एम्स के अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा, आइसीयू में बुजुर्गों से ज्यादा गई युवाओं की जान

Shocking disclosure in AIIMS study कोरोना वायरस संक्रमण के नए स्ट्रेन ने हर वर्ग की जान ली है। यहां तक कि 20-25 वर्ष के युवाओं ने भी कोरोना की चपेट में आकर दम तोड़ा। इसके साथ ही दिल्ली में तो बच्चों ने भी अपनी जान गंवाई है।

By Jp YadavEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 08:35 AM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 08:57 AM (IST)
एम्स के अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा, आइसीयू में बुजुर्गों से ज्यादा गई युवाओं की जान
एम्स के अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा, आइसीयू में बुजुर्गों से ज्यादा गई युवाओं की जान

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर ने दिल्ली-एनसीआर में जो कहर बरपाया, उसको लेकर धीरे-धीरे नई और चौंकाने वाली जानकारी सामने आ रही है। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (Delhi based All India Institute of Medical Sciences) एक अध्ययन से पता चला है कि कोविड आइसीयू में भर्ती बुजुर्गों से कहीं ज्यादा युवाओं ने अपनी जान गंवाई है। एम्स की स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हैरान तो करता है, लेकिन यह सच के करीब भी नजर आ रहा है।

दरअसल, कोरोना वायरस संक्रमण के नए स्ट्रेन ने हर वर्ग की जान ली है। यहां तक कि 20-25 वर्ष के युवाओं ने भी कोरोना की चपेट में आकर दम तोड़ा। इसके साथ ही दिल्ली में तो बच्चों ने भी अपनी जान गंवाई है। इनमें से एक बच्ची की उम्र तो एक साल से भी कम थी। वहीं, एम्स के डॉक्टर राजेश मल्होत्रा की मानें तो अधिकतर मरीज गंभीर हालात में इलाज के लिए एम्स पहुंचते हैं। 22 फीसद मरीज तो वेंटिलेटर के साथ ही एडमिट हुए और 28 फीसद मरीज 24 घंटे के अंदर वेंटिलेटर पर चले गए।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के अध्ययन के अनसुार, एम्स के आइसीयू में भर्ती कराए गए बुजुर्गों से ज्यादा 50 साल से कम उम्र के मरीजों की मौत हुई है। बता दें कि चिकित्सा जगत के साथ आम लोगों को भी चौंकाने वाला यह आंकड़ा एम्स के अध्ययन में मिला है। बताया जा रहा है कि एम्स के आइसीयू में कुल 247 लोगों की कोरोना वायरस संक्रमण से जान गई। वहीं, 42.1 फीसद जान गंवाने वालों की उम्र 18 से 50 साल के बीच थी। इसके साथ ही आइसीयू में अपनी जान गंवाने वालों में 94.74 फीसद में एक और एक से अधिक कोमॉर्बिडिटीज पाई गईं। एम्स के अध्ययन में यह भी सामने आया है कि सिर्फ 5 फीसद ऐसे लोगों की मौत हुई, जिनमें कोई कोमॉर्बिडिटीज नहीं थी। 

एम्स में यह स्टडी 4 अप्रैल से लेकर 24 जुलाई के बीच की गई। कुल 654 मरीज आइसीयू में भर्ती हुए थे। जिसमें से 227 यानी 37.7 फीसद की मौत हो गई। अध्ययन में 65 फीसद पुरुष थे, जबकि जान गंवाने वालों की ऐवरेज उम्र 56 साल थी, लेकिन सबसे कम 18 साल की उम्र में भी मौत हुई और ज्यादा से ज्यादा 97 साल थी। 

खराब जीवनशैली बना रही कोविड का शिकार

अध्ययन में यह बात सामने आई कि वैसे तो कोरोना के कारण मरने वाले मरीजों की औसत उम्र 56 वर्ष रही, लेकिन आइसीयू में कोरोना से मरने वालों में 42.1 फीसद मरीजों की उम्र 18 से 50 वर्ष के बीच थी, 34.8 फीसद मरीजों की उम्र 50 से 65 वर्ष व 23.1 फीसद मरीजों की उम्र की उम्र के 65 से अधिक थी। ट्रामा सेंटर के प्रमुख डॉ. राजेश मल्होत्रा ने कहा कि कोरोना से मरने वाले 43.3 फीसद मरीज हाइपरटेंशन, 35.8 फीसद मधुमेह व 20.6 फीसद किडनी की बीमारी से पीड़ित थे। इसके अलावा संक्रमण पुरुषों में अधिक देखा गया। महिलाओं में कोरोना कम होने का अभी तक स्पष्ट कारण मालूम नहीं है, लेकिन एस्ट्रोजन हार्मोन कुछ हद तक कोरोना से बचाव करता है।

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