बच्चों में कैंसर : बीमार की पहचान और इलाज के बीच समय को कम से कम करें

हाल में लोगों के दिनचर्या में जो बदलाव आया है उसका प्रभाव उनके बच्चों पर भी पड़ रहा है। उनमें कैंसर की बीमारी लगातार बढ़ रही है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Thu, 20 Sep 2018 04:16 PM (IST) Updated:Fri, 21 Sep 2018 11:01 AM (IST)
बच्चों में कैंसर : बीमार की पहचान और इलाज के बीच समय को कम से कम करें
बच्चों में कैंसर : बीमार की पहचान और इलाज के बीच समय को कम से कम करें

नई दिल्ली (जेएनएन)। कैंसर पूरे विश्व में बहुत तेजी से अपना पांव पसार रहा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। यहां भी आए दिन हजारों लोग इसके शिकार हो रहे हैं। बड़े ही नहीं, अब तो बच्चे भी इसके शिकार हो रहे हैं।

सही कारणों का पता लगाना कठिन
तमाम शोधों के बावजूद कैंसर के सही कारणों का पता लगा पाना संभव नहीं हो सका है। कुछ वजहें केवल चिह्न्ति की गई हैं, जिसे पहचान कर उसे इसके कारण करार दिए गए हैं। वैसे तो ज्यादातर यह बड़ी उम्र के लोगों में ही दिखाई देती है, लेकिन बिगड़ती दिनचर्या के कारण आए दिन बच्चों के भी इससे पीड़ित होने के मामले सामने आते रहते हैं। 

दिनचर्या में बदलाव के कारण
विशेषज्ञों का मानना है कि एक-दो दशकों में लोगों की दिनचर्या में जो बदलाव आया है उसका प्रभाव उनके बच्चों पर भी पड़ रहा है। उनमें कैंसर की बीमारी लगातार बढ़ रही है, जिसमें सबसे अधिक ब्लड और रेटिनोब्लास्टोमा  है। एक शोध के अनुसार, हर साल बहुत से बच्चे कैंसर जैसी बीमारी के कारण मौत की चपेट में आ जाते हैं। बच्चों को इससे सुरक्षित रखने के लिए अभिभावकों को खास ख्याल रखने की जरूरत है, ताकि वो इसे पहचान कर बच्चों को सुरक्षित रख सकें।

शुरू में पहचान जरूरी
डॉक्टरों का कहना है कि शुरू में ही यदि इसकी पहचान हो जाए तो परेशानी कम हो सकती है। इस बीमारी का पता चलने पर बच्चे की जान बचाई जा सकती है, क्योंकि बच्चों में कैंसर बड़ों से काफी अलग होती है। यदि कैंसर के लक्षणों को पहचान लिया जाए, तो इलाज करवाकर उसे बचाया जा सकता है।

ये हैं बच्चों में कैंसर के लक्षण

- अगर बच्चों की आंखों में अचानक चमक, पानी निकलना, धुंधला दिखाना, सूजन और भेंगापन दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाएं। ये आंखों के ट्यूमर या रेटिनोब्लास्टोमा के लक्षण हो सकते हैं।

- मौसम में बदलाव होने पर बच्चों को अक्सर बुखार हो जाता है, लेकिन अगर उन्हें बार-बार बुखार, कमजोरी और बदन दर्द हो तो चेकअप करवा लें। ब्लड कैंसर होने पर बच्चों में ये लक्षण दिखाई देते हैं।

- खेलकूद के दौरान अक्सर बच्चों को चोट लग जाती है, लेकिन उनके घाव जल्दी न भरना खतरे की बात हो सकती है। अगर बच्चों के घाव जल्दी न भर रहे हों तो उसे अनदेखी करने की बजाए चेकअप करवा लें।

- लिम्फोमा ट्यूमर पर बच्चों के कांख, गले, जांघ के उपरी हिस्से और पेट में सूजन हो सकती है। इस तरह के लक्षण दिखने पर अनदेखी न करें।

- सिर में लगातार दर्द ब्रेन ट्यूमर का लक्षण है। कैंसर सेल्स बढ़ने के कारण मस्तिष्क में अधिक प्रेशर पड़ता है, जिससे असहनीय सिरदर्द होने लगता है।

- छोटी उम्र में सांस लेने की कमी ल्यूकेमिया का कारण बनती है, जोकि कैंसर के लिए जिम्मेदार होता है। ऐसे में आपको बच्चे को डॉक्टर के पास लेकर जाना चाहिए।

- वैसे तो अक्सर बाहर का या गलत खाने के कारण बच्चों को फूड प्वाइजनिंग, खांसी या पेट में फ्लू हो जाता है। मगर इससे दिमाग पर असर पड़ने पर यह कैंसर का संकेत होता है।

बचाव के उपाय
यूं तो कैंसर का नाम सुनते ही आधी जान निकल जाती है, लेकिन यदि इसे समय से पहचान लिया जाए और उसका सही से इलाज किया जाए तो जान बचाई जा सकती है। बच्चों के मामले में इलाज अधिक कठिन होता है। कैंसर की पहचान मुख्य चीज है। कैंसर से जूझ रहे बच्चों के जीवित बचने के मामलों में पिछले 30 साल में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। आज की तारीख में बच्चों में कैंसर के करीब 70 प्रतिशत मामले इलाज के योग्य हैं। आश्चर्य की बात है कि यह सुधार बच्चों में कैंसर के इलाज की नई दवाओं की खोज से नहीं आया है, बल्कि यह सुधार तीन चिकित्सा पद्धतियों-कीमोथेरेपी, सर्जरी और रेडियोथेरेपी के बेहतर तालमेल से हुआ है।

लगातार शोध की जरूरत
बच्चों के कैंसर के मामले में और शोध की जरूरत है। विशेषज्ञों का मानना है कि उपलब्ध थेरेपी को इलाज के नए इनोवेशन के साथ मिलाते हुए लगातार किए गए क्लीनिकल ट्रायल से यह सफलता हासिल की जा सकी है। समय पर इलाज मिलने से बेहतर नतीजों की उम्मीद बढ़ जाती है। बीमारी को पहचानने और इलाज शुरू होने के बीच के समय को कम से कम करना चाहिए।

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