हितधारकों ने मिटा दी कालकाजी मंदिर की आध्यात्मिक पवित्रता : हाई कोर्ट

पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि पिछले आदेश के तहत मंदिर परिसर से दुकानों और अनधिकृत कब्जाधारियों को हटाने की कार्रवाई दस दिसंबर से जारी रखें। पीठ ने इसके साथ ही अदालत द्वारा नियुक्त किए गए आर्किटेक्ट से पूरे मंदिर परिसर का निरीक्षण और सर्वेक्षण करने का अनुरोध किया।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 06:45 AM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 07:36 AM (IST)
हितधारकों ने मिटा दी कालकाजी मंदिर की आध्यात्मिक पवित्रता : हाई कोर्ट
आर्किटेक्ट से पूरे मंदिर परिसर का निरीक्षण और सर्वेक्षण करने का दिया निर्देश

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। कालकाजी मंदिर के अंदर अनधिकृत कब्जाधारियों, दुकानदारों का अतिक्रमण, साफ-सफाई व भक्तों के लिए मूलभूत सुविधाओं के अभाव को देखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। मंदिर पसिरस में दुकानदारों व अन्य लोगों द्वारा किए गए अतिक्रमण व अवैध निर्माण को हटाने का दिया अतिरिक्त निर्देश देते हुए न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने कहा कि हितधारकों ने मंदिर की आध्यात्मिक पवित्रता को पूरी तरह से मिटा दिया है। पीठ ने कहा कि अदालत की राय है कि जिन दुकानदारों ने मंदिर परिसर में अपना आवास बना लिया है और धर्मशाला सहित दुकानों पर अनधिकृत कब्जा कर लिया है, उन्हें इसे खाली करने की जरूरत है।

कब्जाधारियों को हटाने की कार्रवाई जारी रखने का निर्देश

पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि पिछले आदेश के तहत मंदिर परिसर से दुकानों और अनधिकृत कब्जाधारियों को हटाने की कार्रवाई दस दिसंबर से जारी रखें। पीठ ने इसके साथ ही अदालत द्वारा नियुक्त किए गए आर्किटेक्ट से पूरे मंदिर परिसर का निरीक्षण और सर्वेक्षण करने का अनुरोध किया। पीठ ने उन्हें एक वैकल्पिक स्थान का सुझाव देने को कहा, जहां से मंदिर के पुनर्विकास की अंतिम योजना को मंजूरी मिलने तक अस्थायी रूप से दुकानें चलाई जा सकें।

उच्चतम बोली के आधार पर दुकानदारों को दिया जा सकता है विकल्प

पीठ ने कहा कि अगर इसके लिए दुकानदार इस न्यायालय के समक्ष अपना वचनपत्र दाखिल करते हैं, तो उच्चतम बोली के आधार पर एक विकल्प दिया जा सकता है। जिन दुकानदारों की लंबे समय से कालकाजी मंदिर परिसर में दुकानें हैं, वे दुकानें चलाने के लिए तहबाजारी/लाइसेंस शुल्क का भुगतान निर्धारित नियमों और शर्तों के अनुसार कर सकते हैं। यदि दुकानदार इस आशय का अपना वचन देते हैं कि वे मंदिर परिसर में कब्जा या निवास नहीं करेंगे, तो अदालत उनके उपक्रमों पर विचार कर सकती है और सुनवाई की अगली तारीख को निर्देश पारित कर सकती है।

प्रशासक नियुक्त करने पर अदालत ने स्पष्ट किया रुख

एक सीमित समय के लिए प्रशासन नियुक्त करने के मामले पर जिरह के बाद पीठ ने आदेश दिया कि मंदिर में पूरी तरह से कुप्रबंधन है। मंदिर के पुजारियों-बारीदारों में एकता नहीं है। अतिक्रमण, अनधिकृत कब्जा से लेकर गंदगी है।

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