ई-कामर्स कंपनियां बढ़ा रही हैं बाजार की चिंता, दिल्ली के व्यापारियों ने उठाई आवाज

व्यापारियों का कहना है कि 30 फीसद से अधिक का कारोबार हथिया लिया है। धीरे-धीरे जब यह बढ़कर 50 फीसद से अधिक पहुंच जाएगा तो देश का व्यापार इनकी गिरफ्त में आ जाएगा और बाजार को ये अपने हिसाब से चलाने लगेंगी। यह अच्छी स्थिति नहीं होगी।

By Jp YadavEdited By: Publish:Thu, 07 Oct 2021 09:40 AM (IST) Updated:Thu, 07 Oct 2021 10:34 AM (IST)
ई-कामर्स कंपनियां बढ़ा रही हैं बाजार की चिंता, दिल्ली के व्यापारियों ने उठाई आवाज
ई-कामर्स कंपनियां बढ़ा रही हैं बाजार की चिंता, दिल्ली के व्यापारियों ने उठाई आवाज

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली व्यापार महासंघ के अध्यक्ष देवराज बवेजा ने कहा कि ई-कामर्स कंपनियों की मनमानी बाजार की चिंता बढ़ाने वाली है। इससे खुदरा के साथ थोक कारोबार भी प्रभावित हो रहा है। अगर समय रहते इन पर काबू नहीं पाया गया तो इसके गंभीर दुष्परिणाम देखने को मिलेंगे। अभी ही हजारों दुकानों का काम प्रभावित होने और उनके बंद होने के पीछे ई-कामर्स कंपनियां भी एक कारक हैं।

उन्होंने कहा कि अभी ही 30 फीसद से अधिक का कारोबार हथिया लिया है। धीरे-धीरे जब यह बढ़कर 50 फीसद से अधिक पहुंच जाएगा तो देश का व्यापार इनकी गिरफ्त में आ जाएगा और बाजार को ये अपने हिसाब से चलाने लगेंगी। यह अच्छी स्थिति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि सरकार इनके लिए नीति निर्धारण कर रही है, लेकिन देशी-विदेशी ई-कामर्स कंपनियां नीतियों को अपने पक्ष में करने के लिए देश के शीर्ष अधिकारियों से साठगांठ कर रही हैं।

गौरतलब है कि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) भी बड़ी ई-कामर्स कंपनियों द्वारा अपने पोर्टल पर बेचे जा रहे सामनों के बारे में अपनी चिंता जता चुका है। कैटे के मुताबिक, बड़ी ई कॉमर्स कंपनियां सामानों की कीमतों को कृत्रिम रूप से कम कर सरकार को मिलने वाले जीएसटी राजस्व से बच रही हैं। कैट के पदाधिकारियों का कहना है कि ई कामर्स कंपनियां सामान को वास्तविक बाजार कीमत से काफी कम दामों पर बेचते रही हैं, इससे राज्य सरकारों एवं केंद्र सरकार को जीएससटी राजस्व का बड़ा नुकसान हो रहा है।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल कुछ महीने पहले ही सभी मुख्यमंत्रियों को भेजे पत्र में ई कामर्स कंपनियों द्वारा कम दामों पर बेचे जा रहे सामान से अवगत करा चुके हैं। इससे सरकारों को सीधे तौर पर जीएसटी राजस्व का नुकसान होता है।

chat bot
आपका साथी