SDMC: निगम की बैठक में जोरदार हंगामा, नेता प्रतिपक्ष ने महापौर के आसन पर लगा स्टीकर फाड़ा
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की सदन की बैठक में बृहस्पतिवार को जोरदार हंगामा हुआ। नेता प्रतिपक्ष प्रेम चौहान ने महापौर के आसन पर लगा स्टीकर फाड़ दिया। महापौर ने हंगामा करने के आरोप में प्रेम चौहान को 15 दिन के लिए निष्कासित कर दिया है।
नई दिल्ली [निहाल सिंह]। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की सदन की बैठक बृहस्पतिवार को फिर हंगामेदार रही। मामला इतना बढ़ गया कि नेता प्रतिपक्ष प्रेम चौहान ने महापौर के आसन पर महापौर लिखा हुआ स्टीकर ही फाड़ दिया। इस पर महापौर अनामिका सिंह ने उनको सदन से तुरंत निष्कासित करने के आदेश दे दिए और बैठक को 10 मिनट के स्थगित कर दिया गया। फिर से बैठक शुरू होने पर महापौर ने प्रेम चौहान को 15 दिन के निष्कासित कर दिया। महापौर ने स्पष्ट कहा कि सदन में किसी भी प्रकार की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
दरअसल, बैठक शुरू होते ही सत्तापक्ष के पार्षदों ने पिछले सदन की बैठक में नेता प्रतिपक्ष द्वारा महापौर के आसन के सामने आकर अपने कपड़े फाड़ने की घटना पर महापौर से माफी मांगने की मांग की थी। इस पर प्रेम चौहान ने कहा कि उन्हें नहीं लगता उन्होंने उस दिन कुछ गलत किया था, इसलिए वह माफी नहीं मांगेंगे और आगे से ऐसी घटनाएं न हो इसका ध्यान रखेंगे। इस बीच, भाजपा के पार्षदों की मांग पर महापौर ने नेता प्रतिपक्ष को स्वयं से माफ कर दिया। इसके बाद मच्छरजनित बीमारियों पर चर्चा शुरू हो गई। इस पर आम आदमी पार्टी (आप) के पार्षद शुरुआत में नेता प्रतिपक्ष को न बोलने देने से नाराज होकर महापौर के आसन के समक्ष पहुंच गए। इसी बीच नेता प्रतिपक्ष प्रेम चौहान आवेश में आ गए और उन्होंने महापौर के आसन के सामने लगे स्टीकर को फाड़ दिया।
नेता सदन नरेंद्र चावला ने कहा कि लोकतंत्र के लिए आज यह काला दिन था। आम आदमी पार्टी के पार्षद से लेकर नेता प्रतिपक्ष सदन की मर्यादाओं को तार-तार कर रहे हैं जो कि शोभनीय नहीं है। सदन में मर्यादा में रहकर अपनी बात सभी दलों के सदस्यों को कहनी चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष प्रेम चौहान का कहना है कि जब नेता प्रतिपक्ष को माओवादी कहा जाएंगे और महापौर नेता प्रतिपक्ष को डांटने का प्रयास करेगी और उन्हें बोलने नहीं दिया जाएगा तो फिर जब महापौर अपना कर्तव्य नहीं निभा रही हैं तो फिर महापौर के आसन पर लगे स्टीकर का कोई मतलब नहीं है। वह दक्षिणी निगम सिविक सेंटर के किराये के रूप में बकाया 1800 करोड़ की राशि को उत्तरी निगम को देने की मांग कर रहे थे, जिस पर महापौर ने बोलने नहीं दिया।
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