आयुर्वेद में है कोरोना के हल्के मरीजों का इलाज, आयुर्वेद संस्थान में हो चुके 600 मरीज ठीक, किसी की मौत नहीं

सरिता विहार स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआइआइए) के कोविड हेल्थ सेंटर में दूसरी लहर के दौरान अब तक 150 मरीजों का सफल इलाज किया जा चुका है। एआइआइए की निदेशक डा. तनुजा मनोज नेसरी ने बताया कि पूरे कोरोना काल में यहां 600 मरीजों का सफल इलाज हुआ है

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 09:02 AM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 09:02 AM (IST)
आयुर्वेद में है कोरोना के हल्के मरीजों का इलाज, आयुर्वेद संस्थान में हो चुके 600 मरीज ठीक, किसी की मौत नहीं
कोरोना काल में यहां 600 मरीजों का सफल इलाज हुआ है और एक भी मरीज की मौत नहीं हुई है।

नई दिल्ली, [अरविंद कुमार द्विवेदी]। कोरोना के हल्के व माडरेट (कम गंभीर) मरीजों का आयुर्वेद के जरिये सटीक इलाज किया जा रहा है। सरिता विहार स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआइआइए) के कोविड हेल्थ सेंटर में दूसरी लहर के दौरान अब तक 150 मरीजों का सफल इलाज किया जा चुका है। एआइआइए की निदेशक डा. तनुजा मनोज नेसरी ने बताया कि पूरे कोरोना काल में यहां 600 मरीजों का सफल इलाज हुआ है और एक भी मरीज की मौत नहीं हुई है।

उन्होंने बताया कि चार कड़वी जड़ी-बूटियों चिरायता, सप्तपर्णा, कुटकी व लताकरंज से तैयार आयुष-64 भी कोरोना मरीजों के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। डा. तनुजा ने बताया कि यहां भर्ती 93 प्रतिशत मरीजों का इलाज आयुर्वेद से ही किया गया, जिसमें आयुर्वेदिक दवाएं, योग व प्राणायाम शामिल है। वहीं, सात प्रतिशत मरीजों के इलाज में एलोपैथ की भी सहायता ली गई।

यहां 90 प्रतिशत आक्सीजन लेवल तक के मरीजों को भर्ती किया जाता है। अस्पताल के सभी 45 बेड पर आक्सीजन उपलब्ध है। हल्के लक्षण वाले जिन मरीजों की सांस फूलती है, स्वाद व गंध नहीं आता है वे मरीज सात से आठ दिन में ठीक हो जाते हैं। जिनकी हालत गंभीर हो जाती है या आक्सीजन लेवल 90 से नीचे चला जाता है उन्हें एलोपैथी के अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है।

हालांकि आजकल अस्पताल फुल होने के कारण रेफर मरीजों को वहां भी जल्दी बेड नहीं मिलता है। डा. तनुजा ने बताया कि आयुष मंत्रालय की ओर से जारी प्रोटोकाल के तहत ही मरीजों को दवा दी जा रही है। उन्हें दालचीनी, तुलसी, सोंठ, काली मिर्च, मुलेठी से बना काढ़ा, गिलोय की वटी व महासुदर्शन घनवटी दी जाती है। कोरोना का नया स्ट्रेन अब सीधे पित्त को संक्रमित कर रहा है। इसलिए अब काढ़े में अडुसा, गिलोय व मुलेठी की मात्रा थोड़ी बढ़ाई गई है। स्ट्रेन के साथ ही हमने दवाओं को भी बदला है।

जिन मरीजों को पहले से मधुमेह, हाइपरटेंशन या दिल की बीमारी होती है उन्हें आयुर्वेद व एलोपैथ दोनों दवाएं दी जाती हैं और उनका विशेष ध्यान भी रखा जाता है। कोरोना का नया स्ट्रेन बहुत तेजी से फैल रहा है। इसलिए बाहर निकलने से पहले नाक में सरसों, तिल या अणु तेल एक-एक बूंद जरूर डालें। यह वायरस को सांस के जरिये शरीर में प्रवेश नहीं करने देता है। हल्के गर्म पानी में हल्दी व नमक डालकर रोज सुबह गरारा जरूर करें। बाहर रहने पर दो मास्क लगाएं और शारीरिक दूरी का पालन जरूर करें।

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