इंदिरा गांधी के साथ अटल बिहारी के भी थे खास, जग मोह गए जगमोहन

इंदिरा गांधी ने जगमोहन को सबसे युवा उपराज्यपाल बनाया पद्मश्री दिया। भाजपा ने नई दिल्ली से राजेश खन्ना के खिलाफ टिकट दिया फिर काका यानी राजेश खन्ना को 58000 वोट से हराया और दो बार आरके धवन को भी।

By Jp YadavEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 05:40 PM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 09:26 AM (IST)
इंदिरा गांधी के साथ अटल बिहारी के भी थे खास, जग मोह गए जगमोहन
इंदिरा गांधी के साथ अटल बिहारी के भी थे खास, जग मोह गए जगमोहन सचमुच 'जगमोहन' थे

नई दिल्ली [विष्णु शर्मा]। उनका सपना था नौवीं दिल्ली बसाना, जिसमें स्लम बस्तियों की जगह पक्के मकान हों। बंटवारे के बाद पाकिस्तान के हफीजाबाद से आए थे 20 साल के जगमोहन मल्होत्रा। छोटे सरकारी घर में काफी खिचपिच थी, सो अक्सर कुदेशिया बाग में चले जाते थे। एक दोपहर एक बेंच पर लकड़ी के फट्टे का तकिया बनाकर सो गए, आंख खुली तो बेंच के नीचे दिखा एक बड़ा कोबरा, घबराहट में फट्टा नीचे गिरा, कोबरा भाग गया। बूढ़े माली ने जगमोहन से कहा ये कोबरा काटता नहीं आशीर्वाद देता है, भाग्यशाली हो। वो वहां से भाग छूटे, वापस आए तो बीस साल बाद, हाथ में दिल्ली का मास्टर प्लान लेकर। जिसमें कुदेशिया बाग से लेकर यमुना पर निगमबोध घाट तक के इलाके में अवैध जमीन कब्जों और स्लम को हटाकर सुंदरीकरण करने की योजना थी। दरअसल राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद ने अपनी बहन के अंतिम संस्कार में वहां इतनी गंदगी देखी कि दिल्ली के चीफ कमिश्नर को पत्र में 'राष्ट्रीय शर्म' तक लिख डाला। एलजी एएन झा के सहयोग से जगमोहन ने निगमबोध घाट के सारे स्लम हटाकर सीलमपुर, सीमापुरी और नंद नगरी जैसी पुनर्वास कालोनियां बसा दीं। यमुना पर पुल बना दिया, रिंग रोड पूरी कर दी, हौज खास ग्रीन कांप्लेक्स और आइएसबीटी बना दिया और कुदेशिया बाग का जीर्णोद्धार भी कर दिया।

कांग्रेसियों ने विरोध के आगे नेहरु की भावना भी कर दीं दरकिनार

जगमोहन स्लम बस्तियों को हटाने के विरोधी कांग्रेसियों को भारत सेवक समाज की बुकलेट 'स्लम्स आफ ओल्ड दिल्ली' में नेहरू जी का लिखा दिखा देते, 'जब भी मैं पुरानी दिल्ली के स्लम से गुजरता हूं, सन्न रह जाता हूं, और फौरन इच्छा होती है इन्हेंं हटाने के लिए कुछ करने की'। बावजूद इसके एलजी और जगमोहन को बहुत विरोध झेलना पड़ा। एक दिन इंदिरा गांधी मास्टर प्लान के तहत यमुना पुल की आधारशिला रखने आईं, वो तो हैरान रह गईं, उनको पता ही नहीं था कि ये इलाका इतना खूबसूरत हो गया है। स्लम की जगह पार्क दिख रहे थे। खुशी से इंदिरा गांधी ने कहा, वो अपना हैंडमार्क यहां छोड़ना चाहती हैं, फौरन उनका पसंदीदा सप्तपर्णी पौधा मंगाया गया और इंदिरा गांधी ने उसे हौज खास ग्रीन कांप्लेक्स में लगाया। जगमोहन ने अपनी किताब 'ट्रम्फ्स एंड ट्रेजिडीज आफ नाइंथ दिल्ली' में लिखा है, 'वो खुश थीं जबकि मेरे काम का विरोध सबसे ज्यादा उनकी पार्टी के ही नेता कर रहे थे'।

