DSGMC Elections 2021: मनजिंदर सिंह सिरसा के खिलाफ लुक आउट नोटिस से मुश्किल में शिअद बादल
DSGMC Elections 2021 शिरोमणि दल अकाली दल पार्टी तीसरी बार कमेटी पर कब्जा जमाने का सपना देख रही है लेकिन चुनावी दौर में उसके नेता पर कानूनी शिकंजा कसने लगा है। इससे विरोधियों के हाथ बड़ा मुद्दा लग गया है। वह इसे भुनाने में जुट गए हैं।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी होने से शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) की सियासी राह कठिन हो गई है। शिरोमणि दल अकाली दल पार्टी तीसरी बार कमेटी पर कब्जा जमाने का सपना देख रही है, लेकिन चुनावी दौर में उसके नेता पर कानूनी शिकंजा कसने लगा है। इससे विरोधियों के हाथ बड़ा मुद्दा लग गया है। वह इसे भुनाने में जुट गए हैं। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सियासत और तेज होगी। डीएसजीएमसी का चुनाव 22 अगस्त को है। इसे लेकर चुनाव प्रचार शुरू हो गया है।
शिअद बादल मनजिंदर सिंह सिरसा के नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतरी है। पार्टी अब तक कमेटी के कामकाज को प्रचारित करने के साथ ही विरोधी दलों के नेताओं पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाती रही है। अब स्थिति पलट गई है। कमेटी के फंड के दुरुपयोग के आरोप में मनजिंदर सिंह सिरसा के खिलाफ एफआइआर दर्ज होने के बाद पिछले दिनों लुक आउट नोटिस जारी हो गया है। इससे शिअद बादल के नेता बचाव की मुद्रा में हैं। दूसरी ओर शिरोमणि अकाली दल दिल्ली (सरना) और जग आसरा गुरु ओट (जागो) के नेता हमलावर हैं।
शिअद दिल्ली (सरना) के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना का कहना है कि डीएसजीएमसी के इतिहास में पहली बार भ्रष्टाचार के आरोप में अध्यक्ष के विदेश जाने पर पाबंदी लगाई गई है। इन्हें अब अध्यक्ष पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। श्री अकाल तख्त के जत्थेदार को इनसे इस्तीफा देने के लिए बोलना चाहिए। इस मामले में शिअद बादल की चुप्पी भी हैरान करने वाली है।
वहीं, जागो के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके का कहना है कि उनके खिलाफ सिर्फ भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और उन्होंने डीएसजीएमसी पद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफे के दो माह बाद उनके खिलाफ लगे आरोपों के मामले में एफआइआर दर्ज हुई थी। वहीं, सिरसा के खिलाफ अदालत के आदेश के बाद तीन एफआइआर दर्ज हुई हैं और विदेश जाने पर पाबंदी लगा दी गई है। इसके बावजूद वह पद नहीं छोड़ रहे हैं। शिअद बादल के शीर्ष नेतृत्व की चुप्पी से पता चलता है कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है।
उधर, इस पूरे मामले में शिअद बादल के नेताओं का कहना है कि डीएसजीएमसी मानवता की सेवा के लिए काम कर रही है। कोरोना काल में उसके द्वारा किए गए कार्य की पूरे विश्व में सराहना हो रही है। इससे विरोधी परेशान हैं और मनगढ़ंत आरोप लगा रहे हैं। कमेटी के कानूनी प्रकोष्ठ के चेयरमैन जगदीप सिंह काहलों का कहना है कि शिअद दिल्ली (सरना) के नेता भुपिंदर सिंह काहलों ने अदालत को गुमराह किया है। उनके खिलाफ नोटिस भी जारी किया गया है।