आओ बचाएं नीम नदी : प्रकृति प्रदत्त उपहारों को सहेजने से संवरेगा कल अभियान

नीम नदी के अभियान के लिए दैनिक जागरण की जितनी प्रशंसा की जाए कम है। हमें पानी के महत्व को समझना होगा। क्याेंकि नदियों का पानी हमारे शरीर में बहने वाले खून की भांति है। यदि शरीर में खून दौड़ना बंद हो जाए तो इंसान की मौत हो जाती है।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 07:45 AM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 07:45 AM (IST)
आओ बचाएं नीम नदी : प्रकृति प्रदत्त उपहारों को सहेजने से संवरेगा कल अभियान
दैनिक जागरण द्वारा नीम नदी को लेकर चलाए जा रहे अभियान का कारवां दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।

नई दिल्ली,हापुड़ [मनोज त्यागी]।

नीम नदी की खोज से पता लगा इतिहास।

कल-कल फिर से बहे करते हैं सब आस।

गांव अच्छेजा स्थित एटीएमएस कालेज के कार्यकारी निदेशक डॉ. राकेश अग्रवाल की ये पंक्तियां नीम नदी को पुनर्जीवित करने को लेकर सटीक साबित बैठती हैं। वास्तव में नीम नदी को पुनर्जीवित करने के अलावा उसके कल-कल बहने की आस भी जगने लगी है। नीम नदी फिर से पुरानी स्वरूप में बहें, यह चाह सभी की हो चुकी है। इसके पुनर्जीवित होने से ही न केवल क्षेत्र का विकास होगा, बल्कि भूजल के स्तर में भी बड़ा सुधार होगा।

दैनिक जागरण द्वारा नीम नदी को लेकर चलाए जा रहे अभियान का कारवां दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इसी कड़ी में गांव अच्छेजा स्थित शिक्षण संस्थान एटीएमएस कालेज के स्टाफ ने जाना कि नदी क्यों विलुप्त हुई और कैसे उसे पुनर्जीवन दिया जा रहा है। प्रवक्ताओं के साथ चर्चा करते हुए दैनिक जागरण की मुहिम से जुड़े मदन सैनी ने हर पहलू को बताया। उन्होंने कहा कि ईश्वर ने हमें जो प्रकृति प्रदत्त उपहार दिए हैं, उनमें जल, नदियां, वृक्ष, पहाड़ और आदि हैं। अगर, हमने इन उपहारों को नहीं संवारा तो हमारा आने वाले कल में जीवन संकट में पड़ जाएगा। जिसके लिए हमारी आने वाली पीढ़ियां हमें दोषी ठहराएंगी और कभी माफ नहीं कर पाएंगी।

इसलिए हमें इन प्रकृति प्रदत्त उपहारों का बहुत संभलकर उपयोग करना चाहिए। इनको नष्ट होने से बचाने के लिए हर संभव प्रयास करते रहना चाहिए। आने वाले जीवन में यह सभी चीजें आज से भी ज्यादा महत्वपूण हो जाएंगी। इस भौतिकवादी युग में इन पर किसी का ध्यान नहीं है। इसलिए हमें ही इन्हें सजाना और संवारना है। आज दुनिया के अंदर जो भी आपदाएं और बीमारियां हैं, उनका मूल कारण पर्यावरण असंतुलन है। पर्यावरण असंतुलन को संतुलित करने के लिए हमें नदियों, पहाड़ों और वृक्षों को बचाना जरूरी है। इसके लिए नीम नदी भी एक दूसरी नदियों को बचाने के लिए एक प्रेरणा के श्रोत का काम करेगी। आओ हम सब मिलकर नीम नदी को बचाने के लिए जागरूकता अभियान में बढ़ चढ़कर हिस्सा लें और आने वाले समय में श्रमदान के लिए तैयार रहें।

जल जीवन है। नदियों से हमें जल प्राप्त होता है खेती के लिए, पीने के लिए और जीवन जीने के लिए। नीम नदी पुनर्जीवित हो जाती है तो हापुड़ से अलीगढ़ तक के लिए हरियाली और खुशहाली देगी। इसलिए अधिक से अधिक लोगों को इसमें योगदान करना चाहिए। बच्चे से लेकर बड़ों तक इसमें जुड़ेंगे तो जो विलुप्त हुई नदी है वह समाज के लिए प्राप्त हो जाएग। इसलिए सभी का कर्तव्य है कि छिपी हुई जो नदिया हैं, उन्हें सबके सामने लाएं और समाज के लिए उपयोगी बनाएं।

