शहादरा लूट केस : तीन में से एक पीड़ित घटना से ही मुकरा, छह आरोपित बरी

सात साल पहले शाहदरा इलाके में लूट और जानलेवा हमले के मामले में कड़कडड़ूमा कोर्ट ने छह आरोपितों को बरी कर दिया है। इन पर लगाए गए आरोप साबित नहीं हो पाए। एक पीड़ित ने कोर्ट में बयान दिया कि वह कथित घटना उसके सामने नहीं हुई।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 07:45 AM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 10:52 AM (IST)
शहादरा लूट केस : तीन में से एक पीड़ित घटना से ही मुकरा, छह आरोपित बरी
कोर्ट ने सबसे पहले सभी पक्षों को सुना फिर छह लोगों को बरी कर दिया।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। सात साल पहले शाहदरा इलाके में लूट और जानलेवा हमले के मामले में कड़कडड़ूमा कोर्ट ने छह आरोपितों को बरी कर दिया है। इन पर लगाए गए आरोप साबित नहीं हो पाए। एक पीड़ित ने कोर्ट में बयान दिया कि वह कथित घटना उसके सामने नहीं हुई। विधिक रिकार्ड के अनुसार 5 मार्च 2014 को रोहतास नगर से शाहदरा पुलिस को पीसीआर काल आई थी कि केनरा बैंक के पास लक्ष्मी एसोसिएट के पास यूपी के कुछ वाहन हैं और फायरिंग हो रही है।

पुलिस ने दर्ज किया था मुकदमा

मौके पर पहुंचे पुलिस कर्मियों को पता चला कि फायरिंग में कुछ लोग घायल हुए हैं, जिन्हें जीटीबी अस्पताल ले जाया गया है। अस्पताल में पुलिस को बलराम, शेखर और करन घायल मिले। अगले दिन बलराम की शिकायत पर पुलिस ने राज कुमार उर्फ किट्टू, श्यामजी, रामपाल उर्फ रामजी, साहिल बुद्धिराजा, जोगिंदर शर्मा उर्फ विक्की पंडित के खिलाफ लूट और जानलेवा हमला करने समेत कई आरोपों में मुकदमा दर्ज किया था।

बलराम ने प्राथमिकी में दर्ज कराया गया था कि वह लक्ष्मी एसोसिएट में काम करते हैं। घटना वाली रात वह दफ्तर बंद कर अन्य कर्मियों के साथ बाहर खड़े थे। तभी राज कुमार उर्फ किट्टू ने श्यामजी, रामपाल उर्फ रामजी, साहिल बुद्धिराजा, जोगिंदर शर्मा उर्फ विक्की पंडित के साथ मिलकर मारने के इरादे से उनको पीटा। यह भी बताया कि बचाने आए शेखर और करन से भी हमलावरों ने मारपीट की। साथ ही आरोप लगाया कि शेखर के गले से छह तोले की सोने की चेन साहिल ने तोड़ ली थी।

गवाही में कहा नहीं हुई घटना सामने

गवाही के दौरान शेखर ने कोर्ट में बयान दिया था कि कथित घटना उसके सामने नहीं हुई। पुलिस ने खाली कागज पर उसके हस्ताक्षर लिए। करन को कोर्ट में पेश ही नहीं किया गया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजीव कुमार मल्होत्रा की कोर्ट ने सभी पक्ष सुनने के बाद सभी आरोपितों को बरी कर दिया। यह कहते हुए कि आरोप साबित नहीं हो पाए।

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