CSR के तहत भी हो सकता है कि ऐतिहासिक जामा मस्जिद की मरम्मत का काम, तलाशी जा रही संभावनाएं

पुरानी दिल्ली के मध्य में स्थित तकरीबन 365 वर्ष पुरानी यह ऐतिहासिक इमारत खस्ताहाल में है। मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने इसकी मरम्मत के लिए प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा है। मस्जिद की गुंबद के साथ दरवाजे और अन्य स्थानों से पत्थर के टुकड़े गिर रहे हैं।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 12:33 PM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 12:33 PM (IST)
CSR के तहत भी हो सकता है कि ऐतिहासिक जामा मस्जिद की मरम्मत का काम, तलाशी जा रही संभावनाएं
जामा मस्जिद की मरम्मत के लिए समिति के महासचिव तारीक बुखारी ने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है।

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। ऐतिहासिक जामा मस्जिद की मरम्मत के लिए मस्जिद प्रबंधक कारपोरेट सोशल रिस्पांसबिल्टी (सीएसआर) फंड की भी संभावनाएं तलाश रहा है। इसके लिए निजी कंपनियों और दानदाताओं से संपर्क साधा जा रहा है। इसके लिए केंद्र सरकार से भी हस्तक्षेप की मांग की गई है। इस संबंध में जामा मस्जिद सलाहकार समिति के महासचिव तारीक बुखारी ने कहा कि मस्जिद की जो स्थिति है। उसमें तकरीबन आठ साल तक नियमित मरम्मत कार्य की जरूरत है। तब आगे भी 100 साल तक मस्जिद ऐसी ही स्थिति में खड़ी रहेगी। इसके लिए कम से कम आठ से 10 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसके साथ ही नियमित देखभाल के लिए भी हर माह 20 से 25 लाख रुपये की जरूरत होगी।

इस धन की व्यवस्था इस तरह हो, जो नियमित बना रहे, उसमें रूकावट न आएं। पुरानी दिल्ली के मध्य में स्थित तकरीबन 365 वर्ष पुरानी यह ऐतिहासिक इमारत फिलहाल खस्ताहाल में है। मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने इसकी मरम्मत के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी पत्र लिखा है। मस्जिद की गुंबद के साथ दरवाजे और अन्य स्थानों से पत्थर के टुकड़े गिर रहे हैं। तीनों गुंबद में से बारिश का पानी टपकता है, जिससे यह और खराब स्थिति में पहुंच गया है। कोरोना काल के पहले तक राष्ट्रीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा मुख्य गुंबद में कुछ मरम्मत का काम कराया गया था। कोरोना आने के बाद से वह बंद है। पिछली बारिश में जब पानी ज्यादा नीचे आने लगा तो फिर सीमेंट से दरारों का भरने का काम किया गया।

जबकि, ऐतिहासिक इमारतों में सीमेंट का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसपर तारीक बुखारी कहते हैं कि मस्जिद की स्थिति वाकई में खराब है। इस मामले में तत्काल सरकार और एजेंसियों के हस्तक्षेप की आवश्यकता है।उन्होंने कहा कि एएसआइ के कानून में यह प्रविधान है कि निजी कंपनियों या दानदाताओं के पैसे में से 26 से 28 प्रतिशत लेकर वह किसी इमारत के संरक्षण का काम कर सकती है। ऐसे में हमने सरकार से आग्रह किया है कि वह इसके लिए एएसआइ को निर्देशित करें। साथ ही सीएसआर फंड के दिलवाने के मामले में भी सहयोग करें। बुखारी ने कहा कि वैसे, खुद भी इस मामले में संभावनाएं तलाशी जा रही है। इसके लिए निजी कंपनियों से संपर्क साधा जा रहा है।

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