परेशानियों में भी जीवन को जीने की प्रेरणा देती है एक्सेस बैगेज की कहानी

दैनिक जागरण श्री सीमेंट व अहसास वुमन एनसीआर के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में अहसास वुमन दिल्ली दीपाली भसीन ने लेखिका से उनके लेखन के सफर व पुस्तक ‘एक्सेस बैगेज’ पर चर्चा की। मुखर्जी ने बताया कि उन्होंने कुछ वर्ष पूर्व ही अपने लेखन के सफर की शुरुआत की है।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 06:55 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 06:55 PM (IST)
परेशानियों में भी जीवन को जीने की प्रेरणा देती है एक्सेस बैगेज की कहानी
ऋचा ने बताया कि एक्सेस बैगेज पुस्तक एक मां व बेटी की कहानी है।

नई दिल्ली [रितु राणा]। मयूर विहार में प्रभा खेतान फाउंडेशन ने ‘द राइट सर्किल’ कार्यक्रम के तहत लेखिका ऋचा एस मुखर्जी के साथ उनकी पुस्तक पर चर्चा की। दैनिक जागरण, श्री सीमेंट व अहसास वुमन एनसीआर के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में अहसास वुमन दिल्ली दीपाली भसीन ने लेखिका से उनके लेखन के सफर व पुस्तक ‘एक्सेस बैगेज’ पर चर्चा की। इस अवसर पर ऋचा एस मुखर्जी ने बताया कि उन्होंने कुछ वर्ष पूर्व ही अपने लेखन के सफर की शुरुआत की है।

एक्सेस बैगेज उनकी तीसरी पुस्तक है, जिसके प्रकाशक हार्पर कोनिंस हैं। इस पुस्तक को पाठकों का खूब प्यार मिल रहा है और जल्द ही इसकी कहानी बड़े पर्दे पर देखने को मिलेगी। इस पर फिल्म बनने की तैयारी चल रही है। इससे पूर्व वह दो पुस्तकें लिख चुकी हैं, उनकी तीनों पुस्तकों की कहानी रोमांचक और हास्यपूर्ण हैं। उन्होंने सबसे पहली पुस्तक ‘ आइ डिडन्ट एक्सपैक्ट टू बी एक्सपैक्टिंग’ लिखी, जो एक्सीडेंटल गर्भावस्था पर आधारित थी। इसके बाद ‘कानपुर खुफिया प्राइवेट लिमिडेट’ लिखी जिसे पाठकों का खूब प्यार मिला और इस पर जल्द ही एक बेव सीरीज भी बन रही है।

ऋचा ने बताया कि एक्सेस बैगेज पुस्तक एक मां व बेटी की कहानी है, जो परेशानियों में भी जीवन को खुलकर जीने की चाहत रखती हैं। इस कहानी में मुख्य पात्र अनविक्शा नाम की लड़की है, जिसका दो बार तलाक हो चुका है। जिस कारण वह अपनी परेशानियों से दूर अकेले कहीं छुट्टियों पर जाना चाहती है, जैसे किसी बालीवुड फिल्म में होता है। लेकिन, उसकी 67 वर्षीय मां भी उसके साथ जाने की जिद करने लगती है। इसके बाद दोनों मां बेटी लंदन घूमने चले जाते हैं।

अनविक्शा के पिता भी उसकी मां के साथ नहीं रहते थे। ऐसे में लंदन जाकर वह दोनों अपने जीवन के बारे में सोचती हैं कि वह दोनों कैसे एक जैसे दौर से गुजर रही हैं। यह कहानी गंभीर न होकर हास्यपूर्ण समसामयिक उपन्यास है। अंत में एहसास वुमन नोएडा शिंजिनी कुलकर्णी ने सभी अतिथियों व श्रोताओं को धन्यवाद देकर कार्यक्रम का समापन किया। इस मौके पर कंचन चेतल भी मौजूद रहीं।

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