नेशनल डिफेंस एकेडमी से बाहर किए गए युवक को दिल्ली हाई कोर्ट ने पढ़ाया अनुशासन का पाठ, जानिए पूरा मामला

चिकित्सा पर्ची पर ओवर-राइटिंग करने और सहपाठी की ई-बुक की चोरी जैसी अनुशासनहीन गतिविधियों के कारण नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) से बाहर किए गए युवक को दिल्ली हाई कोर्ट ने अनुशासन का पाठ पढ़ाया। स्टैंडिंग काउंसल हरीश वैद्यनाथन शंकर की उस दलील को भी स्वीकार किया।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 02:28 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 02:28 PM (IST)
नेशनल डिफेंस एकेडमी से बाहर किए गए युवक को दिल्ली हाई कोर्ट ने पढ़ाया अनुशासन का पाठ, जानिए पूरा मामला
साक्षात्कार में शामिल होने की अनुमति की मांग वाली याचिका पर विचार करने से किया इन्कार।

नई दिल्ली, विनीत त्रिपाठी। चिकित्सा पर्ची पर ओवर-राइटिंग करने और सहपाठी की ई-बुक की चोरी जैसी अनुशासनहीन गतिविधियों के कारण नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) से बाहर किए गए युवक को दिल्ली हाई कोर्ट ने अनुशासन का पाठ पढ़ाया। राहत देने से इन्कार करते हुए न्यायमूर्ति नवीन चावला व न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ ने कहा कि सेना में अनुशासनहीनता से समझौता नहीं किया जा सकता है। पीठ ने केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए स्टैं¨डग काउंसल हरीश वैद्यनाथन शंकर की उस दलील को भी स्वीकार किया।

शंकर ने पीठ को बताया था कि अनुशासनहीनता के आधार पर एनडीए से निकाले गए अभ्यर्थी को सेना में आवेदन करने का ही अधिकार नहीं है। पहले तो पीठ ने याचिका को खारिज करने की बात की, लेकिन याची के अधिवक्ता द्वारा याचिका को वापस लेने की बात करने पर अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया। दिल्ली के करिप्पा विहार निवासी विक्रांत सिंह कुंदू ने अधिवक्ता पुष्पेंद्र ढाका के माध्यम से याचिका दायर कर राहत देने की मांग की थी। विक्रांत की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण भारद्वाज दलील दी कि प्रशिक्षण से निकाले जाने का आदेश न सिर्फ मनमाना था बल्कि इसकी वजह बेहद चौंकाने वाली है।

उन्होंने यह भी कहा कि यह ई-बुक चोरी करने का मामला है। सामान्य तौर पर कैडेट आपस में ई-बुक साझा करते हैं। उम्र के इस दौर में इस तरह की छोटी गलतियां होती है, लेकिन इसके लिए एक होनहार युवक को सेना में जाने से नहीं रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद विक्रांत ने एफरफोर्स की परीक्षा पास की और 28 जून को उन्हें साक्षात्कार के लिए बुलाया है। ऐसे में साक्षात्कार में शामिल होने का विक्रांत को मौका दिया जाना चाहिए।

वहीं, केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए स्टैंडिंग काउंसल हरीश वैद्यानाथन शंकर ने कहा कि याचिकाकर्ता को तो आवेदन करने का ही योग्य नहीं है। उन्होंने कहा कि एनडीए, आइएमए या अन्य सैन्य सेवाओं के आवेदन फार्म में स्पष्ट किया गया है कि अगर आप अनुशासनहीनता के आधार पर बाहर किए गए तो आप आवेदन करने के ही योग्य नहीं हैं।

यह है मामला

याचिका के अनुसार याचिकाकर्ता विक्रांत सिंह कुंदू ने 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद प्री-कमीशन प्रशिक्षण के लिए वर्ष 2016 में एनडीए ज्वाइन किया। आरोप है कि अप्रैल 2017 में एक दिन के आराम के लिए विक्रांत ने चिकित्सा पर्ची पर ओवर-राइटिंग की और मई 2017 में उसके सहपाठी की ई-बुक उसके केबिन से बरामद हुई थी। इसी कारण से विक्रांत को पहले तो जूनियर बैच में डाल दिया गया था और फिर उसे एकेडमी से भी निकाल दिया गया। विक्रम ने इस कार्रवाई के खिलाफ एक कानूनी नोटिस भेजा, लेकिन इसे अतिरिक्त भर्ती निदेशालय नई दिल्ली ने निरस्त कर दिया था।

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