Union Budget 2021: स्वास्थ्य क्षेत्र में बदलाव लाने वाला है बजट
अधिवक्ताओं ने बजट को आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में मजबूत कदम की नींव रखने वाला बताया। वहीं कुछ बजट से खासे संतुष्ट नहीं दिखाई दिए। उनके हिसाब से बजट में निम्न व मध्यम वर्ग को राहत नहीं दी गई।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से पेश किए गए बजट पर अधिवक्ताओं के बीच मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। अधिवक्ताओं ने बजट को आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में मजबूत कदम और स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बजट में किए गए प्रविधान को भविष्य में बदलाव की नींव रखने वाला बताया। वहीं, कुछ बजट से खासे संतुष्ट नहीं दिखाई दिए। उनके हिसाब से बजट में निम्न व मध्यम वर्ग को राहत नहीं दी गई, जिसके कारण उनके लिए आना वाला समय और चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
मेरे हिसाब से इस बार का बजट ठीक है। स्वदेशी को अपनाने पर जोर देने की बात की गई है, जिससे आत्मनिर्भर भारत को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। एनआरआइ को भारत में निवेश करने की सुविधा दी गई है। इससे रोजगार में वृद्धि होगी। 75 वर्ष से ऊपर वाले लोगों को आयकर रिटर्न में छूट दी गई है, जो बहुत बढ़िया कदम है। इससे हमारे बुजुर्गो को परेशान नहीं होना पड़ेगा।
-आर कृष्णामूर्ति, अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट
कोरोना महामारी के बाद सरकार देश को विकास के रास्ते पर ले जाने के लिए जो कुछ कर सकती थी, वह बजट में करने की कोशिश की गई है। विशेष तौर पर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार ने कई अहम प्रविधान बजट में किए हैं, जो सराहनीय हैं।
-सुरेंद्र कुमार गंगेले, अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट
कोरोना से सामने आई स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए अच्छा बजट पेश किया है। निश्चित तौर पर यह स्वास्थ्य क्षेत्र में एक बड़े बदलाव की नींव रखेगा। जहां तक अधिवक्ताओं की बात है तो इस बजट में महामारी के बाद से आर्थिक संकट से जूझ रहे अधिवक्ताओं के लिए निराश करने वाला बजट है। न ही उनके लिए कोई प्रविधान किया गया और न ही कर में कोई छूट देकर राहत दी गई।
-मोहित माथुर, अध्यक्ष, दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन
कोरोना महामारी के बीच पहले ही लोगों के पास रोजगार नहीं है। ऐसे वक्त में शिक्षा व पेट्रोल-डीजल पर सेस लगाने का असर आम आदमी पर पड़ेगा। इस बजट से निम्न और मध्यम वर्ग को खासी उम्मीदें थी, लेकिन सरकार राहत देने में नाकाम रही है।
-प्रदीप शर्मा, अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट
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