कालाबाजारी करने वालों को नहीं मिलेगी अंतरिम जमानत, गर्भवती महिलाओं को जेल से छोड़ा जाएगा

न्यायमूर्ति विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली कमेटी ने अपनी सिफारिश में कहा था कि पिछले साल के मुकाबले इस हालात ज्यादा भयानक हैं। विशेषज्ञ और डॉक्टरों को भी यह मानना है कि कोविड-19 का मौजूदा स्ट्रेन जानलेवा है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 05:02 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 05:02 PM (IST)
कालाबाजारी करने वालों को नहीं मिलेगी अंतरिम जमानत, गर्भवती महिलाओं को जेल से छोड़ा जाएगा
गर्भवती और छोटे बच्चों की माताओं को छोड़ा जाएगा जेेल से

नई दिल्ली [सुशील गंभीर]। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित उच्च स्तरीय कमेटी ने जेलों में बंद कैदियों को 90 दिन या आठ सप्ताह के लिए पैरोल और जमानत पर छोड़ने की सिफारिश करने के फैसले में कुछ बदलाव किया है। हाल ही में हुई बैठक में फैसला लिया गया है जिन आरोपितों को आक्सीजन, दवाओं या अन्य जीवन रक्षक उपकरणों की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, उन्हें कोविड-19 के तहत अंतरिम जमानत में राहत नहीं मिलेगी। वहीं राहत श्रेणी में गर्भवती महिला कैदियों और नाबालिग बच्चों की माताओं के अलावा हत्या के केस में दो साल से ट्रायल का सामना कर रहे कैदियों को भी शामिल करने का फैसला लिया गया है।

पिछली बैठक में न्यायमूर्ति विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली कमेटी ने अपनी सिफारिश में कहा था कि पिछले साल के मुकाबले इस हालात ज्यादा भयानक हैं। विशेषज्ञ और डॉक्टरों को भी यह मानना है कि कोविड-19 का मौजूदा स्ट्रेन जानलेवा है। कमेटी ने कहा कि इस साल फरवरी में आखिरी बैठक की थी और तब से लेकर अब तक हालात 360 डिग्री तक बदल चुके हैं। ऐसे में जेलों में भीड़ कम करना बेहद जरूरी है। इसलिए करीब चार हजार विचाराधीन कैदियों को जेलों से बाहर लाना होगा।

पूरे देश के साथ-साथ राजधानी में हालात बेकाबूू हो चुके हैं और ऐसे में हमारा फर्ज बनता है कि हम संविधान का सम्मान करते हुए एक-एक जान बचाने का प्रयास करें। पिछली बैठक में वरिष्ठ नागरिक और सिविल मुकदमों में बंद कैदियों के अलावा 10 साल से ज्यादा सजा काट चुके कैदियों को प्राथमिकता दी गई थी और अब इसमें कुछ बदलाव के साथ कार्य शुरू कर दिया गया है। 

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