एंबुलेंस न मिलने की वजह से 21 घंटे घर में पड़े रहे माता-पिता के शव, किसी रिश्तेदार ने भी नहीं दिया साथ, पढ़िए दर्दनाक स्टोरी
कोरोना महामारी के दौरान दिल्ली के इतने बुरे हालात हो गए हैं कि न पड़ोसी मदद करने को आगे आ रहे हैं और न ही रिश्तेदार। देर सवेर पुलिस ही लोगों की मदद कर रही है। बुराड़ी इलाके में लक्ष्मण तिवारी नामक युवक के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सीजन की तो किल्लत हो रही रही है, साथ ही कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वाले लोगों के लिए एंबुलेंस मिलने में भी परेशानी हो रही है। बुराड़ी के शक्ति नगर निवासी लक्ष्मण तिवारी को भी अपने माता-पिता के लिए करीब 21 घंटे के बाद एंबुलेंस मिली। दरअसल अप्रैल माह में उनका पूरा परिवार कोरोना संक्रमित हो गया था।
तबीयत ज्यादा खराब होने की वजह से पत्नी को अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया, लेकिन वह व उनके माता-पिता घर पर रहकर ही कोरोना से जंग लड़ रहे थे। 26 अप्रैल को शाम पांच बजे अचानक ऑक्सीजन की कमी होने से उनकी मां की मौत हो गई, इसके कुछ घंटे बार रात करीब एक बजे पिता भी गुजर गए। उधर दूसरी ओर पत्नी भी अस्पताल में कोरोना से जंग लड़ रही थी। ऐसे समय में लक्ष्मण ने अपने माता पिता के अंतिम संस्कार के लिए पड़ोसियों व रिश्तेदारों से मदद मांगी, लेकिन कहीं से भी मदद नहीं मिल पाई।
एंबुलेंस के लिए फोन किया तो वह भी 15 से 20 हजार रुपये की मांग करने लगा। इसके बाद तिवारी ने पुलिस व स्थानीय जन प्रतिनिधि से गुहार लगाई तो किसी तरह एंबुलेंस का प्रबंध हो पाया। इस वजह से करीब 21 घंटे तक घर में शव पड़े रहे। मदद के लिए नम आंखों से वह और उनका चार वर्षीय बेटा बालकनी पर इंतजार करते रहे। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के घौणी गांव निवासी लक्ष्मण तिवारी दिल्ली में बच्चों को सिविल सेवा की कोचिंग देते हैं।