Pakistan Terrorist Ashraf: पूछताछ में आतंकी अशरफ ने खोले कई चौंकाने वाले राज, पाकिस्तान फिर बेनकाब

सेल के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अधिकतर मामलों में गिरफ्तार आतंकियों को सजा भी मिल चुकी है। ऐसे में अशरफ के राज उगलवाने के लिए जेलों में बंद उन आतंकियों से पूछताछ करनी होगी जो अशरफ द्वारा बताए जा रहे बम धमाकों के मामलों में शामिल रहे हैं।

By Jp YadavEdited By: Publish:Thu, 14 Oct 2021 10:38 AM (IST) Updated:Thu, 14 Oct 2021 10:38 AM (IST)
Pakistan Terrorist Ashraf: पूछताछ में आतंकी अशरफ ने खोले कई चौंकाने वाले राज, पाकिस्तान फिर बेनकाब
Pakistan Terrorist Ashraf: पूछताछ में आतंकी अशरफ ने खोले कई चौंकाने वाले राज, पाकिस्तान फिर बेनकाब

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसी आइएसआइ के लिए स्लीपर सेल के मुखिया के तौर पर काम कर रहे मुहम्मद अशरफ उर्फ अली ने दिल्ली की स्पेशल सेल के साथ ही सुरक्षा एजेंसियों को भी उलझा दिया है। मंगलवार को दिल्ली से गिरफ्तार किए गए अशरफ ने पूछताछ के दौरान पिछले कुछ सालों में देश में हुए कई धमाकों में अपनी संलिप्तता स्वीकार की है।

दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अधिकतर मामलों में गिरफ्तार आतंकियों को सजा भी मिल चुकी है। ऐसे में अब अशरफ के राज उगलवाने के लिए जेलों में बंद उन आतंकियों से पूछताछ करनी होगी, जो अशरफ द्वारा बताए जा रहे बम धमाकों के मामलों में शामिल रहे हैं।

आतंकियों और आएसआइ के बीच की कड़ी था अशरफ

एक अधिकारी के मुताबिक आतंकियों व आइएसआइ के बीच अशरफ कड़ी बनकर काम करता रहा। घटनास्थलों की रेकी कर लक्ष्य को अंतिम रूप देने का काम अशरफ ही करता था। पिछले 15 सालों में देशभर में जितने भी ब्लास्ट हुए उन सभी में उसकी संलिप्तता रही है। अकेले जम्मू कश्मीर में हुए करीब 10 आतंकी हमले में वह रेकी कर चुका है।

भारत में दाखिल होने के चार साल बाद गया जम्मू-कश्मीर

2005 में भारत आने के बाद अशरफ पहले अलग-अलग राज्यों में रहा और पांच साल बाद 2009 में जम्मू-कश्मीर चला गया। वहां वह सेना की गतिविधियों पर नजर रखता था। अपने हैंडलर्स को जानकारी भेजने के लिए वह ड्राफ्ट में मेल सेव कर लेता था। आइएसआइ व पाकिस्तान में बैठे आकाओं को फोटो भेज लोकेशन और अगला टारगेट बताता था। साथ ही सामान की डिलीवरी किसे करनी है, यह भी जानकारी देता था। वह हर छह महीने में अपना मोबाइल नंबर बदल लेता था।

दिल्ली में कई जगह की रेकी

पूछताछ में पता चला कि 2011 में दिल्ली हाई कोर्ट के बाहर ब्लास्ट से पहले उसने ही रेकी की थी। ब्लास्ट में शामिल एक फरार आतंकी की फोटो से पहचान भी की है। साल 2011 के दौरान ही उसने आइटीओ स्थित पुराने पुलिस हेडक्वाटर की भी कई बार रेकी की थी, लेकिन ज्यादा जानकारी नही मिल पाई। क्योंकि पुलिस हेडक्वाटर के बाहर लोगो को रुकने नही दिया जाता था। साथ ही कश्मीरी गेट आइएसबीटी और इंडिया गेट की भी उसने रेकी की थी।

chat bot
आपका साथी