हाई कोर्ट ने कहा हम दिल्ली को लंदन बनाने की बात करते हैं, पर करेंगे कैसे? पढ़िये और क्या कहा

पीठ ने नेहरू प्लेस और कनाट प्लेस जैसी जगहों का जिक्र करते हुए मौखिक रूप से कहा कि आप कनाट प्लेस में चल भी नहीं सकते क्योंकि जगह पर विक्रेताओं का कब्जा है और यह एक व्यवसाय बन गया है। नेहरू प्लेस में आप चल भी नहीं सकते।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 07:30 PM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 07:30 PM (IST)
हाई कोर्ट ने कहा हम दिल्ली को लंदन बनाने की बात करते हैं, पर करेंगे कैसे? पढ़िये और क्या कहा
स्ट्रीट वेंडर एक्ट को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं पर दिल्ली हाई कोर्ट ने की टिप्पणी।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। स्ट्रीट वेंडर्स (आजीविका का संरक्षण और स्ट्रीट वेंडिंग का नियमन) अधिनियम-2014 को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने 30 अक्टूबर को सुनवाई करने का फैसला किया है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने उक्त फैसला करते हुए आश्चर्य व्यक्त किया कि बिना योजना के आखिर हम कैसे दिल्ली को लंदन बनाने के बारे में सोच रहे हैं। पीठ ने कहा कि निश्चित तौर पर स्ट्रीट वेंडिंग कई लोगों को रोजगार प्रदान करता है। विशेष तौर पर उन्हें जो समाज के निचली तबके से आते हैं, लेकिन पीठ ने उन लोगों के अधिकारों के संतुलन पर जोर दिया जो दुकानों को किराए पर लेते हैं और जो लोग बाजार में मार्केटिंग के लिए जाते हैं।

पीठ ने नेहरू प्लेस और कनाट प्लेस जैसी जगहों का जिक्र करते हुए मौखिक रूप से कहा कि आप कनाट प्लेस में चल भी नहीं सकते क्योंकि जगह पर विक्रेताओं का कब्जा है और यह एक व्यवसाय बन गया है। पीठ ने कहा कि नेहरू प्लेस में आप चल भी नहीं सकते क्योंकि स्ट्रीट वेंडर्स ने इसे अपना स्थायी व्यवसाय बना लिया है। पीठ ने कहा कि नेहरू प्लेस में आग की घटना का हमें स्वत: संज्ञान लेना पड़ा। नेहरू प्लेस मार्केट की स्थिति एक झुग्गी की तरह है। आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए एक विशेष क्षेत्र में अनुमेय विक्रेताओं की संख्या पर निर्णय लेने की है।

पीठ ने यह भी कहा कि अदालत स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट-2014 की चुनौती पर गौर करेगा। हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि अदालत रेहड़ी-पटरी के खिलाफ नहीं है और यह प्रतिकूल मुकदमेबाजी का मामला नहीं है।

रेहड़ी-पटरी वालों के खिलाफ नहीं

पीठ ने कहा कि हम सब रेहड़ी-पटरी वालों से खरीदारी करते हुए बड़े हुए हैं। हम आज भी रोजमर्रा की चीजें खरीदने के लिए माल के बजाए रेहड़ी-पटरी के विक्रेताओं के पास जाते हैं। कोई भी रेहड़ी-पटरी वालों के खिलाफ नहीं है, हम बस चाहते हैं उस शहर में उनकी वजह से बेवजह भीड़ नहीं है। अगर हमें कार्रवाई ठीक लगती है तो हम आगे बढ़ेंगे, अगर हमें कमियां मिलती हैं, तो हम सुझाव देंगे।

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