जानें किस मुद्दे पर शरिया काउंसिल ने कहा हराम चीज का स्वरूप बदल जाए तो वह हराम नहीं रहता

कोरोना टीके को लेकर भ्रम की स्थिति को दूर करते हुए शरिया काउंसिल ने कहा कि इसे लगवाना वैध है। काउंसिल ने कहा कि इसे लेकर काफी सवाल आ रहे हैं जिस पर विचार के बाद इस निर्णय पर पहुंचा गया है कि यह वैध है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 03:33 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 03:33 PM (IST)
जानें किस मुद्दे पर शरिया काउंसिल ने कहा हराम चीज का स्वरूप बदल जाए तो वह हराम नहीं रहता
शरिया काउंसिल ने कहा कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए टीका लगवाना वैध है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कोरोना टीके को लेकर भ्रम की स्थिति को दूर करते हुए शरिया काउंसिल ने कहा कि इसे लगवाना वैध है। काउंसिल ने कहा कि इसे लेकर काफी सवाल आ रहे हैं, जिस पर विचार के बाद इस निर्णय पर पहुंचा गया है कि यह वैध है। जारी बयान में काउंसिल ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए जो वैक्सीन विकसित की गई है वह इलाज नहीं है, यह एक एहतियाती उपाय है। यह मानव शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करना है।

काउंसिल ने कहा कि टीकाकरण बीमारी से बचने की उम्मीद को मजबूत करता है, इसलिए इसे लगवा लेना बेहतर है। खासकर उनके लिए जो अधेड़ या बुजुर्ग है। शरीयत के जानकारों ने वैक्सीन को लगवाने की अनुमति दी है, भले ही वैक्सीन में कोई हराम चीज शामिल हो। क्योंकि सबसे पहले हराम चीज का स्वरूप बदल जाए तो वह हराम नहीं रहता है। दूसरे, यह कि अत्यंत जरूरत के समय हराम चीज का इस्तेमाल करने की अनुमति है। इसी तरह कोई महामारी फैल गई है या बीमार होने का पूर्ण संदेह हो, तो एहतियाती उपाय करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि बीमारी के फैलने के बाद उसका इलाज कराना।

उधर अपोलो अस्पताल ने देश भर के स्वास्थ्यकर्मियों में टीका लगने के बाद किए गए अध्ययन के परिणाम जारी किए हैं। परिणाम के मुताबिक, टीका लगने के बाद 95 फीसद स्वास्थ्यकर्मी सुरक्षित रहे। वहीं, सिर्फ 4.28 फीसद स्वास्थ्यकर्मियों में हल्का संक्रमण हुआ। यह अध्ययन 15 जनवरी से 30 मई 2021 तक किया गया। साढ़े चार माह तक चला यह अध्ययन 31 हजार 621 स्वास्थ्यकर्मियों पर किया गया, जिन्हें कोविशील्ड या कोवैक्सीन की दोनों डोज या पहली डोज दी जा चुकी थी। इसके बाद सिर्फ 90 मामले यानि 0.28 फीसद में ही मरीज को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा, जबकि सिर्फ तीन मामलों (0.01 फीसद) में आइसीयू में भर्ती करने की जरूरत पड़ी।

वहीं, टीका लगने के बाद संक्रमित हुए एक भी मरीज की मौत नहीं हुई। अपोलो अस्पताल समूह के चिकित्सा निदेशक डा अनुपम सिब्बल ने बताया कि यह टीकाकरण के बाद का एक महत्वपूर्ण अध्ययन है, जिससे साफ हो गया है कि टीका लगने के बाद संक्रमण के मामले में गंभीर लक्षणों की संभावना कम हो जाती है। साथ ही मरीज मृत्यु से भी सुरक्षित रहता है। डा अनुपम ने बताया कि अध्ययन में एक डोज के बाद संक्रमण के मामले अधिक पाए गए। वहीं, जिन स्वास्थ्यकर्मियों को दोनों डोज दी जा चुकी थीं, उनमें संक्रमण के मामले कम पाए गए। इसलिए कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जीत हासिल करने के लिए हमें अपनी पूरी आबादी को टीका लगाना होगा।

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