कम उम्र में जोखिम लेने के कारण आपको परिवार एवं समाज दोनों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलता

जेनिथ वाइपर्स ग्रुप के संस्थापक/सीईओ यशराज भारद्वाज ने बताया कि कम उम्र में जोखिम लेने के कारण आपको परिवार एवं समाज दोनों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलता है। लेकिन इससे घबराने की बजाय अपना विश्वास कायम रखना होता है। एक दिन सफलता जरूर आपके कदम चूमती है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 07 Aug 2021 09:11 AM (IST) Updated:Sat, 07 Aug 2021 09:12 AM (IST)
कम उम्र में जोखिम लेने के कारण आपको परिवार एवं समाज दोनों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलता
यशराज का कहना है कि छोटी आयु में उपलब्धियां एवं सम्मान मिलने से कभी-कभी अति-उत्साही होने का खतरा रहता है।

नई दिल्‍ली, अंशु सिंह। जेनिथ वाइपर्स ग्रुप के सह-संस्थापक एवं सीईओ यशराज भारद्वाज रिसर्च एवं इनोवेशन में देश को वैश्विक पहचान दिलाना चाहते हैं। इन्होंने ‘पेटोनिक इंफोटेक’ नाम से भी एक कंपनी शुरू की है, जो पब्लिक एवं प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को कंसल्टेंसी देती है। हाल ही में कंपनी ने एचएएएस स्कूल आफ बिजनेस (कैलिफोíनया यूनिवर्सटिी, बर्कले) के साथ मिलकर ‘ओपन इनोवेशन लोटस फाउंडेशन’ लांच किया है, जो यूनिवर्सटिी में होने वाले रिसर्च को समाज के हित में उपयोग करने के लिए काम करेगी।

कर्मवीर चक्र पुरस्कार से सम्मानित हो चुके यशराज कहते हैं कि देश के प्रधानमंत्री भी आत्मनिर्भर भारत बनाने की बात करते हैं। हम भी इसी लक्ष्य के साथ काम कर रहे हैं। मैं मानता हूं कि कम उम्र में जोखिम लेने के कारण आपको परिवार एवं समाज दोनों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलता है। लेकिन इससे घबराने की बजाय अपना विश्वास कायम रखना होता है। एक दिन सफलता जरूर आपके कदम चूमती है।

यशराज की बचपन से ही क्रिकेट एवं विज्ञान में रुचि थी। विज्ञान की किताबें दिलचस्पी लेकर पढ़ते थे। साथ ही, नेशनल ज्योग्राफी एवं डिस्कवरी जैसे चैनल नियमित रूप से देखा करते थे। वह बताते हैं, इससे सातवीं कक्षा से ही रिसर्च के प्रति रुझान बढ़ता चला गया। लेकिन आगे चलकर जब रिसर्चर के तौर पर समस्याओं से सामना हुआ, तो हमने ‘जेनिथ वाइपर्स’ नाम से एक आर्गेनाइजेशन शुरू किया, जो स्टूडेंट्स को रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए प्रोत्साहित करता था।

होमवर्क करके आए उद्यमिता में: यशराज एवं युवराज दोनों जुड़वा भाई एंटरप्रेन्योर से पहले खुद को एक इनोवेटर मानते हैं। यशराज बताते हैं, हमें बिजनेस का कोई अनुभव नहीं था। कारोबार कैसे विकसित करते हैं, रेवेन्यू माडल कैसे बनाते हैं, इन सबकी जानकारी नहीं थी। न ही कोई मेंटर था। कई मुद्दों पर हम भाइयों के विचार नहीं मिलते थे। इसलिए प्रयोग करने के बाद उसके परिणाम को देखते हुए साझा फैसले लेते थे। हमने दुनियाभर के प्रतिष्ठित उद्यमियों की केस स्टडी का अध्ययन किया। एक समस्या को अलग-अलग दृष्टिकोण से समझकर उसका हल निकालने की कोशिश की। आसपास के लोगों से सीखा।

प्रतिस्पर्धा से नहीं लगता डर: यशराज का कहना है कि छोटी आयु में उपलब्धियां एवं सम्मान मिलने से कभी-कभी अति-उत्साही होने का खतरा रहता है। लेकिन माता-पिता इसका ध्यान रखते हैं कि हमारे कदम जड़ों से जुड़े रहें। उन्होंने सिखाया है कि किसी को नुकसान पहुंचाए बगैर कैसे तरक्की हासिल की जा सकती है। इसलिए प्रतिस्पर्धा से डर नहीं लगता है। वर्तमान में जीना पसंद करता हूं और अपनी कंपनी के विजन पर पूर्ण विश्वास है। उसके साथ कोई समझौता नहीं करता। मैं उम्र को महज एक संख्या मानता हूं।

रिसर्च के साथ इनोवेशन: अब तक 36 रिसर्च प्रोजेक्ट करने के अलावा यशराज एवं उनके जुड़वा भाई युवराज ने करीब 15 पेटेंट्स फाइल किए हैं। स्टेट गंगा रिवर कंजर्वेशन प्रोजेक्ट के तहत इन्होंने ‘बाजरा प्यूरीफायर’ बनाया है, जिसमें बाजरे की मदद से नदी जल के रासायनिक और जहरीले तत्वों को दूर किया जा सकता है। इसके अलावा, आल इन वन मेडिकल असिस्टेंस मशीन (पोर्टेबल ड़िवाइस) विकसित की है, जिससे इंसानों की 11 प्रकार की शारीरिक जांच एक साथ की जा सकती है।

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