10 हजार कोविड केयर सेंटर के बेड पर मात्र 500 पर ही हो रहा लोगों का इलाज, नहीं साबित हो पाई उपयोगिता
छतरपुर स्थित राधा स्वामी सत्संग ब्यास परिसर में 10 हजार बेड का सरदार पटेल कोविड केयर सेंटर बनाया था। इससे लोगों में यह भरोसा भी जगा कि उन्हें इलाज जरूर मिलेगा इस वर्ष जब ज्यादा बेड की दरकार है तो यह सेंटर उपयोगिता साबित करने में नाकाम साबित हुआ है।
नई दिल्ली, [गौरव बाजपेई]। बीते वर्ष जब कोरोना ने भारत में दस्तक दी तो छतरपुर स्थित राधा स्वामी सत्संग ब्यास परिसर में 10 हजार बेड का सरदार पटेल कोविड केयर सेंटर बनाकर देश को संदेश दिया गया कि कुछ भी नामुमकिन नहीं है। इससे लोगों में यह भरोसा भी जगा कि उन्हें इलाज जरूर मिलेगा, लेकिन इस वर्ष जब ज्यादा बेड की दरकार है तो 10 हजार बेड की ख्याति वाला यह सेंटर उपयोगिता साबित करने में नाकाम साबित हुआ है।
पिछले वर्ष जब इसे शुरू किया गया था तो इस बात का खूब प्रचार हुआ कि यहां 10 हजार लोगों का इलाज हो सकता है, लेकिन जब इस वर्ष मार्च में कोरोना के मामले उच्च स्तर पर पहुंच गए और लोग बदहवास होकर अस्पताल व बेड के लिए भटकने लगे तो 26 अप्रैल को आनन-फानन में इसमें 150 बेड पर इलाज की व्यवस्था की गई और आलम यह है कि अभी तक यहां सिर्फ 500 बेड पर ही इलाज हो रहा है, जबकि इसको बनाने के लिए केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और दक्षिणी दिल्ली जिला प्रशासन सब अपनी पीठ ठोकते नजर आते हैं। दक्षिणी दिल्ली जिला प्रशासन के अधिकारी कहते हैं कि उनका काम इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराना था, जो उन्होंने कर दिया। वहीं, अस्पताल का संचालन आइटीबीपी के हाथों में है, जबकि चिकित्सा उपकरण व अन्य जरूरतें पूरी करने की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार की है।
पूरी क्षमता से कभी संचालित ही नहीं हुआ
पिछले वर्ष जुलाई में यहां सिर्फ बिना लक्षण वाले व हल्के लक्षण वाले मरीजों को ही रखा जा रहा था। जब कोरोना अपने चरम पर था तब भी यह सेंटर कभी पूरी क्षमता से संचालित नहीं हुआ। सुविधाओं के अभाव के कारण मरीज यहां आना ही नहीं चाहते थे। इसलिए 22 फरवरी को सेंटर बंद कर दिया गया, इस वर्ष मार्च में जब फिर से कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी तो इसे दोबारा शुरू करने का करना पड़ा, जिसमें काफी वक्त लगा। यहां लगातार आक्सीजन व मेडिकल एवं पैरामेडिकल स्टाफ की कमी बनी रही। इसके अलावा यहां प्रवेश के लिए इतनी औपचारिकताएं हैं कि कई मरीजों ने तो सेंटर के गेट पर ही दम तोड़ दिया। अभी भी केवल उन्हीं मरीजों को भर्ती किया जाता है जिनका आक्सीजन का स्तर 85 से ऊपर हो।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे पांच हजार बिस्तरों के साथ संचालित करने की बात कही थी, लेकिन अभी सिर्फ 500 बेड पर ही इलाज हो रहा है। अगर, यह 10 हजार बिस्तर वाला अस्पताल समय रहते तैयार हो जाता तो राजधानी की स्थिति इतनी गंभीर नहीं होती। सौ से अधिक की मौतइस बार अब तक कुल 1,100 मरीज भर्ती हुए, जिनमें से 100 से अधिक मरीजों की मौत हो गई है। 150 से अधिक मरीजों को दूसरे अस्पतालों में रेफर कर दिया गया था। अभी कुल 500 मरीजों का इलाज अस्पताल में किया जा रहा है।