सुप्रीम कोर्ट में दायर हरियाणा सरकार के शपथ पत्र से मचा हुआ है हंगामा, पर्यावरणविद भी सहमत नहीं, जानिए क्या है समस्या

पर्यावरणविद् कह रहे हैं कि सरकार पंजाब भू-परिरक्षण कानून (पीएलपीए)-1900 में किए गए संशोधन को न्यायोचित ठहराने के लिए ये भ्रामक तथ्य दे रही है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि पीएलपीए-1900 की धारा चार और पांच के तहत जिस भी क्षेत्र पर पेड़ लगे हैं।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 01:10 PM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 01:10 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट में दायर हरियाणा सरकार के शपथ पत्र से मचा हुआ है हंगामा, पर्यावरणविद भी सहमत नहीं, जानिए क्या है समस्या
सुप्रीम कोर्ट में दायर हरियाणा सरकार के शपथ पत्र में कई ऐसे तथ्य हैं जिनसे पर्यावरणविद् सहमत नहीं हैं।

नई दिल्ली [बिजेंद्र बंसल]। वन क्षेत्र को परिभाषित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर हरियाणा सरकार के शपथ पत्र में कई ऐसे तथ्य हैं जिनसे पर्यावरणविद् सहमत नहीं हैं। राज्य सरकार का कहना है कि यदि फरीदाबाद के कांत एन्क्लेव की तर्ज पर यदि वन क्षेत्र मानते हुए कार्रवाई की जाएगी तो राज्य के नौ जिलों के 59 बड़े संस्थान ऐसे हैं जिनके भवनों को तोड़ना पड़ेगा। इनमें निजी और सरकारी संस्थान भी हैं। सरकार ने शपथ पत्र में अपने सर्वे की जमीनी सच्चाई और राजस्व रिकार्ड के अनुसार इन संस्थानों के नाम भी दिए हैं। इनमें गुरुग्राम के ग्वाल पहाड़ी पर बना नेशनल इंस्टीट्यूट आफ सोलर एनर्जी शामिल है।

पर्यावरणविद् कह रहे हैं कि सरकार पंजाब भू-परिरक्षण कानून (पीएलपीए)-1900 में किए गए संशोधन को न्यायोचित ठहराने के लिए ये भ्रामक तथ्य दे रही है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि पीएलपीए-1900 की धारा चार और पांच के तहत जिस भी क्षेत्र पर पेड़ लगे हैं या जो वन क्षेत्र के लिए अधिसूचित जमीन है, उस पर कोई भी गैर वानिकी निर्माण कार्य नहीं हो सकता। इससे राज्य के 22 जिलों में से 11 का 39.35 फीसद क्षेत्र वन क्षेत्र में शामिल हो गया है। इससे नौ जिलों के 59 बड़े संस्थान भी तोड़फोड़ की कार्रवाई के दायरे में आते हैं।

इसलिए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से विस्तृत विवरण के माध्यम से यह आग्रह किया है कि वन क्षेत्र और हरित क्षेत्र को अलग कर दिया जाए। अभी तक हरित क्षेत्र भी वन क्षेत्र का हिस्सा बना हुआ है। पर्यावरणविद् यह तो कह रहे हैं कि वन विभाग ने कभी हरित क्षेत्र पर पर्यावरणीय अनुमति के साथ किए निर्माण के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है मगर वन विभाग के पास वन और हरित क्षेत्र का अलग से विवरण नहीं है। सरकार चाहती है कि अलग से विवरण तैयार होने पर किसी भी तरह का भ्रम दूर किया जा सकता है।

नौ जिलों में वन क्षेत्र में आ रहे बड़े सरकारी व गैर सरकारी संस्थानजिला, संस्थानों की संख्या, संस्थानों के नाम गुरुग्राम, 20 फरीदाबाद,11 रेवाड़ी, तीन महेंद्रगढ़, तीन सोनीपत, चार पंचकूला, छह, यमुनानगर, दो, झच्जर, चार नूंह, छह

फरीदाबाद के 11 संस्थान जो वन क्षेत्र में आ रहे हैं

पुलिस स्टेशन, सूरजकुंड, राजहंस टूरिस्ट काम्पलेक्स, मानव रचना यूनिवर्सिटी, अरावली इंटरनेशनल स्कूल, श्री सिद्धदाता आश्रम , हुडा सेक्टर-21 ए, बी, सी, 24, 26, 27डी, 37, 38, अनखीर गांव, जिमखाना क्लब, सेक्टर-21, बड़खल लेक रिसोर्ट , जंगल फाल काम्लेक्स, सूरजकुंड ईएसआई मेडिकल कालेज, सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड का भवन, एनएच चार

गुरुग्राम के 20 संस्थान जो वन क्षेत्र में आ रहे हैं

एयरफोर्स स्टेशन, सेक्टर-14एयरफोर्स फेसिलिटी, गुरुग्रामएयरफोर्स स्टेशन, ओल्ड दिल्ली रोडपुलिस लाइन, गुरुग्रामलघु सचिवालय, गुरुग्राममिल्ट्री एरिया, डीएलएफ गोल्फ कोर्स के पासशिकोहपुर गांव का विस्तार क्षेत्रआइएमटी मानेसरपुलिस लाइन मानेसरनेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटरराज राइफल आर्मी सेटअप, मानेसरभोंडसी जेलसीआरपीएफ ग्रुप सेंटरसरस रिसोर्ट, गुरुग्रामनिरंकारी बाबा मेमोरियल कालेजटाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट ग्वाल पहाड़ीनेशनल इंस्टीट्यूट सोलर एनर्जीबहुराष्ट्रीय कंपनियों के 100 मुख्यालय100 के करीब सरकारी कार्यालय, शिक्षण संस्थान व अस्पताल

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