आक्सीजन कान्संट्रेटर व अन्य उपकरणों की एमआरपी तय करने का सही समय: हाई कोर्ट
न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने इसके साथ ही उपचार के लिए आवश्यक दवाओं और उपकरणों की जमाखोरी और कालाबाजारी के संबंध में दो मई के बाद से दर्ज की गई एफआईआर में नामित सभी व्यक्तियों को अवमानना नोटिस किया।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार से कहा कि कोरोना महामारी के उपचार से जुड़े आक्सीजन कान्संट्रेटर व अन्य उपकरणों की कालाबाजारी और जमाखोरी काे रोकने के लिए इसकी एमआरपी तय करने का यह उचित समय है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने इसके साथ ही उपचार के लिए आवश्यक दवाओं और उपकरणों की जमाखोरी और कालाबाजारी के संबंध में दो मई के बाद से दर्ज की गई एफआईआर में नामित सभी व्यक्तियों को अवमानना नोटिस किया। साथ ही मामले में आराेपित नवनीत कालरा समेत सभी आरोपितों को आगामी 19 मई की सुनवाई के दौरान पेश करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि सभी पक्षकारों को एसएचओ के माध्यम से नोटिस भेजा जाये।
पीठ ने यह निर्देश तब दिया जब अधिवक्ता संजीव सागर ने बताया कि जमाखोरी व कालाबाजारी करने वालों पर कार्रवाई करने को लेकर इस पीठ द्वारा दो मई को दिए गये आदेश की जानकारी सरकारी अधिवक्ता से लेकर न्यायिक अधिकारी को भी नहीं है। संजीव सागर ने यह भी बताया कि एक निचली अदालत ने तो यहां तक कहा कि ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ अपराध नहीं बनता है, जबकि हाई कोर्ट ने अवमानना के तहत कार्रवाई का निर्देश दिया था। इस अदालत ने दो मई को आदेश जारी किया था कि कालाबाजारी व जमोखाेरी करने वालों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी और आरोपितों को कार्रवाई के लिए अदालत के समक्ष पेश किया जाये।
सुनवाई के दौरान समाचार पक्षों की रिपोर्ट को पीठ को दिखाया गया, जिसमें रेस्तरां से आक्सीजन कान्संट्रेटर की जब्ती के आरोपित नवनीत कालरा की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए निचली अदालत ने कहा है कि लोगों को जल्दबाजी में इसलिए दंडित नहीं किया जा सकता है क्योंकि हाई कोर्ट ने कदम उठाने को कहा है। निचली अदालत ने कहा है कि इसे लेकर कानून को विनियमित करने की जरूरत है।
वहीं, अदालत मित्र ने कहा कि निचली अदालत को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है क्योंकि एमआरपी को अभी तक आयातित उपकरणों के लिए तय नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को अदालत को बताना चाहिए कि उन्होंने क्या कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना उपचार के लिए आयातित दवाओं और उपकरणों के लिए अधिकतम खुदरा मूल्य तय नहीं किए जाने के कारण बहुत से लोग लंबे तक अभियोजन से बच जाएंगे।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए एडिशनल सालिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि इस मुददे पर विचार चल रहा है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में लिए गए निर्णय की जानकारी देने के लिए कुछ वक्त चाहिए। पीठ ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले साल जून की शुरुआत से ही घरेलू और आयातित आक्सीजन कान्संट्रेटर व अन्य उपकरणों की कीमतें तय करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन अब तक इसे पूरा नहीं किया गया। पीठ ने इस दौरान अधिवक्ता संजीव सागर को अधीनस्थ न्यायालयों में सरकारी वकील और न्यायिक अधिकारियों को सूचित करने के लिए मूल्य निर्धारण के लिए एक नोट तैयार करने को कहा। पीठ ने कहा कि इसे दिल्ली सरकार द्वारा सभी को भेजा जाएगा।
अहिंसा स्थल पर दबाई गई दवाओं को करें जब्त: कोर्ट
कोरोना महामारी को लेकर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान एक विधि छात्र सागर मेहलावत ने पीठ को सूचित किया कि भारी मात्रा में दवाईयों को महरौली-गुरुग्राम पर एक जैन मंदिर अंहिसा स्थल के पास दबाया गया है। इन पर मुहर है, जिससे पता चलता है कि ये दिल्ली सरकार के अस्पतालों के लिए हैं। पीठ ने इस सूचना पर पुलिस को दवाओं को जब्त करने का निर्देश दिया। पीठ ने मामले में दवाओं को दबाने की रिपोर्ट दर्ज करने और जांच शुरू करने का भी निर्देश दिया। मामले में स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देते हुए पीठ ने सुनवाई 19 मई तक के लिए स्थगित कर दी। सागर ने बताया कि कुछ दवाएं एक्सपायर हो गई थी, जबकि कुछ ऐसी भी थी जो इस्तेमाल की जा सकती है।