Red Light On, Gaadi Off: अभियान से पर्यावरणविदों को सकारात्मक परिणाम मिलने की उम्मीद

Red Light On Gaadi Off विशेषज्ञों का कहना है कि जब हम रेडलाइट पर आइडलिंग (खड़े वाहन का इंजन चालू रहना) करते हैं तो एक मिनट में जितना ईंधन खर्च होता है ड्राइविंग के दौरान एक मिनट में उससे कम खर्च होता है।

By Edited By: Publish:Mon, 19 Oct 2020 10:29 PM (IST) Updated:Tue, 20 Oct 2020 11:47 AM (IST)
Red Light On, Gaadi Off: अभियान से पर्यावरणविदों को सकारात्मक परिणाम मिलने की उम्मीद
रेडलाइट पर गाड़ी बंद करने से प्रदूषण कम होता है।

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। Red Light On, Gaadi Off: दिल्ली सरकार के 'रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ' अभियान से पर्यावरणविदों को भी सकारात्मक परिणाम मिलने की उम्मीद है। उनका कहना है कि अगर इस अभियान पर गंभीरता से अमल हो तो निश्चित तौर पर इसके अच्छे नतीजे आएंगे। इससे वायु प्रदूषण कम करने में मदद मिलने के साथ ईधन की भी बचत होगी।

रोजाना 30 से 40 लाख वाहन आते हैं सड़कों पर

दिल्ली में करीब एक करोड़ वाहन पंजीकृत हैं। इनमें से लगभग 30 से 40 लाख वाहन रोज सड़कों पर आते हैं और धुआं छोड़ते हैं। इनमें से 10 लाख वाहन चालक भी रेडलाइट पर गाड़ी को बंद करने लगें तो साल भर में पीएम-10 की मात्रा 1.5 टन और पीएम-2.5 की मात्रा 0.4 टन कम हो जाएगी।

सर्दियों में आइडलिंग से ज्यादा नुकसान

विशेषज्ञों का कहना है कि जब हम रेडलाइट पर आइडलिंग (खड़े वाहन का इंजन चालू रहना) करते हैं तो एक मिनट में जितना ईंधन खर्च होता है, ड्राइविंग के दौरान एक मिनट में उससे कम खर्च होता है। आइडलिंग का सर्दियों में ज्यादा नुकसान है। सर्दियों में धुआं ऊपर नहीं जा पाता है और प्रदूषण जमीन के पास नीचे बैठ जाता है।

पेट्रोल, डीजल व एलपीजी ही नहीं, सीएनजी भी होती है बर्बाद

काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआइआर) द्वारा 2018 में किए गए एक सर्वे के अनुसार, आइड¨लग के दौरान पेट्रोल, डीजल औैर एलपीजी ही नहीं, सीएनजी भी बर्बाद होती है। यह सर्वे दिल्ली के 11 व्यस्त चौराहों पर किया गया। 341 वाहनों में फ्यूल फ्लो मीटर लगाया गया ताकि पता चल सके कि चालू हालत में वाहन खड़ा रखने पर कितना ईंधन बर्बाद हुआ। पता चला कि इससे हर रोज 9036 लीटर पेट्रोल, डीजल और एलपीजी, जबकि 5461 किलो सीएनजी बर्बाद होती है। यही नहीं, चालू हालत में वाहन खड़ा रखने पर खतरनाक गैसों का उत्सर्जन भी ज्यादा मात्रा में होता है।

भूरेलाल (अध्यक्ष, ईपीसीए)  का कहना है कि आइडलिंग के दौरान करोड़ों रुपये का ईंधन बर्बाद होता है। वायु प्रदूषण भी बढ़ता है। इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है, लेकिन बेहतर परिणाम के लिए चौराहों पर समय बताने वाले उपकरणों का सही होना जरूरी है।  

प्रो. एसएन त्रिपाठी (अध्यक्ष, सिविल इंजीनियरिंग विभाग, आइआइटी कानपुर) का कहना है कि आइडलिंग को लेकर कम अध्ययन हुए हैं। जो हुए हैं, उनमें स्पष्ट रूप से सामने आया है कि इससे ईंधन की बर्बादी भी होती है और हवा में जहर भी घुलता है। इस दिशा में अगर दिल्ली सरकार गंभीरता से प्रयास करती है तो अच्छे परिणाम सामने आ सकते हैं।

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