दुष्कर्म मामले में बिहार के सांसद प्रिंस राज की अग्रिम जमानत याचिका पर फैसला सुनाने से जज का इनकार

दुष्कर्म मामले में आरोपित बनाए गए लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के सांसद प्रिंस राज अग्रिम जमानत याचिका पर फैसला सुनाने से राउज एवेन्यू कोर्ट ने आदेश पारित करने से इन्कार कर दिया। विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने मंगलवार को खुद को मामले से अलग कर लिया

By Mangal YadavEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 08:18 PM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 07:18 AM (IST)
दुष्कर्म मामले में बिहार के सांसद प्रिंस राज की अग्रिम जमानत याचिका पर फैसला सुनाने से जज का इनकार
लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के सांसद प्रिंस राज

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। दुष्कर्म मामले में आरोपित बनाए गए लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के सांसद प्रिंस राज अग्रिम जमानत याचिका पर फैसला सुनाने से राउज एवेन्यू कोर्ट ने आदेश पारित करने से इन्कार कर दिया। विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने मंगलवार को खुद को मामले से अलग कर लिया। उन्होंने 17 सितंबर को दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सोमवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया था। लेकिन, सोमवार को उन्होंने फैसला सुनाने की कार्रवाई को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया था। हालांकि, मंगलवार को उन्होंने इस मामले से खुद को अलग कर लिया। मामले में आगे की कार्रवाही तय करने के लिए अब मामला जिला न्यायाधीश के पास स्थानांतरित कर दिया गया है।

17 सितंबर को दिल्ली पुलिस ने प्रिंस राज की याचिका का विरोध करते हुए उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करने की अदालत से मांग की थी। पुलिस ने कहा था कि शिकायर्तकर्ता के दावे के तहत आपत्तिजनक कंटेंट वाले वीडियो को बरामद करने के लिए प्रिंस को हिरासत में लेने की जरूरत है।

वहीं, प्रिंस ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से पुलिस की दलील का विरोध करते हुए दावा किया था कि यह मामला हनी-ट्रैप व वसूली से जुड़ा है। प्रिंस राज ने नौ सितंबर को दुष्कर्म मामले में एफआइआर दर्ज होने के बाद गिरफ्तारी पर सुरक्षा की मांग करते हुए अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी।

उन्होंने आरोप लगाया था कि शिकायतकर्ता महिला अपने एक साथी के साथ मिलकर उनसे रुपये वसूल करने के लिए झूठा आरोप लगा रही है। इतना ही नहीं शिकायकर्ता व उसका पुरुष मिश्र वर्ष 2020 से प्रिंस राज को ब्लैकमेल करके वसूली कर रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया पीड़िता ने उनसे एक करोड़ रुपये की मांग की थी और ऐसा नहीं करने पर झूठा मुकदमा दर्ज कराने की धमकी भी दी थी। इस संबंध में दस फरवरी को संसद मार्ग थाने में इस संबंध में एक एफआइआर दर्ज हुई थी और दोनों को अग्रिम जमानत मिली थी।

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