तीन साल बाद धराये रकम गबन करने के आरोपित, पैसे से कारोबार करना चाहते थे शुरू
बाहरी जिले के डीसीपी परविंदर सिंह ने बताया कि पीतमपुरा स्थित कृष आटोमोटर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने वर्ष 2018 के अक्टूबर में मंगोलपुरी थाने में शिकायत दी थी कि उनकी कंपनी में बतौर कैशियर काम करने वाले लोकेश व सुखविंदर ने 49 लाख रुपये का गबन किया है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। मंगोलपुरी थाना पुलिस ने तीन साल बाद एक कंपनी के 49 लाख रुपये गबन करने के दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है। दोनों के खिलाफ कंपनी ने वर्ष 2018 में मामला दर्ज कराया था। मामला दर्ज होने के बाद दोनों लापता हो गए थे। एक आरोपित ने खुद को बचाने के लिए अपने स्वजन से कंपनी के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज करा दिया था।
बाहरी जिले के डीसीपी परविंदर सिंह ने बताया कि पीतमपुरा स्थित कृष आटोमोटर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने वर्ष 2018 के अक्टूबर में मंगोलपुरी थाने में शिकायत दी थी कि उनकी कंपनी में बतौर कैशियर काम करने वाले लोकेश व सुखविंदर ने 49 लाख रुपये का गबन किया है। दोनों वर्ष 2016 से कंपनी में काम करते थे। वर्ष 2018 में कंपनी की आडिट में रकम गबन करने की जानकारी मिली।
ऐसे में मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई तो दोनों आरोपित अपने घर से गायब मिले। लेकिन, लोकेश शर्मा ने कंपनी पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए एक सुसाइड नोट लिखकर छोड़ दिया और किसी को बिना बताए घर से लापता हो गया। पुलिस उसे खोजने में जुटी थी। लेकिन, उसका कोई पता नहीं चल पा रहा था। इस बीच वर्ष 2020 में उसके स्वजन ने बुराड़ी थाने में उक्त कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ उसके अपहरण का मामला दर्ज करा दिया।
डीसीपी ने बताया कि चूंकि आरोपिताें का कुछ पता नहीं चल पा रहा था और मामला भी पुराना हो चुका था। ऐसे मेंं इसकी गुत्थी को सुलझाने के लिए एसीपी वीरेंद्र कादयान की देखरेख में मंगोलपुरी थाने के एसएसओ मुकेश कुमार के नेतृत्व में टीम गठित की गई।
टीम ने पहले दोनों आरोपितों के स्वजन से उनके बारे में जानकारी लेनी चाही, लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिली। ऐसे में टेक्निकल सर्विलांस व मुखबिराें की सहायता ली गई। जिसके आधार नैनीताल में कई जगहों पर छापेमारी की गई, लेकिन उनका कुछ पता नहीं चला। इस बीच टीम को पता चला कि लोकेश कश्मीरी गेट बस अड्डा पर है। ऐसे में उसे दबोच लिया गया। इसके बाद दूसरे आरोपित सुखविंदर को भी गिरफ्तार कर लिया।
कर्ज चुकाया तो खरीदा फ्लैट
जांच में सामने आया कि गबन किए गए रुपये में मिले हिस्से से सुखविंदर ने उत्तम नगर में फ्लैट खरीद लिया तो लोकेश ने कर्ज चुकाये थे। आरोपित उत्तराखंड में कारोबार करने की योजना बना रहे थे और परिवार को भी अपने साथ ले जाने वाले थे।