राजधानी में हरियाली को विकसित करने के लिए विभाग कर रहा सर्वे, प्रदूषण की समस्या से भी मिलेगी निजात

इस लता को फ्लाईओवर के पिलर के साथ तैयार किया जाता है जो पिलर के साथ फ्लाईओवर की रे¨लंग तक भी पहुंचती है। आइटीओ चौक से मंडी हाउस आने जाने वाले सिकंदरा रोड पर इस लता को अच्छे से पनपते हुए देखा जा सकता है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 12:59 PM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 12:59 PM (IST)
राजधानी में हरियाली को विकसित करने के लिए विभाग कर रहा सर्वे, प्रदूषण की समस्या से भी मिलेगी निजात
लोक निर्माण विभाग इस प्रयास में है कि हरियाली को और बेहतर कैसे किया जा सके।

नई दिल्ली [वी के शुक्ला]। दिल्ली में फ्लाईओवर अब और भी सुंदर दिखेंगे। इनके दोनों तरफ व लेन के मध्य में हरियाली को बढ़ावा दिया जाएगा। लोक निर्माण विभाग ने इस बारे में निर्देश दिए हैं। कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अधिकारियों का निर्देश दिए थे कि प्रदूषण की समस्या को देखते हुए दिल्ली में हरियाली पर और अधिक जोर दिया जाए। इसके बाद से लोक निर्माण विभाग इस प्रयास में है कि हरियाली को और बेहतर कैसे किया जा सके।

विभाग सर्वे करा है कि कौन से ऐसे स्थान हैं जहां हरियाली विकसित की जा सकती है। इसके लिए सड़कों के किनारे खाली स्थान ढूंढे जा रहे हैं। फ्लाईओवरों व सड़कों के मध्म भी ये स्थान चिह्नित किए जा रहे हैं, जहां पर हरियाली नहीं है। कुछ इलाकों में यह प्रक्रिया पूरी भी कर ली गई है। दक्षिणी दिल्ली के तहत मुनिरिका और अफ्रीका एवेन्यू फ्लाईओवर के नीचे कम हो रही हरियाली को फिर से विकसित किए जाने की तैयारी हो रही है।

इसके लिए लोक निर्माण विभाग द्वारा टेंडर जारी किया गया है, सड़कों व फ्लाईओवरों की दोनों लेन के मध्य मुख्यरूप से बोगनवेलिया के अलावा कनेड़ को भी लगाया जाएगा। विभाग सड़कों के बीच मोटे तने वाले पौधे लगाने से परहेज कर रहा है, क्योंकि भविष्य में जब ये पौधे एक पेड़ के रूप में विकसित होते हैं तो मोटे तने की वजह से यातायात के संचालन में समस्या खड़ी होती है। विभाग ने फ्लाईओवर के नीचे मधुमालती लता को विकसित करने के निर्देश दिए हैं। इस लता को फ्लाईओवर के पिलर के साथ तैयार किया जाता है जो पिलर के साथ फ्लाईओवर की रे¨लंग तक भी पहुंचती है। आइटीओ चौक से मंडी हाउस आने जाने वाले सिकंदरा रोड पर इस लता को अच्छे से पनपते हुए देखा जा सकता है। दिल्ली के कई फ्लाईओवरों के नीचे इसे पहले से ही विकसित किया गया है।

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