Delhi NCR Pollution: रुकेगा धूल का गुबार तो ही शुरू होगा निर्माण कार्य

विशेषज्ञों के मुताबिक धूल पर पानी छिड़कने से महज 15-20 मिनट तक ही उसे उड़ने से रोका जा सकता है। मिट्टी से पानी जैसे ही सूखता है दोबारा धूल उड़ने लगती है। इसलिए अब मिट्टी पर केमिकल छिड़काव की योजना है।

By Jp YadavEdited By: Publish:Tue, 04 May 2021 10:45 AM (IST) Updated:Tue, 04 May 2021 10:45 AM (IST)
Delhi NCR Pollution: रुकेगा धूल का गुबार तो ही शुरू होगा निर्माण कार्य
Delhi NCR Pollution: रुकेगा धूल का गुबार तो ही शुरू होगा निर्माण कार्य

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली-एनसीआर में कोई भी सरकारी और गैर सरकारी निर्माण कार्य शुरू करने के लिए पहले धूल नियंत्रण के उपाय करना अनिवार्य होगा। अगर निर्माण स्थल पर पानी एवं केमिकल के छिड़काव की पुख्ता व्यवस्था होगी तो ही वहां काम करने की अनुमति मिलेगी अन्यथा नहीं। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग इस दिशा में सख्त प्रविधान करने जा रहा है।गौरतलब है कि एनसीआर के वायु प्रदूषण में धूल की मात्रा 20 से 22 फीसद तक रहती है। इसमें कच्ची और टूटी सड़कों, सड़क किनारे और निर्माण स्थलों सभी जगह से उड़ने वाली धूल शामिल है। इसी धूल को नियंत्रित करने के लिए पिछले दिनों दिल्ली सरकार ने भी एंटी डस्ट कैंपेन चलाया था। इसके तहत अनेक बड़ी निर्माण एजेंसियों पर मोटा जुर्माना भी किया गया था। हाल ही में पुनर्गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के लिए भी धूल नियंत्रण के उपाय प्राथमिकताओं में शामिल है। आयोग इस संबंध में विशेषज्ञों से सलाह लेकर सख्त कार्ययोजना तैयार कर रहा है।

बताया जाता है कि इस कार्ययोजना के तहत हर बड़ी निर्माण परियोजनाओं के लिए पानी के छिड़काव वाला स्पि्रंकलर लगाना और बीच बीच में केमिकल स्प्रे करना अनिवार्य किया जाएगा। आयोग का मानना है कि ऐसा करने पर ही निर्माण स्थल पर धूल थमी रह सकती है। इसके लेकर जल्द ही दिशा निर्देश जारी कर दिए जाने की संभावना है।

केमिकल का छिड़काव कारगर

विशेषज्ञों के मुताबिक धूल पर पानी छिड़कने से महज 15-20 मिनट तक ही उसे उड़ने से रोका जा सकता है। मिट्टी से पानी जैसे ही सूखता है, दोबारा धूल उड़ने लगती है। इसलिए अब मिट्टी पर केमिकल छिड़काव की योजना है। मिट्टी पर केमिकल छिड़काव के लिए जो घोल बनाया जाता है, उसे हाइड्रोस्केपिंग साल्ट मिलाकर तैयार किया जाता है। केमिकल के छिड़कने से मिट्टी पर एक मोटी परत बन जाती है और करीब आठ घंटे तक धूल नहीं उड़ती। विशेषज्ञों का दावा है कि केमिकल के छिड़काव से करीब 40-50 फीसद तक धूल के प्रदूषण में कमी हो सकती है।

डॉ. केजे रमेश (तकनीकी सदस्य, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग) का कहना है कि एनसीआर में धूल से होने वाला प्रदूषण कम करने की दिशा में कार्ययोजना पर काम चल रहा है। पानी का छिड़काव करने के साथ-साथ केमिकल के छिड़काव की भी योजना है। जल्द ही इस कार्ययोजना पर दिशानिर्देश जारी किया जाएगा। 

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