कोरोना महामारी के दौर में मीडिया की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हुईः ओम बिरला

पांच दिवसीय सत्रारंभ समारोह 25 अक्टूबर से 29 अक्टूबर तक आयोजित किया जाएगा। कोरोना के कारण इस वर्ष यह कार्यक्रम ऑनलाइन आयोजित किया जा रहा है। समारोह का शुभारंभ 25 अक्टूबर को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने किया ।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 06:08 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 06:08 PM (IST)
कोरोना महामारी के दौर में मीडिया की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हुईः ओम बिरला
पांच दिवसीय सत्रारंभ समारोह में विद्यार्थियों को मिली तथ्यों के आधार पर खबर बनाएं की सलाह

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। जनसंचार के शिक्षण, प्रशिक्षण तथा शोध के क्षेत्र में गौरवपूर्ण स्थान रखने वाले भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) में इन दिनों सत्रारंभ समारोह का आयोजन किया जा रहा है। पांच दिवसीय सत्रारंभ समारोह 25 अक्टूबर से 29 अक्टूबर तक आयोजित किया जाएगा। कोरोना के कारण इस वर्ष यह कार्यक्रम ऑनलाइन आयोजित किया जा रहा है। समारोह का शुभारंभ 25 अक्टूबर को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने किया।

इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ने पत्रकारिता एवं जनसंचार के विद्यार्थियों को सलाह दी कि वे तथ्यों के आधार पर खबर बनाएं और अपनी रिपोर्टिंग से सकारात्मक और रचनात्मक संदेश पूरी दुनिया तक पहुंचाएं। उन्होंने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष मीडिया लोकतंत्र को सशक्त बनाता है। लोकसभा अध्यक्ष के अनुसार कोरोना महामारी के इस दौर में मीडिया की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों की जिंदगी बचाने में भी हम कामयाब हुए हैं, लेकिन हमें मीडिया और इंटरनेट मीडिया (सोशल मीडिया) के बीच के अंतर को समझना होगा। उन्होंने कहा कि इंटरनेट मीडिया को भी जवाबदेह बनाने की आवश्यकता है। बिरला ने आईआईएमसी के सभी विद्यार्थियों को संसद की कार्यवाही देखने के लिए आमंत्रित भी किया।

नवागत विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि भारत में मीडिया का प्रभाव पिछले दो दशकों में तेजी से बढ़ा है। मीडिया का इस्तेमाल और उपयोग करने वाले लोग भी बढ़े हैं। तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था के साथ चलते हुए मीडिया आज एक बड़े उद्योग में बदल गया है। प्रो. द्विवेदी के अनुसार सफलता और असफलता से हमारा वर्तमान और भविष्य तय नहीं होता है। जब तक भारत के युवाओं में नया करने का, रिस्क लेने का और आगे बढ़ने का जज्बा है, तब तक हमारे देश के भविष्य की चिंता करने की किसी को जरुरत नहीं है।

कार्यक्रम के प्रथम दिन प्रख्यात लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने 'लोक संस्कृति और मीडिया' विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि लोक संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है, क्योंकि अखबारों ने लोक संस्कृति को बचाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता अनंत महादेवन ने 'भारत में टीवी और सिनेमा का बदलता स्वरूप' और एनडीटीवी की पत्रकार नगमा सहर ने 'टीवी न्यूज का भविष्य' विषय पर विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया।

समारोह के दूसरे दिन केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि समाज को सूचना देना, सामाजिक सौहार्द बनाए रखना और लोगों के कल्याण के लिए कार्य करना प्रत्येक पत्रकार का धर्म है। पत्रकारिता के क्षेत्र में लंबे समय तक बने रहने के लिए धैर्य, परिश्रम और प्रतिभा के साथ-साथ 'तथ्य' और 'सत्य' का होना बहुत जरूरी है। खान के मुताबिक मीडिया की आजादी लोकतंत्र का महत्वपूर्ण आयाम है। इसे संभालकर रखना है, लेकिन यह आजादी जिम्मेदारी के साथ आती है। इसलिए हम सभी को जिम्मेदार भी होना है।

राज्यपाल के अलावा खेती विरासत मिशन, पंजाब के कार्यकारी निदेशक उमेंद्र  दत्त ने 'कृषि संस्कृति और भारत' और दूरदर्शन के महानिदेशक मयंक अग्रवाल ने 'सरकारी सूचना तंत्र' विषय पर विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया। इस अवसर पर पैरालंपिक मैडल विजेता सुहास यथिराज ने आईआईएमसी के विद्यार्थियों के साथ अपनी जीत का रहस्य भी साझा किया।

