मुंबई की तर्ज पर अब रेस्तरां की छतों पर खाने का मजा ले सकेंगे दिल्ली वाले

तय नीति के मुताबिक जिस रेस्तरां के पास अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) होगी उसे तय शुल्क के आधार पर छत पर या फिर रेस्तरां में उपलब्ध खुले स्थान पर खाना परोसने की अनुमति मिल जाएगी।

By JP YadavEdited By: Publish:Fri, 25 Sep 2020 09:32 AM (IST) Updated:Fri, 25 Sep 2020 09:32 AM (IST)
मुंबई की तर्ज पर अब रेस्तरां की छतों पर खाने का मजा ले सकेंगे दिल्ली वाले
दिल्ली में छत पर खुले रेस्तरां की फाइल फोटो।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दक्षिणी दिल्ली के रेस्तरां में भी मुंबई की तर्ज पर खुली छत पर खाना परोसा जा सकेगा। इसके लिए दक्षिण दिल्ली नगर निगम के सदन ने भी मंजूरी दे दी है। इस नीति को इससे पूर्व स्थायी समिति ने 8 सितंबर को मंजूरी दी थी। सदन की बैठक में एकमत से इस नीति को मंजूरी मिलने के बाद रेस्तरां की छत के साथ खुले स्थान का उपयोग खाना परोसने के लिए किया जा सकेगा। निगम ने यह फैसला राजस्व में वृद्धि के लिए लिया है। इससे हर वर्ष निगम को पांच करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व आने की उम्मीद है।

नीति के मुताबिक जिस रेस्तरां के पास अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) होगी, उसे तय शुल्क के आधार पर छत पर या फिर रेस्तरां में उपलब्ध खुले स्थान पर खाना परोसने की अनुमति होगी। इसके लिए लाइसेंसधारी रेस्तरां को 200 रुपये प्रतिवर्ष के हिसाब से (चार स्टार) रेस्तरां को शुल्क निगम को देना होगा। वहीं इससे नीचे के रेस्तरां 100 रुपये वर्ग मीटर के हिसाब शुल्क देकर इसका लाभ उठा सकेंगे।

महापौर अनामिका सिंह ने बताया कि आवेदक खुली जगह का उपयोग करने के लिए भूमि मालिक से अनापत्ति पत्र जमा करना होगा। भोजन परोसने के लिए छत का उपयोग करने के लिए पंजीकृत स्ट्रक्चरल इंजीनियर से संरचनात्मक सुरक्षा प्रमाणपत्र प्रदान कराना होगा, वहीं अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी लाकर देना होगा। तभी निगम इसकी मंजूरी देगा।

लिफ्ट मंजूरी के शुल्क में दी राहत

दक्षिणी दिल्ली निगम क्षेत्र में स्थित ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों से लेकर डीडीए की सोसायटियों में अब लिफ्ट लगवाने के लिए तय किए गए शुल्क में निगम ने राहत दी है। निगम ने इसके लिए शुल्क को दो लाख से घटाकर 25 हजार रुपये तक कर दिया है। उल्लेखनीय है कि निगम पहले केवल पांच हजार रुपये का प्रक्रिया शुल्क लिफ्ट लगवाने की मंजूरी के लिए लेता था, लेकिन बीते दिनों हुई स्थायी समिति की बैठक में दो लाख रुपये तक के शुल्क की सिफारिश की गई थी। सदन में प्रस्ताव आया तो इस शुल्क को घटा दिया गया है। स्थायी समिति के अध्यक्ष राजदत्त गहलोत ने बताया कि शुल्क ज्यादा था, इसके लिए इस शुल्क को कम किया गया है।

Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो

chat bot
आपका साथी