शशि सिंह कोर्ट रूम में रोने लगे। बरी होने का फैसला सुनते ही शशि सिंह रोने लगीं। 

तीस हजारी कोर्ट ने सीबीआई को भी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता ने अपनी और परिवार की जान बचाने के लिए इस केस को देर से रजिस्टर कराया गया। कोर्ट ने कहा कि हम पीड़िता की मन की व्यथा को समझते हैं। कोर्ट ने कहा कि गैंगरेप वाले केस में सीबीआई ने एक साल चार्जशीट दाखिल करने में क्यों लगाया?

बता दें कि तीस हजारी अदालत में गत पांच अगस्त को इस मामले की सुनवाई शुरू हुई थी और 9 अगस्त को दोनों आरोपितों पर आरोप तय किए गए थे। करीब 5 माह तक इस कांड से जुड़े सभी मामलों को लगातार तीस हजारी अदालत में सुना जा रहा है। यह पहला मामला है, जिसमे अदालत का फैसला आया है।

आरोप है कि 4 जून, 2017 को नौकरी देने के नाम पर कुलदीप सेंगर ने साजिश रचनेे और दुष्कर्म करने का अपराध किया था। इसके अलावा पीड़िता के परिजनों को नुकसान पहुंचाने की धमकी भी दी थी।

यह है पूरा उन्नाव कांड

आरोप है कि विधायक सेंगर ने नौकरी देने का वादा करके अपने आवास पर पीड़िता से दुष्कर्म किया था।  पीड़िता को किडनैप कर सामूहिक दुष्कर्म की वारदात भी हुई थी, जिसमें तीन नामजद समेत छह आरोपित हैं।  पीड़िता के पिता के खिलाफ 3 अप्रैल 2018 को शस्त्र अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था और पुलिस हिरासत में अत्यधिक पिटाई के कारण उनकी मौत हो गई थी।  28 जुलाई को चाचा से मिलकर वापस लौटने के दौरान रायबरेली में पीड़िता की कार को एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी। घटना के समय कार में पीड़िता की चाची, मौसी व वकील भी थे। इस घटना में उसकी चाची व मौसी की मौत हो गई थी, जबकि पीड़िता व उसके वकील गंभीर रूप से घायल हो गए थे।   सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लखनऊ से दिल्ली लाकर घायलों को एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां कई दिनों तक इलाज चला था। सुप्रीम कोर्ट ने ही उन्नाव कांड से जुड़े सभी मामलों को उत्तर प्रदेश से दिल्ली की तीस हजारी अदालत में स्थानांतरित किया था।   तीस हजारी अदालत में दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म, पीड़िता के पिता पर झूठा केस दर्ज करने व उनकी हत्या के मामले की सुनवाई चल रही है। इसके अलावा, पीड़िता की कार को टक्कर मारने वाले केस का आरोप पत्र सीबीआइ दाखिल कर चुकी है।   फिलहाल पीड़िता अपने परिवार के साथ दिल्ली में ही रह रही है, क्योंकि परिवार ने उन्नाव लौटने से इन्कार कर दिया था।

दोषी करार होते ही रोने लगा कुलदीप सेंगर

विधायक कुलदीप सिंह सेंगर फैसला सुनते ही अदालत में ही रोने लगा। वहीं, सहयोगी आरोपित शशि सिंह बरी होने का फैसला ही बेहोश हो गई। बता दें कि शशि सिंह को पीड़ित युवती को विधायक के घर बहलाफुसलाकर ले जाने का आरोप था। 

 सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रतिदिन हो रही मामले की सुनवाई

 सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मामले की सुनवाई लखनऊ से दिल्ली स्थानांतरित की गई थी। सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा की अदालत 5 अगस्त से प्रतिदिन मामले की सुनवाई कर रही है। अदालत ने बाल यौन अपराध संरक्षण (पॉक्सो) की धारा 3 व 4 (नाबालिग से दुष्कर्म) और भादंसं की धारा 120बी (आपराधिक षड्यंत्र), 363 (अपहरण), 366 (अपहरण एवं महिला पर विवाह के लिए दबाव डालना), 376 (दुष्कर्म) की प्रासंगिक धाराओं के तहत आरोप तय किए थे।

यह है उन्नाव कांड

यह मामला उस समय सुर्खियों में आया था जब पीड़िता  और उसकी मां ने मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के आवास के बाहर आत्मदाह करने की कोशिश की थी। पीड़िता  के पिता के खिलाफ 3 अप्रैल 2018 को शस्त्र अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था और पुलिस हिरासत में अत्यधिक पिटाई के कारण उसकी मौत हो गई थी।

28 जुलाई को चाचा से मिलकर वापस लौटने के दौरान रायबरेली में पीड़िता, उसकी चाची, मौसी व वकील की कार को एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी। इसमें चाची और मौसी की मौत हो गई थी, जबकि पीड़िता व उसके वकील घायल हो गए थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लखनऊ से दिल्ली लाकर घायलों को एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां कई दिन तक इलाज चला। फिलहाल पीड़िता अपने परिवार के साथ दिल्ली में ही रह रही है, क्योंकि परिवार ने उन्नाव लौटने से इन्कार कर दिया था।

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