कार्यक्रम के तीसरे दिन देश के प्रख्यात पत्रकार और शिक्षाविद् विद्यार्थियों से रूबरू हुए। इस दौरान 'भारत का आर्थिक भविष्य' विषय पर चर्चा करते हुए गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, नोएडा के पूर्व कुलपति प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने कहा कि अगर भारत को आत्मनिर्भर बनना है, तो अपनी उत्पादन क्षमता और आयात की तुलना में निर्यात को बढ़ाना होगा। तकनीकी क्षेत्रों में भारतीय मानव संसाधन पूरी दुनिया में काम कर रहा है, लेकिन इन लोगों के द्वारा तैयार किए गए तकनीकी उत्पाद का फायदा मल्टीनेशनल कंपनियां उठाती हैं। इससे भारतीय ज्ञान और प्रतिभा से प्राप्त मुनाफा विदेशी कंपनियों को प्राप्त होता है। इसे रोकने के लिए भारत को स्वदेशी तकनीक की ओर जाना होगा। उन्होंने कहा कि अगर हम स्वदेशी उत्पाद खरीदेंगे, तो उससे न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा, बल्कि तकनीक के विकास में भी सहयोग होगा।

प्रो. शर्मा के अलावा भारतीय विश्वविद्यालय संघ की महासचिव प्रो. पंकज मित्तल ने 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति' से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों से विद्यार्थियों को अवगत कराया। प्रो. मित्तल ने कहा कि भारत की शिक्षा नीति अपनी शिक्षा प्रणाली को छात्रों के लिए सबसे आधुनिक और बेहतर बनाने का काम कर रही है। इस अवसर पर विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय, हरियाणा के कुलपति प्रो. राज नेहरू ने कहा कि जो कौशल हमने सीखा है उसे समाज के प्रयोग में किस तरह लाना है, इस पर कार्य करने की आवश्यकता है। जीवन को बेहतर बनाने के लिए विद्यार्थियों को नई-नई स्किल सीखनी चाहिए। भारतीय विज्ञापन मानक परिषद की महासचिव मनीषा कपूर ने कहा कि सभी विज्ञापनों के केंद्र में आम जनता होती है। इसलिए हमारी ये जिम्मेदारी है कि विज्ञापन जनता के हित में हों।

एक विशेष सत्र में 'पत्रकारिता की चुनौतियां एवं अवसर' विषय पर देश के प्रख्यात पत्रकारों ने विद्यार्थियों को संबोधित किया। हिन्दुस्तान टाइम्स के प्रधान संपादक सुकुमार रंगनाथन ने कहा कि आज तकनीक ने मीडिया को एक नई ताकत दी है। यह पत्रकारिता का स्वर्णिम युग है। एशियन न्यूज इंटरनेशनल (एएनआई)  की प्रधान संपादक स्मिता प्रकाश के अनुसार आज लोग सोशल मीडिया के थोड़े से ज्ञान से ही अपनी राय बना लेते हैं। मीडिया के विद्यार्थियों को इस आदत से बचना चाहिए। जी न्यूज के प्रधान संपादक सुधीर चौधरी ने कहा कि आज इनोवेशन और टेक्नोलॉजी पर विद्यार्थियों को सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है। पत्रकारिता में सफल होने का यही मूल मंत्र है। दैनिक जागरण के कार्यकारी संपादक विष्णु त्रिपाठी ने पत्रकारिता और सामाजिक सरोकारों की आवश्यकता से विद्यार्थियों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में जब सामाजिक सरोकार प्रबल होंगे, तभी पत्रकारिता की सार्थकता है।

सत्रारंभ समारोह के अंतिम दो दिन राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव एवं आईआईएमसी के अध्यक्ष अपूर्व चंद्र, न्यूज 24 की प्रबंध निदेशक अनुराधा प्रसाद, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन, मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) ध्रुव कटोच, महाराष्ट्र टाइम्स के संपादक पराग करंदीकर, न्यूज 18 उर्दू के संपादक राजेश रैना, ओडिया समाचार पत्र 'समाज' के संपादक सुसांता मोहंती, मलयालम समाचार पत्र 'जन्मभूमि' के संपादक केएनआर नंबूदिरी, लेखक संक्रान्त सानु एवं काठमांडू विश्वविद्यालय के प्रो. निर्मल मणि अधिकारी विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करेंगे।

कार्यक्रम के समापन सत्र में आईआईएमसी के पूर्व छात्र नए विद्यार्थियों से रूबरू होंगे। इन पूर्व छात्रों में आज तक के न्यूज़ डायरेक्टर सुप्रिय प्रसाद, इंडिया न्यूज के प्रधान संपादक राणा यशवंत, जनसंपर्क विशेषज् सिमरत गुलाटी, इफको के जनसंपर्क प्रमुख हर्षेंद्र सिंह वर्धन एवं आईआईएमसी एलुमिनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष कल्याण रंजन शामिल हैं। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण आईआईएमसी के फेसबुक पेज और यूट्यूब चैनल पर किया जा रहा है। भारतीय जन संचार संस्थान नए विद्यार्थियों के स्वागत और उन्हें मीडिया, जनसंचार, विज्ञापन एवं जनसंपर्क के क्षेत्र में करियर हेतु मार्गदर्शन दिलाने के लिए प्रतिवर्ष सत्रारंभ कार्यक्रम का आयोजन करता है।

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