हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स ने कर दिया कमाल, बताया पराली का बेहतर इस्तेमाल, पढ़िये रोचक कहानी
महेंद्रगढ़ के विद्यार्थियों ने एक ऐसी ईंट का निर्माण किया है जो कृषि अपशिष्ट व औद्योगिक अपशिष्ट के मिश्रण से बनी है। सिविल इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विकास गर्ग के मार्गदर्शन में तैयार इस ईंट को पराली संकट के एक उपयोगी निदान के तौर पर देखा जा रहा है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली, एनसीआर में हर साल पराली के चलते सामने आने वाली प्रदूषण की समस्या को देखते हुए हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के विद्यार्थियों ने एक ऐसी ईंट का निर्माण किया है जो कृषि अपशिष्ट व औद्योगिक अपशिष्ट के मिश्रण से बनी है। विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी पीठ के अंतर्गत सिविल इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विकास गर्ग के मार्गदर्शन में तैयार इस ईंट को पराली संकट के एक उपयोगी निदान के तौर पर देखा जा रहा है।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने विद्यार्थियों के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि इस नई खोज के व्यावहारिक पक्षों को देखने के बाद अवश्य ही इसका उपयोग किया जा सकेगा। उन्होंने विश्वविद्यालय स्तर पर इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों के इस प्रयास को जनसरोकार के प्रति संवेदनशीलता को प्रदर्शित करने वाला बताया।
विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विकास गर्ग ने बताया कि बी.टेक. सिविल इंजीनियरिंग में अंतिम वर्ष के विद्याथी रमेश बिश्नोई, शैलेश सिहाग और अक्षय कुमार ने अपने प्रोजेक्ट वर्क के अंतर्गत कृषि व औद्योगिक अपशिष्ट से पर्यावरण को होने वाले नुकसान की समस्या को देखते हुए ऐसी ईंट का निर्माण किया है जो कि बेहद मजबूत हेल्दी व किफायती है। उन्होंने कहा कि पराली के जलने से होने वाली प्रदूषण की समस्या हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व दिल्ली की राज्य सरकारों के लिए हर साल चुनौती बनती है और इसका समाधान बेहद जरूरी है।
डॉ. विकास गर्ग ने कहा कि विद्यार्थियों के द्वारा तैयार उत्पाद इस दिशा में उपयोगी उपाय साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों द्वारा निर्मित ईंट के व्यवसायिक उपयोग से संबंधित आवश्यक टेस्टिंग की प्रक्रिया जारी है और इसके पूर्ण होने के उपरांत इसके व्यावहारिक उपयोग हेतु प्रयास किए जायेंगे।