दिल्ली वासियों का यह रवैया और लापरवाही कतई स्वीकार्य नहीं
ध्यान रखना होगा कि यह महामारी हल्के में लेने लायक नहीं है। जनता की लापरवाही ही सरकार को कठोर निर्णय लेने पर विवश करती है। इसलिए सावधानी बरतें संयम से काम लें और सरकार द्वारा तय नियम-कायदों का ईमानदारी से पालन करें।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच दिल्ली में लॉकडाउन की घोषणा होते ही लोगों में अफरातफरी की स्थिति बन जाना चिंताजनक है। ज्यादातर बाजारों, मॉल, प्रमुख स्टोर, दुकानों, रेस्तरां इत्यादि सभी जगह दिल्लीवासी खरीदारी को ऐसे उमड़ पड़े जैसे दोबारा कभी खरीदारी कर ही न पाएंगे। जिस संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए दिल्ली में छह दिन का लॉकडाउन लगाया जा रहा है, उसे एक ही दिन में इतना फैला दिया कि शायद छह दिन भी उसे तोड़ने या छोटा करने में कम पड़ जाएं। जगह जगह लोग शारीरिक दूरी के नियमों की ऐसे धज्जियां उड़ाते नजर आए मानो लॉकडाउन कोई पिकनिक हो। बहुत सी जगह सड़कों पर भी जाम देखने को मिला। दिल्लीवासियों का यह रवैया और लापरवाही कतई स्वीकार्य नहीं हो सकती। इसे सभ्य समाज का आचरण भी नहीं कहा जा सकता।
पिछले एक साल के दौरान यह अब साबित हो चुका है कि कोरोना को थामने में मास्क और शारीरिक दूरी के मानकों का अहम योगदान है। जहां कहीं भी इनका ईमानदारी व संजीदगी से पालन किया गया, कोरोना संक्रमण भी तेजी से कम हुआ है। लेकिन जहां लापरवाही बढ़ी वहीं स्थिति बिगड़ गई। हालांकि स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और दवाओं की कालाबाजारी भी हालात को भयावह बना रही हैं, इसके बावजूद संयम से काम लेना ही समझदारी है। इस बिंदु पर भी सोचा जाना चाहिए कि अगर सभी संयम से काम लें और संक्रमण से बचाव के लिए दिशा-निर्देशों का पालन करें तो शायद लॉकडाउन की नौबत ना आए। ध्यान रखना होगा कि यह महामारी हल्के में लेने लायक नहीं है। जनता की लापरवाही ही सरकार को कठोर निर्णय लेने पर विवश करती है। इसलिए सावधानी बरतें, संयम से काम लें और सरकार द्वारा तय नियम-कायदों का ईमानदारी से पालन करें। हालात जल्द ही बदलेंगे।