सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत कोई चहलकदमी की जगह नहीं है कि जब मर्जी हो चले आएं
सुप्रीम कोर्ट ने पशुओं की तस्करी के मामले में दिल्ली सरकार की तरफ से 576 दिनों की देरी से दायर की गई याचिका खारिज कर दी। अधिकारियों को जमकर फटकार भी लगाई। अधिकारियों के घोर नकारापन और अक्षमता याचिका दायर करने में देरी की वजह है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। सुप्रीम कोर्ट ने पशुओं की तस्करी के मामले में दिल्ली सरकार की तरफ से 576 दिनों की देरी से दायर की गई याचिका खारिज कर दी। शीर्ष अदालत ने इस देरी के लिए अधिकारियों को जमकर फटकार भी लगाई। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी की पीठ ने कहा कि अधिकारियों के घोर नकारापन और अक्षमता याचिका दायर करने में देरी की वजह है।
पीठ ने कहा कि अगर सरकारी तंत्र समय पर अपील या याचिकाएं दायर करने में इतना ही नकारा और अक्षम है तो इसका एक ही समाधान हो सकता है कि विधायिका से सरकारी अधिकारियों की तरफ से अपील दायर करने की समय सीमा को बढ़ाने की अपील की जाए। पीठ ने यह कहते हुए सरकार की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करने से इन्कार कर दिया कि अदालत कोई चहलकदमी की जगह नहीं है कि जब मर्जी हो चले आए।
इस मामले में मार्च, 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने दोषियों की 10 साल कैद की सजा को घटाकर पांच साल कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार की तरफ से 10 जनवरी, 2020 को याचिका दायर की गई थी। लगभग दो साल फाइल सरकारी विभागों में ही चक्कर काटती रही।
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दरअसल कई बार सरकारी महकमों में फाइलों पर समय के हिसाब से काम ही नहीं होता है, वो एक टेबल से दूसरी टेबल पर घूमती रहती है। सरकारी महकमों में किसी फाइल को पास कराना कितना दुश्वर होता है ये किसी से छिपा नहीं है। कई विभागों में फाइलों को पास कराने के लिए यदि संबंधित अधिकारी को चढ़ावा नहीं चढ़ता तो उस फाइल को दबा दिया जाता है। कई बार तो इन अधिकारियों को ऐसी फाइलें ही नहीं मिलती है जिस पर इनको कुछ लाभ नहीं हो रहा होता है।
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