दिल्ली-सहारनपुर राजमार्ग पर कट सकते हैं 2 हजार से अधिक पेड़, NHAI ने वन विभाग से मांगी अनुमति

एनएचएआइ ने दिल्ली-सहारनपुर राजमार्ग के छह-लेन हाइवे के 14.75 किलोमीटर का हिस्सा तैयार करने के लिए दिल्ली वन विभाग से अनुमति मांगी है। वन विभाग से अनुमति मिलने पर दो हजार से अधिक पेड़ों को काटा जा सकता है।

By Pradeep ChauhanEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 06:32 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 07:29 PM (IST)
दिल्ली-सहारनपुर राजमार्ग  पर कट सकते हैं 2 हजार से अधिक पेड़, NHAI ने वन विभाग से मांगी अनुमति
दिल्ली-सहारनपुर राजमार्ग के निर्माण में दो हजार से अधिक पेड़ कट सकते हैं। प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली-सहारनपुर राजमार्ग के निर्माण में दो हजार से अधिक पेड़ों की बलि चढ़ सकती है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने इस क्षेत्र को ही वन भूमि की श्रेणी से हटाने की मांग कर दी है। अब वन विभाग से अनुमति मिलने का इंतजार है। जानकारी के मुताबिक पूर्वी और पूर्वोत्तर दिल्ली में 14 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र में 2,038 पेड़ हैं, जिसे छह लेन वाले राजमार्ग के निर्माण के लिए हटाने का प्रस्ताव है। वन विभाग से पेड़ों को हटाने की अनुमति मिलते ही प्रोजेक्ट को पूरा कराने का रास्ता साफ हो जाएगा। हाइवे से पेड़ नहीं हटने के कारण प्रोजेक्ट में लेटलतीफी हो रही है।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि एनएचएआइ ने दिल्ली-सहारनपुर राजमार्ग के छह-लेन हाइवे के 14.75 किलोमीटर का हिस्सा तैयार करने के लिए दिल्ली वन विभाग से अनुमति मांगी है। प्रस्ताव के अनुसार परियोजना उक्त वन भूमि से गुजर रही है, इसीलिए यहां का भू उपयोग बदला जाना जरूरी है। हाइवे का निर्माण होने से वाहन चालकों को काफी राहत मिलेगी। चौड़ीकरण होने से जाम जैसी समस्या नहीं होगी। समाजसेवी मनोज ने बताया कि प्रोजेक्ट में बाधा बने पेड़ों को वन विभाग की अनुमति से काटा जाना तो ठीक है। लेकिन उतने ही पेड़ हाइवे का निर्माण पूरा होने पर लगाए जाने चाहिए। इसके लिए एनएचएआई के अधिकारियों को पत्र लिखा जाएगा।

देश का दूसरा सबसे बड़ा राजमार्ग निर्माण प्रोजेक्ट

अक्षरधाम एनएच-9 जंक्शन और दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा के बीच खिंचाव पर स्थित इन पेड़ों की प्रजातियों में शीशम, सहतुत, पीपल, चंपा, अशोक, सुबाबुल, नीम, नीलगिरी, कीकर, बेर, जामुन और गूलर शामिल हैं। मालूम हो कि 1,500 करोड़ रुपये की यह परियोजना भारतमाला परियोजना के पहले चरण का हिस्सा है, जो देश का दूसरा सबसे बड़ा राजमार्ग निर्माण प्रोजेक्ट है। इसके तहत 50,000 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया जाएगा। प्रोजेक्ट का कार्य पूरा होने पर लोगों को टूटी सड़कों और जाम की समस्या से पूरी तरह से राहत मिल जाएगी।

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