डॉ. राकेश अग्रवाल, कार्यकारी निदेशक, एटीएमएस कालेज

दैनिक जागरण की बहुत ही प्रशंसनीय पहल चल रही है। नदियां और तालाब ही जल संचयन का सबसे अच्छा स्त्रोत हैं। बिना पानी के जीवन नहीं हो सकता है। कुछ लोगों ने अपने निजी स्वार्थ के चलते नदियों और तालाबों पर कब्जा कर लिया है। उन्हें स्वयं ही कब्जा हटाकर नदियों को निर्बाध बहने के लिए काम करना चाहिए। नीम नदी को पुनर्जीवित करने के लिए मैं श्रमदान करने को तैयार हूं।

डॉ. एसपी राघव, प्रवक्ता बीएड विभाग, एटीएमएस कालेज

जो देता है वह देवता होता है। नदियां पानी देती है और वृक्ष हमें फल देते हैं। प्रकृति हमें कुछ न कुछ देती रहती है। इसलिए प्रकृति देवता के समान है। लेकिन, लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए जीवनदायिनी नदियों को ही विलुप्त करने का प्रयास किया है। अब दैनिक जागरण ने जिले से उद्गम होने वाली नीम नदी को पुनर्जीवित करने का अभियान चलाया है। जब भी आवश्यकता होगी, इसमें हम भी श्रमदान करेंगे।

डॉ. अरुण कुमार, प्रवक्ता फार्मेसी विभाग, एटीएमएस कालेज

नीम नदी को पुनर्जीवित करने के लिए जो मुहिम दैनिक जागरण ने शुरू की है यह बेहद अच्छी मुहिम है। घटते भूजल को ध्यान में रखते हुए देशभर में इस तरह की मुहिम चलनी चाहिए। नदियों और तालाबों को पुनर्जीवित करने के साथ-साथ हमें बारिश के पानी को भी सेहजना होगा। वरना, आने वाली पीढ़ी का भविष्य और अधिक संकट में होगा। नीम नदी को पुनर्जीवित करने के लिए हम सबको एकजुट होना होगा।

इंजीनियर विद्युत भद्रा, कोआर्डीनेटर पालिटेक्निक

हमें नीम नदी के बारे में दैनिक जागरण द्वारा चलाए जा रहे अभियान से जानकारी हुई। जब नीम नदी को पुनर्जीवित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में पढ़ा तो इस अभियान से जुड़ने की जिज्ञासा हुई। हमें इस तरह के अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना होगा। अन्यथा हमारी आने वाली पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेगी।

स्वीटी सागर,  प्रवक्ता फार्मेसी विभाग, एटीएमएस कालेज

नीम नदी के अभियान के लिए दैनिक जागरण की जितनी प्रशंसा की जाए कम है। हमें पानी के महत्व को समझना होगा। क्याेंकि नदियों का पानी हमारे शरीर में बहने वाले खून की भांति है। यदि शरीर में खून दौड़ना बंद हो जाए तो इंसान की मौत हो जाती है। इसलिए हमें नदियों और तालाबों को पुनर्जीवित करने के लिए बड़े-बड़े कदम उठाने चाहिए। नीम नदी को पुनर्जीवित करने के लिए जब भी आवश्यकता होगी हम श्रमदान करेंगे।

सोनम, प्रवक्ता फार्मेसी विभाग, एटीएमएस कालेज

क्या कहते हैं नदी पुत्र

नीम नदी पुनर्जीवन के कार्य को दैनिक जागरण ने अपने परिश्रम से जन-जन तक पहुंचा दिया है। समाजहित के कार्य समाज के सहयोग से ही बेहतर व टिकाऊ हो पाते हैं। अब जब नीम नदी पुनर्जीवन का कार्य ग्राउंड पर प्रारंभ होगा तो स्थाई व टिकाऊ होगा। नीम नदी के कार्य को जमीन से पहले लोगों के मन-मस्तिष्क में बखूबी उतार दिया गया है।

डॉ. रमनकांत त्यागी, नदी पुत्र

ड्राइंग व स्लोगन प्रतियोगिता में लें भाग -

नीम नदी बचाने के लिए दैनिक जागरण चित्रकला और स्लोगन प्रतियोगिता शुरू करने जा रहा है। इस प्रतियोगिता को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। पहली श्रेणी में कक्षा एक से कक्षा पांच तक, दूसरी श्रेणी में कक्षा छह से कक्षा नौ तक और तीसरी श्रेणी में दस से कक्षा 12 तक के छात्र-छात्राएं भाग ले सकते हैं। सर्वश्रेष्ठ ड्राइंग व स्लोगन बनाने वाले छात्रों को दैनिक जागरण समाचार पत्र में छपने का मौका मिलेगा। इसमें नीम नदी को बचाने के लिए कोई बढ़िया ड्राइंग व स्लोगन बनाकर वाट्सएप नंबर 9560798075, 9560798000 पर हमें 30 अप्रैल 2021 तक भेज सकते हैं। इसके अलावा ड्राइंग व स्लोगन ई-मेल आइडी abhishek.rai@nda.jagran.com पर भेज सकते हैं।

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