शंख बजाने से बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता! ज्यादातर पुजारी नहीं हुए कोरोना संक्रमित
झंडेवाला देवी मंदिर के प्रबंधक रविंद्र गोयल का कहना है कि मंदिर में कई पुजारी हैं जिनमें महावीर सुरेंद्र भंडारी केशव गिरीश शर्मा आदि पुजारी लगातार मां झंडेवाली की सेवा में रहते हैं जो अलग-अलग होने वाली पूजा अर्चना में शंख बजाते हैं।
नई दिल्ली [राहुल सिंह]। हिंदू धर्म में मांगलिक कार्य से पहले शंख बजाने की परंपरा है। इसके बाद ही किसी भी कार्य का शुभारंभ किया जाता है। इन दिनों शंख बजाने से लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ रही है। इस बात का अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि दिल्ली के प्रमुख मंदिरों में वर्षो से भगवान की सेवा करने वाले ज्यादातर पुजारी आज तक कोरोना संक्रमित नहीं हुए।
पुजारियों का कहना है कि शंख में लगातार फूंक मारने से उनके फेफड़ों की क्षमता बढ़ जाती है। यही वजह है कि वे कोरोना समेत अन्य बीमारियों की चपेट में नहीं आए। कनाट प्लेस स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर के महंत सुरेश शर्मा ने बताया कि मंदिर में कई पुजारियों की सेवाएं होती हैं, लेकिन मंदिर के पुजारी राजा राम 22 साल से भगवान हनुमान की सेवा में जुटे हुए हैं। वे सुबह-शाम भगवान की आरती करते हैं, जिसके बाद वे शंख बजाते हैं। उनका कहना है कि शंख बजाने से फेफड़ों की क्षमता बढ़ गई है, जिसकी वजह से वे कोरोना संक्रमित नहीं हुए हैं। उनका कहना है कि आगे भी ईश्वर की इसी तरह से सेवा करते रहें तो वे संक्रमित नहीं होंगे।
झंडेवाला देवी मंदिर के प्रबंधक रविंद्र गोयल का कहना है कि मंदिर में कई पुजारी हैं, जिनमें महावीर, सुरेंद्र भंडारी, केशव, गिरीश शर्मा आदि पुजारी लगातार मां झंडेवाली की सेवा में रहते हैं, जो अलग-अलग होने वाली पूजा अर्चना में शंख बजाते हैं। उनका कहना है कि मां की कृपा से वे अब तक कोरोना महामारी से बचे हुए हैं। पुजारियों का कहना है कि शंख बजाने के आध्यात्मिक गुण भी हैं। शंख की ध्वनि से वातावरण शुद्ध होता है। साथ ही इससे लोग बीमारियों से भी बचे रहते हैं।