आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने किया कोरोना की तीसरी लहर का जिक्र, कहा- अभी से करें तैयारी
RSS chief Mohan Bhagwat News मोहन भागवत ने कहा कि यह दौर एक-दूसरे पर दोषारोपण का नहीं बल्कि टीम बनकर एकजुट मुकाबलें का है। यश-अपशय व दोषारोपण के मौके आगे आते रहेंगे। मौजूदा संकट में उद्योग व्यापारी सरकार प्रशासन चिकित्सक व समाज के विभिन्न संगठनों को सामूहिक प्रयास करना होगा।
नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। कोरोना महामारी की दूसरी लहर से पूरे जोर से उबरने का प्रयास करते भारतीय समाज को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एकजुटता का पाठ पढ़ाते हुए कहा कि यह दौर एक-दूसरे पर दोषारोपण का नहीं, बल्कि एक टीम बनकर एकजुट मुकाबलें का है। यश-अपशय व दोषारोपण के मौके आगे आते रहेंगे। मौजूदा संकट में उद्योग, व्यापारी, सरकार, प्रशासन, चिकित्सक व समाज के विभिन्न संगठनों को साथ आकर सामूहिक प्रयास करना होगा। उन्हाेंने दृढ़ निश्चय व्यक्त करते हुए कहा -'हम जीतेंगे, हमारी जीत निश्चित है।' इतिहास में न जाने ऐसे कितने संकट आए हैं, जिसे लांघकर हम आगे बढ़े हैं। हमारी प्रवृत्ति ऐसी है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी...। हमने हर बार विजय प्राप्त की है। इस बार भी करेंगे। इसलिए निराश नहीं होना है। बल्कि तब तक सतत प्रयत्न करते रहना है जब तक कि जीत निश्चित नहीं हो जाती है। इस दौरान उन्होंने तीसरी लहर को लेकर कहा कि इसकी अभी से तैयारी करें।
वह कोविड रिस्पांस टीम (सीआरटी) द्वारा आयोजित पांच दिवसीय व्याख्यानमाला श्रृंखला "हम जीतेंगे: पाजिटिविटी अनलिमिटेड' के समापन अवसर को संबोधित कर रहे थे। 11 मई से आरंभ इस इस श्रृंखला में आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर, जग्गी वासुदेव, साध्वी ऋतंभरा, शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती, उद्योगपति व समाजसेवी अजीम प्रेमजी, पद्म विभूषण सोनल मानसिंह, संत ज्ञानदेव सिंह व समाजसेवी निवेदिता भिड़े का प्रबोधन हुआ भी हुआ है।
आनलाइन आयोजित इस श्रृंखला के समापन अवसर पर भागवत ने कहा कि यह कठिन परिस्थिति दुखी, व्याकुल और निराश करने वाली है, लेकिन इस स्थिति को स्वीकार करते हुए हम अपने मन को नकारात्मक नहीं होने देना है। खुद को तथा अपने लोगों को सुरक्षित रखना है। शरीर को कोरोना से नकारात्मक व मन से सकारात्मक रखना है। अगर हार गए तो स्थित सांप के सामने चूहे वाली हो जाएगी। हमें यह नहीं होने देना है। हम जब आस-पास देखते हैं तो जितना दुख है उतनी आशा भी है। बहुत से लोग अपनी चिंता किए बिना समाज की चिंता कर रहे हैं।
गफलत से आया यह संकट
उन्होंने स्पष्टता से कहा कि पहली लहर आने के बाद हम लोग जरा गफलत में आ गए थे। जनता, शासन व प्रशासन स्तर पर लापरवाही हुईं। जबकि इसके बारे में सबको मालूम था। डाक्टर लोग इशारा दे रहे थे। उस गफलत के चलते यह संकट आ खड़ा हुआ है। देर से जागे कोई बात नहीं, हमें सामूहिकता के बल पर अपनी गति को बढ़ाकर अंतर जो पड़ा है उसे भरकर आगे निकलना है।
तीसरी लहर की करें तैयारी
मोहन भागवत ने तीसरी लहर की तैयारी अभी से करने पर जोर देते हुए कहा कि हमें इससे डरने की जगह इस तरह की तैयारी करनी है कि यह हमारा कुछ न बिगाड़ पाएं। जैसे चट्टान से टकराकर सागर की लहरें चूर-चूर होकर वापस लौटती है। उस तरह की प्रवृत्ति रखनी है। इस दिशा में दृढ़ता से सतत प्रयास हम सभी को करना है। हमें प्रयास समुद्र मंथन सरीखा करना है, जिसमें अमृत निकलने तक मंथन का सतत प्रयास चलता है। इसका अर्थव्यवस्था, रोजगार, शिक्षा आदि पर गहरा प्रभाव पड़ा है। आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था पर और असर पड़ सकता है। इसलिए इसकी तैयारी हमें अभी से करनी होगी। भविष्य की इन चुनौतियों की चर्चा से घबराना नहीं है, बल्कि ये चर्चा इसलिए जरूरी है ताकि हम आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए समय रहते तैयारी कर सकें।
सेवा का किया आह्वान
भागवत ने सेवा का आह्वान करते हुए कहा कि स्वयंसेवक पिछले वर्ष की तरह सेवा कार्य में लगे हुए हैं। इस वर्ष उससे कुछ आगे करने की आवश्यकता है। स्वयं को सजग, सक्रिय व स्वस्थ रखते हुए धैर्य व अनुशासन के साथ सेवा कार्यों में जुटना चाहिए। कोरोना के रोगियों को अस्पतालों में बिस्तर व ऑक्सीजन समेत अन्य व्यवस्थाएं उपलब्ध हों, इसके प्रयास करने चाहिए। सेवा कार्यों में लगे संगठनों को सहयोग करना चाहिए। अपने आस-पास के उन परिवारों की चिंता करनी चाहिए जिन पर आर्थिक संकट है। घर पर खाली न बैठें, कुछ नया सीखें, परिवारों में संवाद बढ़ाएं।
शिक्षा व रोजगार पर ध्यान का लक्ष्य
भागवत ने स्कूल बंद होने से बच्चों की बाधित होती शिक्षा तथा कामगारों की स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने स्वयंसेवकों व समाज का आह्वान करते हुए कहा कि बच्चों को शिक्षा मिलती रहे इसपर ध्यान देना होगा। इसी तरह जिन कामगारों के रोजगार चले गए हैं। उनके जीविकोपार्जन की चिंता के साथ उनके कौशल विकास पर जोर देना होगा।
चिकित्सकों की राय से उपचार लें
उन्होंने इस पर खास ताकीद की कि लोग बिना चिकित्सकीय परामर्श के दवाएं न लें। उन्होंने कहा कि निश्चित ही आयुर्वेद की पुरानी व जांची-परखी परंपरा है। पर यह सब पर अनुकूल हो, ऐसा भी नहीं है। इसलिए बिना परामर्श के अपने से दवाएं न लें। लक्षण होने पर तुरंत जांच कराएं। बदनामी से न डरे। बल्कि इलाज लें। योग करें। अच्छा भोजन लें।