Stress Management : परीक्षा को लेकर तनाव में हैं छात्र, टीचर सिखा रहे इससे निपटने के उपाय

छात्रों को शिक्षक बताते हैं कि तनाव क्या होता है। इसको जानने के बाद छात्रों को इससे निपटने के उपाय बताए जाते हैंं। छात्रों को तनाव प्रबंधन के लिए ईवीजीसी शिक्षक छात्रों के खानपान व सोने के समय का बदलाव करके तनाव मुक्त करना सीखा रहे हैं।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Wed, 24 Feb 2021 04:15 PM (IST) Updated:Wed, 24 Feb 2021 04:15 PM (IST)
Stress Management : परीक्षा को लेकर तनाव में हैं छात्र, टीचर सिखा रहे इससे निपटने के उपाय
क्लास में बच्चों को तनाव प्रबंधन के तरीके बताती शिक्षिका।

नई दिल्ली [रीतिका मिश्रा]। बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी के लिए कक्षा 9-12 तक के छात्रों के लिए स्कूल खुल गए हैं। स्कूलों में छात्रों को प्रायोगिक परीक्षाओं की तैयारी, मुुख्य परीक्षाओं की तैयारी कराई जा रही है, लेकिन दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बोर्ड के छात्रों को परीक्षाओं की तैयारी के साथ तनाव प्रबंधन करना भी सिखाया जा रहा है। स्कूलों में छात्रों को किसी विषय में परेशानी है तो उसके लिए भी उनको परामर्श शिक्षक परामर्श देते हैं। स्कूलों में छात्रों के लिए सप्ताह में दो दिन ये कक्षाएं लग रही हैं। इसमें एक कक्षा में 12-15 बच्चे साथ बैठते हैं फिर समूह स्तर पर उनको तनाव से जुड़ी विभिन्न बातें बताई जाती हैं।

छात्रों को शिक्षक पहले बताते हैं कि तनाव क्या होता है, इसके लक्षण और कारण क्या होते हैं। इसको जानने के बाद छात्रों को इससे निपटने के उपाय बताए जाते हैंं। छात्रों को तनाव प्रबंधन के लिए ईवीजीसी (शिक्षा और व्यावसायिक मार्गदर्शन) शिक्षक छात्रों के खानपान व सोने के समय का बदलाव करके और ध्यान लगाने के साथ प्राणायाम करके भी तनाव मुक्त करना सीखा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि 18 जनवरी से कक्षा 10-12 और 5 फरवरी से कक्षा 9-11 की कक्षाएं खुल गई थीं।

करोल बाग स्थित राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय में ईवीजीसी (शिक्षा और व्यावसायिक मार्गदर्शन) शिक्षिका मानसी ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षा ही चल रही थी। अब बोर्ड परीक्षा की तैयारी के लिए लंबे समय बाद स्कूल खुले हैं तो ऐसे में छात्रों को परीक्षा को लेकर ज्यादा तनाव हैं। कई छात्र इसमें बोर्ड परीक्षा के साथ-साथ जेईई और नीट की भी तैयारी कर रहे हैं तो उन्हें और ज्यादा तनाव है।

मानसी के मुताबिक कई छात्र इसलिए भी तनाव में रहते हैं क्योंकि उन्हें खुद से ही बहुत अपेक्षाएं हैं। उन्होंने बताया कि वो छात्रों को बताती हैं कि कैसे तनाव को सकारात्मक तरीके से मुक्त किया जा सकता है। मानसी के मुताबिक जिन छात्रों के व्यवहार में उन्हें थोड़ा बदलाव लगता है तो वो उन्हें सबसे पहले परामर्श देती है ताकि वो छात्र अपने तनाव के लिए किसी गलत आदत को न अपनाएं।

अभिभावकों को मिल रहा परामर्श

सरकारी स्कूलों में छात्रों के साथ उनके अभिभावकों को भी परामर्श दिया जा रहा है ताकि अभिभावक की उनकी बढ़ती उम्र के साथ ही उनके साथ बर्ताव करे। अभिभावकों को स्कूल में बताया जा रहा है कि अगर बीच-बीच में उनके बच्चे के व्यवहार में बदलाव दिखे या फिर अचानक गुस्सा करे तो घबराने की जगह बच्चे की मनोस्थिति को समझे और उसकी समस्या को सुने।

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