इस शहर में अब ग्रेजुएट कर्मियों को 19,572 रुपये से कम सैलरी नहीं दे सकते, पढ़ें- पूरी स्टोरी

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को न्यूनतम वेतन में बढ़ोतरी की अधिसूचना जारी करने की इजाजत दे दी। इस मंजूरी से श्रमिकों के न्यूनतम वेतन में 37 फीसद की बढ़ोतरी हो जाएगी।

By JP YadavEdited By: Publish:Fri, 18 Oct 2019 12:06 PM (IST) Updated:Fri, 18 Oct 2019 06:51 PM (IST)
इस शहर में अब ग्रेजुएट कर्मियों को 19,572 रुपये से कम सैलरी नहीं दे सकते, पढ़ें- पूरी स्टोरी
इस शहर में अब ग्रेजुएट कर्मियों को 19,572 रुपये से कम सैलरी नहीं दे सकते, पढ़ें- पूरी स्टोरी

नई दिल्ली, आइएएनएस। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को न्यूनतम वेतन में बढ़ोतरी की अधिसूचना जारी करने की इजाजत दे दी। इस मंजूरी से श्रमिकों के न्यूनतम वेतन में 37 फीसद की बढ़ोतरी हो जाएगी। जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा, ‘हम याचिकाकर्ता (दिल्ली सरकार) को अधिसूचना के मसौदे को तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने की इजाजत देते हैं। साथ ही निर्देश देते हैं कि जब तक अधिसूचना प्रभावी नहीं होती तब तक तीन मार्च, 2017 को जारी अधिसूचना प्रभावी रहेगी जैसा कि 31 अक्टूबर, 2018 के आदेश में कहा गया था।’

वहीं, अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि  दिल्ली में स्नातक कर्मचारियों को 19,572 रुपये प्रतिमाह से कम वेतन नहीं दे सकते हैं। इससे पहले 2017 में न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने के दिल्ली सरकार के फैसले का अलग-अलग हितधारकों ने विरोध किया था। वे इसके खिलाफ हाईकोर्ट चले गए थे। कोर्ट ने बीते 4 सितंबर 2018 को न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने के फैसले पर पर रोक लगा दी थी।

इस फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी। सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला आया। अदालत ने न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने की प्रक्रिया पूरी करने के लिए तीन माह का समय दिया था।

दिल्ली सरकार अब अकुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी 14,842 रुपये प्रति माह, अर्ध कुशल श्रमिकों के लिए 16,341 रुपये प्रति माह और कुशल श्रमिकों के लिए 17,991 रुपये प्रति माह करने की अधिसूचना जारी करने की तैयारी कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में स्नातक कर्मचारियों को 19,572 रुपये प्रतिमाह से कम वेतन नहीं दे सकते।

दिल्ली सरकार का कहना है कि 10 माह का पिछला महंगाई भत्ता भी श्रमिकों को मिलेगा। अधिसूचना जारी करने के साथ सरकार सुनिश्चित करेगी कि मजदूरों को उनका हक भी मिले।

बता दें कि दिल्ली सरकार ने अकुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन 14,842 रुपये प्रतिमाह और क्लर्क व सुपरवाइजरों के लिए 16,341 रुपये प्रतिमाह का न्यूनतम वेतन प्रस्तावित किया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति अधिसूचना से प्रभावित होता है तो वह कानून की मदद लेने का अधिकारी होगा। बता दें कि यह मामला अदालतों में करीब दो साल से लंबित था। दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि सभी स्थायी, निश्चित अवधि वाले, अनुबंधित, अस्थायी और दिहाड़ी श्रमिक सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से लाभान्वित होंगे।

वहीं, दिल्ली में न्यूनतम मजदूरी निर्धारण पर दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को अंतिम अधिसूचना जारी करने का आदेश भी दिया है। कोर्ट का आदेश दिल्ली सरकार द्वारा दायर एक अपील पर आया है, जिसमें न्यूनतम मजदूरी अधिसूचना पर हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। इसे दिल्ली सरकार ने 3 मार्च 2017 को जारी किया था।

दिल्ली सरकार अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर न्यूनतम मजदूरी निर्धारण पर अंतिम अधिसूचना जारी करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। इसके तहत अकुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी 14,842 रुपये प्रति माह, अर्ध-कुशल श्रमिकों के लिए 16,341 रुपये प्रति माह और कुशल श्रमिकों के लिए 17,991 रुपये प्रति माह निर्धारित की गई है। गौरतलब है कि खाद्य पदार्थो, कपड़ों, आवास, बिजली आदि जैसी अन्य बुनियादी आवश्यकताओं की औसत कीमतों के आधार पर दिल्ली सरकार ने न्यूनतम मजदूरी तय की थी। यह लाखों श्रमिकों के लिए राहत की बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के फैसले को बरकरार रखा है।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद दिल्ली के श्रम मंत्री गोपाल राय ने 21 अक्टूबर को श्रम विभाग के अधिकारियों की बैठक बुलाई है। बताया जा रहा है कि चुनावी लाभ के मद्देनजर दिवाली से पहले ही केजरीवाल सरकार कर्मचारियों और मजदूरों के लिए बड़ा एलान कर सकती है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्नातक कर्मचारियों को सरकार 19572 रुपये से कम सैलरी नहीं दे सकती है। 

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