लेकिन जगमोहन जुटे रहे, पुराने किले में लोग लकड़ी की टालें और कोयला डिपो चलाते थे, उन्हेंं हटाया गया। डीडीए के उपाध्यक्ष बने तो दिल्ली में ग्रुप हाउसिंग स्कीम लांच की गईं, मयूर विहार और वसंत कुंज जैसे इलाके बने। लोगों को मदनगीर, दक्षिणपुरी और त्रिलोकपुरी में बसाया गया। दिल्ली में हाउसिंग योजना देखकर तो मार्गेट थैचर तक ने इंदिरा गांधी को लिखकर तारीफ की थी।

उन्हें राजधानी में स्लम पसंद नहीं थे। इसका एक मानवीय पक्ष भी था, इमरजेंसी की जांच को बने शाह आयोग से गवाही में वो मकान-मालिकों को लिखित नोटिस ना देने की बात पर निरुत्तर हो गए। भीड़ ने हमला किया तो पुलिस फायरिंग में कुलदीप नैयर के मुताबिक 150 मरे, लेकिन आधिकारिक आंकडा छह का था। कैथरीन फ्रैंक ने लिखा है कि 'संजय गांधी तुर्कमान गेट से जामा मस्जिद को साफ देखना चाहते थे, और जगमोहन ने इसे आदेश की तरह लिया'। अजय बोस और जान दयाल ने 'फार रीजंस आफ स्टेट : दिल्ली अंडर इमरजेंसी' में लिखा है कि तुर्कमान गेट के एक प्रतिनिधिमंडल से एक जगह ही बसाने की मांग पर जगमोहन ने कहा था, 'क्या हम पागल हैं जो एक पाकिस्तान तोड़कर दूसरा पाकिस्तान बन जानें दे'?

बावजूद इसके मोरारजी देसाई को याद था कि इस व्यक्ति ने मास्टर प्लान के लिए केवल पांच करोड़ रुपये 'रिवाल्विंग फंड' के तौर पर उनके वित्त मंत्री रहते लिए थे, जबकि बजट 732 करोड़ था और उसी से दिल्ली में हजारों एकड़ जमीन डीडीए के लिए जुटा ली थी। मोरारजी ने पूछा गांधी मां-बेटे को क्यों सपोर्ट कर रहे हो? तो जैसे कल्याण सिंह ने बाबरी का दोष अपने ऊपर लिया, जगमोहन ने भी स्लम हटाने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली, एक तरह से ये श्रेय भी था। एशियाड के दौरान दो साल के अंदर नेहरू स्टेडियम, इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम, तालकटोरा पूल, करणी सिंह शूटिंग रेंज, गेम्स विलेज जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना जगमोहन के बस की ही बात थी। दिल्ली में मेट्रो लाने का आइडिया भी उन्हीं का था।

हर किसी के लिए रहे खास

तभी तो जिसे इंदिरा गांधी ने सबसे युवा उपराज्यपाल बनाया, पद्मश्री दिया। भाजपा ने नई दिल्ली से राजेश खन्ना के खिलाफ टिकट दिया, फिर काका यानी राजेश खन्ना को 58000 वोट से हराया और दो बार आरके धवन को भी। अटल जी ने केंद्रीय मंत्री बनाया, मोदी जी ने पद्म विभूषण दिया। कश्मीर के दो बार राज्यपाल रहे, गोवा दमन-दीव के भी, वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की स्थापना हो, बेनजीर भुट्टो का बयान कि 'जगमोहन को भागमोहन बना देंगे' या फिर कश्मीर में उनके पहुंचते ही फारुख अब्दुल्ला का इस्तीफा, से ही आप समझ सकते हैं कि जगमोहन से क्यों लोग परेशान थे। तभी तो 370 हटाने के बाद जिन प्रमुख व्यक्तियों से अमित शाह दिल्ली में मिले, उनमें जगमोहन भी थे। 

chat bot
आपका साथी