Toolkit Case: जानिए शांतनु से पूछताछ में दिल्ली पुलिस को मिली क्या नई जानकारियां, कैसे रची थी साजिश

टूलकिट मामले में दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने गत दिनों शांतनु मुलुक की जमानत अर्जी पर विरोध करते हुए हुए अदालत को बताया कि उसने षड्यंत्र के तहत टूलकिट बनाने में सहयोग किया था। काम-इन-नेटिंग पैक के जरिये गुगल क्लाउड डाक्युमेंट की मदद से इसे तैयार किया गया था।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 11:59 AM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 06:24 PM (IST)
Toolkit Case: जानिए शांतनु से पूछताछ में दिल्ली पुलिस को मिली क्या नई जानकारियां, कैसे रची थी साजिश
शांतनु से पूछताछ में कई विसंगतियां व विरोधाभास पाए गए, बैंक खाते की जांच के लिए पूछताछ की जरूरत।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। टूलकिट मामले में दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने गत दिनों शांतनु मुलुक की जमानत अर्जी पर विरोध करते हुए हुए अदालत को बताया कि उसने षड्यंत्र के तहत टूलकिट बनाने में सहयोग किया था। काम-इन-नेटिंग पैक के जरिये गुगल क्लाउड डाक्युमेंट की मदद से इसे तैयार किया गया था। बाद में दस्तावेज हाइपरलिंक्स के माध्यम से अन्य लोगों को भेजा गया।

टूलकिट में देश विरोधी बातें लिखी हुई थीं जिसका मुख्य उद्देश्य कृषि कानून विरोधी प्रदर्शनकारियों को भड़काना और हिंसा फैलाना था। पुलिस ने यह भी कहा कि टूलकिट में भारत विरोधी प्रचार करने वाले वेबसाइटों के लिंक मिले हैं। शांतनु से पूछताछ में कई विसंगतियां व विरोधाभास पाए गए हैं। इसकी जांच की जा रही है। शांतनु के बैंक खाते की जांच के लिए आरोपित से और विस्तार से पूछताछ की जरूरत है। 

इससे पहले पुलिस ने दिशा रवि को गिरफ्तार किया था। दिशा रवि की गिरफ्तारी के बाद इस मामले में कई और नाम सामने आए, उसके बाद पुलिस ने उन सभी को हिरासत में लिया और उनसे पूछताछ की। उसके बाद अब इस पूरे कांड से पर्दा उठता जा रहा है। फिलहाल पुलिस की पूछताछ जारी है। 

आरोपित 20 जनवरी, 2021 से 27 जनवरी तक प्रदर्शन में शामिल रहा था। इस दौरान उसने क्या-क्या किया इसके लिए अभी और पूछताछ की जानी है। पुलिस ने बताया कि टूलकिट के मसौदे से समझा जा सकता है इसमें 26 जनवरी से पहले ही फर्जी बातें लिखकर पेज को तैयार कर लिया गया था। उसमें लिखा गया था कि पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े और वाटर केनन का प्रयोग किया। इससे सैकड़ों लोग घायल हो गए।

कई आंदोलनकारियों की मौत हो चुकी है और कई अभी तक गायब हैं। अगर आरोपित के अपने मंसूबों में कामयाब रहता तो इस तरह की बातें इंटरनेट मीडिया पर वायरल होतीं तो बेहिसाब ¨हसा हो सकती थी। 

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