Aravali Encroachment News Update: सुप्रीम कोर्ट की दो टूक, दिल्ली से सटे अरावली की वन भूमि से एक-एक अवैध निर्माण हटेगा

Aravali Encroachment News Update सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख से सिर्फ खोरी गांव में वन भूमि पर अवैध कब्जा कर घर बनाने वाले ही निशाने पर नहीं आए हैं बल्कि वन क्षेत्र में आने वाले मैरिज हाउस और फार्म हाउसों पर भी ध्वस्तीकरण की तलवार लटक गई है।

By Jp YadavEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 08:47 AM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 08:47 AM (IST)
Aravali Encroachment News Update: सुप्रीम कोर्ट की दो टूक, दिल्ली से सटे अरावली की वन भूमि से एक-एक अवैध निर्माण हटेगा
Aravali Encroachment News: सुप्रीम कोर्ट की दो टूक, दिल्ली से सटे अरावली की वन भूमि से एक-एक अवैध निर्माण हटेगा

नई दिल्ली [बिजेंद्र बंसल]। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक बार फिर साफ कर दिया है कि अरावली की वन भूमि से सारा अवैध निर्माण हटेगा, वह चाहे जिसका हो या जैसा हो। कोर्ट के सख्त रुख से सिर्फ खोरी गांव में वन भूमि पर अवैध कब्जा कर घर बनाने वाले ही निशाने पर नहीं आए हैं, बल्कि वन क्षेत्र में आने वाले मैरिज हाउस और फार्म हाउसों पर भी ध्वस्तीकरण की तलवार लटक गई है। राहत के लिए सूरजकुंड रोड पर स्थित 15 मैरिज फार्म के मालिक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। इसके अलावा कोर्ट ने राधा स्वामी सत्संग काम्प्लेक्स का मुद्दा उठाए जाने पर कहा कि अगर वह भी वन भूमि पर होगा तो वह भी हटेगा।

फरीदाबाद के खोरी गांव में वन भूमि पर अवैध निर्माण के मामले में मंगलवार को सुनवाई के दौरान फरीदाबाद नगर निगम की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अरुण भारद्वाज ने जस्टिस एएम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि पुनर्वास नीति का ड्राफ्ट तैयार करके मंजूरी के लिए राज्य सरकार को भेजा गया है। इस पर कोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द ड्राफ्ट पर निर्णय ले और अगली सुनवाई 25 अगस्त तक उस पर फैसला कर लिया जाए।

इसके अलावा कोर्ट ने वरिष्ठ वकील कोलिन गोन्साल्विस और संजय पारिख की ओर से वन भूमि से हटाए गए कब्जेदारों के बेघर होने और उन्हें आश्रय दिये जाने की दलीलों पर नगर निगम से कहा कि वह राधा स्वामी काम्प्लेक्स के साथ कमिश्नर का एक एडीशनल आफिस बनाएं ताकि बेघर हुए लोग आश्रय और भोजन आदि के लिए वहां ज्ञापन दे सकें। बेघर हुए लोगों के संबंध में कोर्ट ने मंगलवार को फिर साफ किया कि जो लोग पुनर्वास नीति के तहत हकदार होंगे उनका पुनर्वास होगा जैसा की नगर निगम ने भरोसा दिलाया है। लेकिन जो लोग नीति के तहत पुनर्वास के हकदार नहीं हैं उनका पुनर्वास क्यों होना चाहिए।

कोर्ट ने मामले की सुनवाई 25 अगस्त को तय करते हुए फरीदाबाद नगर निगम को आदेश दिया कि वह कोर्ट के पूर्व आदेश के मुताबिक 23 अगस्त तक वन भूमि से अवैध निर्माण हटाने का काम पूरा कर ले। उसके बाद अगली सुनवाई की तिथि से पहले कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे। उधर सूरजकुंड रोड स्थित 15 मैरिज फार्मों के मालिकों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर निगम की ओर से अपना निर्माण अवैध बताकर ढहाने के लिए भेजे गए नोटिस को रद करने और उनके खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई न किए जाने की मांग की है। अर्जी देने वालों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि मैरिज फार्म उनकी अपनी जमीन पर हैं। इस पर पीठ ने कहा कि यहां सिर्फ वन भूमि पर अवैध कब्जे के मामले पर सुनवाई हो रही है। अगर आपका मामला उसमें नहीं आता तो फिर क्यों आए हैं। रोहतगी ने कहा कि जिस जमीन पर उनके फार्म हैं वह वन भूमि अधिसूचित नहीं है बल्कि पंजाब लैंड प्र्जिवेशन एक्ट (पीएलए) में नोटीफाई है। वैसे भी इनमें से 13 लोग सुप्रीम कोर्ट के पूर्व संरक्षण आदेश के तहत कामकाज कर रहे हैं। उनके काम पर एनजीटी ने रोक लगाई थी लेकिन उनकी अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस दलील पर कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले को शुक्रवार को सुनेंगे। साथ ही फरीदाबाद नगर निगम से कहा कि अगर इनका निर्माण वन भूमि में एथराइज्ड स्ट्रक्चर है तो शुक्रवार तक कुछ मत करिये। लेकिन अगर वन भूमि पर अवैध निर्माण है तो हटा दीजिए।

सुनवाई के दौरान संजय पारिख ने कहा कि जब भी निगम से बेघर लोगों के अस्थायी आश्रय की मांग की जाती है वे सभी को राधास्वामी काम्पलेक्स भेज देते हैं। लेकिन ऐसे करीब एक लाख लोग हैं वहां कितने आ पाएंगे। पारिख ने कहा कि राधास्वामी अच्छा काम कर रहा है लेकिन वह भी वन भूमि पर है। इस पर कोर्ट ने निगम के वकील से पूछा कि क्या वह वन भूमि पर है भारद्वाज ने कहा, नहीं। कोर्ट ने पारिख से कहा कि उन्हें कोर्ट में सही बात रखनी चाहिए लेकिन तभी एक वकील ने कहा कि एनजीटी के मुताबिक राधास्वामी वन भूमि पर है। भारद्वाज ने कहा कि वह इस बारे में पता करेंगे।

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