लंदन में दस भाषाओं में लोकगीतों की प्रस्तुति देंगी भारत की रुनकी

रुनकी के संगीतबद्ध गीतों और गले का जादू दक्षिण में सिर चढ़कर बोल रहा है।

By JP YadavEdited By: Publish:Thu, 22 Mar 2018 06:11 PM (IST) Updated:Fri, 23 Mar 2018 10:33 AM (IST)
लंदन में दस भाषाओं में लोकगीतों की प्रस्तुति देंगी भारत की रुनकी
लंदन में दस भाषाओं में लोकगीतों की प्रस्तुति देंगी भारत की रुनकी

गुरुग्राम (हंस राज)। रोजगार और रचनात्मकता के बीच संतुलन बनाकार चलने वाली रुनकी गोस्वामी लोक संगीत की दुनिया का एक जाना पहचाना नाम है। साइबर सिटी के निरवाणा कंट्री में रहने वाली लोक गायिका की पहचान अलग-अलग भाषाओं में उनकी संगीत प्रस्तुति के लिए की जाती है।

इंडिया हैबीटेट सेंटर, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर समेत देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित कार्यक्रमों में अब तक 17 क्षेत्रीय भाषाओं में अपनी प्रस्तुति दे चुकी रुनकी आगामी 30 मई को लंदन में भारतीय उच्चायोग के नेहरू सेंटर में अपनी आवाजों का जादू बिखेरेंगी। जहां वो दस भाषाओं की 20 पारंपरिक लोकगीत प्रस्तुत करेंगी।

इन भाषाओं की लोकगीत की देंगी प्रस्तुति

पारंपरिक लोकगीत को लेकर रुनकी कहती हैं कि यह किसी एक रचनाकार या कलाकार की व्यक्तिगत धरोहर न होकर उस स्थान की संस्कृति, मान्यताएं और भावनाओं से जुड़ी होती हैं। जिसे देश में ही नहीं देश के बाहर भी जिंदा रखना जरुरी है। लंदन में रुनकी की गायन में उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, तमिलनाडु और उत्तराखंड के विभिन्न लोकगीतों का समावेश होगा।

गायन को मानती हैं पैशन

मात्र तीन साल की उम्र से ही शास्त्रीय संगीत सीखने वाली रुनकी ने छह साल की उम्र से ही मंचों पर अपनी आवाज का जादू बिखेरना शुरू कर दिया था। स्कूल प्रतियोगिताओं में प्रतिनिधित्व से लेकर ऑल इंडिया रेडियो पर रिकॉर्डिंग और सैकड़ों प्राइवेट शो तक का सफर तय कर चुकी हैं। रांची में पली-बढ़ी रुनकी बताती हैं कि वो संगीतकारों के परिवार से है। यही कारण है कि संगीत उसकी रग-रग में दौड़ता है। हर क्षेत्रीय भाषा का वृहत ज्ञान न होने के बावजूद भी लोकगीत की भावनाओं से जुड़कर वो उन्हें स्वर बद्ध करती हैं।

फिल्मों में भी बन रही है पहचान

इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (हैदराबाद) से एग्जीक्यूटिव मैनेजमेंट और मास्टर्स इन कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म की पढ़ाई करने वाली रुनकी अपनी संगीत प्रतिभा से दक्षिण भारत की फिल्मी दुनिया में भी पहचान बना रही हैं। उनके संगीतबद्ध गीतों और गले का जादू दक्षिण में सिर चढ़कर बोल रहा है। दक्षिण भारत के सिनेमा में बतौर संगीत निर्देशक और गायिका काम कर रही रुनकी ने साल 2013 में तेलगू फिल्म लेखक थेडावास्ते के साथ बतौर संगीत निर्देशक काम किया। इसके अलावा तेलगू फिल्म तिरूविक्रमन और तीन मार बेताल्लुकी, बंगाली भक्ति संगीत एल्बम देबोबीना, हिंदी एलबम मनमर्जियां और ओढ़ी चुनर धानी को भी काफी सफलता मिली है।

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