बच्चेदानी की जगह आंत में मिला भ्रूण को जीवन, डाक्टरों ने कुदरत का करिश्मा बताया

सोनी के गर्भ में भ्रूण को जीवन बच्चेदानी की जगह आंतों की झिल्लियों (पेरिटोनियम) में मिला। भ्रूण पूरे नौ माह तक इसी जगह पर रहा। गर्भावस्था की अवधि पूरी होने पर चित्रा विहार स्थित आरोग्य अस्पताल में डाक्टरों की टीम ने आपरेशन कर नवजात को जन्म दिया।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Thu, 12 Aug 2021 07:10 AM (IST) Updated:Thu, 12 Aug 2021 07:49 AM (IST)
बच्चेदानी की जगह आंत में मिला भ्रूण को जीवन, डाक्टरों ने कुदरत का करिश्मा बताया
आरोग्य अस्पताल में आपरेशन से हुआ नवजात का जन्म

नई दिल्ली [स्वदेश कुमार]। कई बार कुदरत ऐसे उदाहरण पेश करती है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी हैरान रह जाते हैं। कुछ ऐसा ही लक्ष्मीनगर की रहने वाले सोनी खान के साथ हुआ। दरअसल सोनी के गर्भ में भ्रूण को जीवन बच्चेदानी की जगह आंतों की झिल्लियों (पेरिटोनियम) में मिला। भ्रूण पूरे नौ माह तक इसी जगह पर रहा। गर्भावस्था की अवधि पूरी होने पर चित्रा विहार स्थित आरोग्य अस्पताल में डाक्टरों की टीम ने आपरेशन कर नवजात को जन्म दिया। नवजात का वजन 2.65 किलो है। डाक्टरों के मुताबिक जच्चा-बच्चा दोनों पूरी तरह से स्वस्थ हैं। फिलहाल अस्पताल में भर्ती हैं और दोनों को जल्द ही छुट्टी दे दी जाएगी।

फल आपरेशन के लिए डाक्टरों की टीम को बधाई

अस्पताल के निदेशक डाॅ. उमेश वर्मा ने सफल आपरेशन के लिए डाक्टरों की टीम को बधाई दी है। अस्पताल के सीईओ अनूप सिंह ने बताया कि सीनियर गाइनोकोलाजिस्ट डा. अंजलि चौधरी के साथ बाल रोग विशेषज्ञ नीति अग्रवाल और एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डा. निश्छल गुप्ता की टीम ने इस जटिल आपरेशन को सफल बनाया।

कुदरत का करिश्मा

डाॅ. अंजलि चौधरी ने बताया कि यह उनके जीवन का पहला मामला है। इसे कुदरत का करिश्मा ही कहेंगे कि बच्चेदानी में कोई गड़बड़ी नहीं है। इसके बावजूद भ्रूण आंतों की झिल्लियों के बीच पहुंच गया और उसने समय भी पूरा किया। उन्होंने बताया कि सोनी अपने पति शेख असरार के साथ गर्भ के सातवें महीने में पहुंची थी। इससे पहले छह बार उनका अल्ट्रासाउंड हो चुका था लेकिन इनमें यह पता नहीं चल पाया कि भ्रूण बच्चेदानी में नहीं है।

भ्रूण उल्टा होने पर आपरेशान बताया जरूरी

गत शुक्रवार को सोनी खान प्रसव पीड़ा के साथ अस्पताल पहुंची। जांच में पता चला कि भ्रूण उल्टा है और आपरेशन करना जरूरी है। आपरेशन के दौरान ही हमें यह पता चला कि भ्रूण आंतों की झिल्लियों के पास है। ऐसे में बेहद सावधानी की जरूरत थी। सोनी का पहला बच्चा पांच साल का है। उसका जन्म भी आपरेशन से ही हुआ था लेकिन वह बच्चेदानी में ही था। उधर, सोनी और उनके परिवार ने इसके लिए अस्पताल के डाक्टरों का आभार जताया है। जानकारों के मुताबिक इस तरह के मामले दुर्लभ हैं। करीब पांच साल पहले इसी तरह का एक मामला लखनऊ में सामने आया था।

भ्रूण का समय पूरा करना और फिर जन्म लेना दुर्लभ

इस तरह के मामले लाखों में एक सामने आते हैं। इसमें भ्रूण का समय पूरा करना और फिर जन्म लेना दुर्लभ है। दरअसल बच्चेदानी में छेद या अन्य किसी कारण से भ्रूण आंतों के पास चिपक जाता है। अगर रक्त की आपूर्ति में कोई व्यवधान नहीं है तो भ्रूण जीवित रह जाता है। इस मामले में भी संभवत: ऐसा ही हुआ है।

डा. शारदा जैन, महासचिव, दिल्ली गाइनोकाेलाजिस्ट फोरम

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