लैंडफिल की मिट्टी से बनेगा डीएनडी से बल्लभगढ़ तक प्रस्तावित एक्सप्रेस-वे, हाइवे बनाने के लिए जल्‍द होगा ट्रायल

लैंडफिल से निकल रही मिट्टी का सड़क निर्माण में उपयोग करने के लिए फिर कोशिश शुरू हुई है। दक्षिणी निगम ने इसके लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) से बात शुरू की है। इसमें एनएचएआइ की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया आई है।

By Jagran News NetworkEdited By: Publish:Fri, 17 Sep 2021 12:03 PM (IST) Updated:Fri, 17 Sep 2021 12:03 PM (IST)
लैंडफिल की मिट्टी से बनेगा डीएनडी से बल्लभगढ़ तक प्रस्तावित एक्सप्रेस-वे, हाइवे बनाने के लिए जल्‍द होगा ट्रायल
लैंडफिल से निकल रही मिट्टी का सड़क निर्माण में उपयोग

नई दिल्‍ली, जागरण संवाददाता। लैंडफिल से निकल रही मिट्टी का सड़क निर्माण में उपयोग करने के लिए फिर कोशिश शुरू हुई है। दक्षिणी निगम ने इसके लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) से बात शुरू की है। इसमें एनएचएआइ की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया आई है। अगर निगम को इसमें सफलता मिली तो देशभर में कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने व उससे निकलने वाली लैंडफिल की मिट्टी (निष्क्रिय अपशिष्ट) का उपयोग करने का रास्ता खुल जाएगा। हालांकि इससे पहले निगम को केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआइ) की परीक्षा में सफल होना होगा। अगर सफलता मिलती है तो सबसे पहले डीएनडी से बल्लभगढ़ तक प्रस्तावित एक्सप्रेस-वे में इसका उपयोग किया जाएगा।

दरअसल, पूर्वी निगम ने गाजीपुर लैंडफिल के निष्क्रिय अपशिष्ट का उपयोग सड़क में करने के लिए प्रयास किए थे, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली थी। दक्षिणी निगम ने इस दिशा में फिर कदम बढ़ाए हैं। इसके तहत निगम ने सीआरआरआइ से बात की है। इसके बाद निगम ने फैसला लिया है कि इसका ट्रायल 600 मीटर की एक सड़क बनाकर किया जाएगा। यह सड़क कहां बनेगी, फिलहाल इसके लिए स्थान चिन्हित करने का कार्य चल रहा है। सीआरआरआइ इस सड़क का निरीक्षण करके अध्ययन करेगी। इस दौरान इस पर भारी वाहनों को चलाया जाएगा।

पार्क बनाने की है योजना

वर्ष 2023 तक निगम इस लैंडफिल को पूरी तरह खत्म कर देगा। इसके बाद यहां पर पार्क बनाने की योजना है। हालांकि डीडीए ने निगम को पत्र लिखकर कहा है कि जगह खाली होने के बाद वापस उन्हें सौंप दिया जाए। निगम के अधिकारी ने बताया कि इस लैंडफिल पर 56 लाख टन कूड़ा पड़ा है। इसमें 80 फीसद निष्क्रिय अपशिष्ट निकलता है। इससे 44 लाख टन के करीब निष्क्रिय अपशिष्ट निकलेगा।

13 एजेंसियां कर रही हैं इस निष्क्रिय अपशिष्ट का उपयोग

ओखला लैंडफिल पर ट्रामल मशीनों से कूड़े में से मिट्टी व प्लास्टिक को अलग-अलग किया जा रहा है। इससे जो निष्क्रिय अपशिष्ट निकल रहा है, उसका उपयोग अन्य वस्तुओं में करने के लिए निगम ने 13 एजेंसियों को जोड़ा है। इसमें कई एजेंसियां सीमेंट के काम से जुड़ी हैं। इनके प्लांट में इसका उपयोग करने के लिए ये एजेंसिया इन निष्क्रिय अपशिष्ट को लेकर जा रही हैं। इससे पूर्व निगम ने बदरपुर के एनटीपीसी के ईको पार्क में डाला था। इसी तरह ताजपुर पहाड़ी व निगम के पार्को में इस निष्क्रिय अपशिष्ट को डाला जा रहा है। अब तक निगम 6.30 लाख टन निष्क्रिय अपशिष्ट का निस्तारण कर चुका है।

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